राज एक्सप्रेस। कैलीफोर्निया की जिला अदालत में एसवीबी फाइनेंशियल ग्रुप के मुख्य कार्यकारी (सीईओ) ग्रेग बेकर और मुख्य फाइनेंशियल अधिककारी सीएफओ डेनियल बेक के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से 16 जून 2021 और 10 मार्च 2023 के बीच एसवीबी में निवेश करने वालों को हर्जाने दिलाने की मांग की गई है। चंद्रा वेनीवेंटा की अगुवाई में शेयरधारकों द्वारा दायर केस में कहा गया है कि एसवीबी की कुछ तिमाही और वार्षिक वित्तीय रिपोर्ट में ब्याज दरों में वृद्धि के बारे में फेडरल रिजर्व की स्पष्ट तौर पर चेतावनी पर गौर नहीं किया गया। इस वजह से अंततः बैंक डूब गया। इसके लिए कंपनी के सीईओ और सीएफओ ही मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। सिलिकॉन वैली बैंक के डूबने के लिए लोग बैंक के CEO ग्रेग बेकर को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। कंपनी के शेयर होल्डर्स में बैंक की पैरेंट कंपनी एसवीबी फाइनेंशियल ग्रुप और इसके सीईओ ग्रेग बेकर के खिलाफ फ़ेडरल कोर्ट में दर्ज केस ग्रेग बेकर पर बैंक से जुड़ी जानकारी छुपाने का आरोप लगाया है। उन पर आरोप है कि बैंक बंद होने से ठीक पहले ग्रेग ने 36 लाख डॉलर के शेयर बेचे थे। उनके खराब फैसलों की वजह से ही बैंक डूब गया है।
बैंक में एसेट मैनेजमेंट में काम कर रहे कई कर्मचारियों का कहना है कि सिलिकॉन वैली बैंक के दिवालिया होने के पीछे सीईओ ग्रेग बेकर का हाथ है। उन्ही की गलती से बैंक डूबा है। उनके गलत फैसलों की वजह से बैंक डूबा है। इन कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि उनकी ट्रांसपेरेंसी का कारण बैंक की यह हालत हुई है। उन्होंने कहा पहले सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था। लेकिन जैसे ही ग्रेग बेकर ने जैसे ही कैपिटल में 2.25 अरब डॉलर और असेट्स सेल्स में 21 अरब डॉलर फंड जुटाने का ऐलान किया। देखते ही देखते चीजें बेकाबू हो गईं। टेक स्टार्टअप्स ने 24 घंटे के अंदर 42 अरब डॉलर बैंक से निकाल लिए। इसकी वजह से बैंक पर भारी दबाव पैदा हो गया। इसी के बाद से बैंक के नुकसान की शुरुआत हो गई, जिसे फिर रोका नहीं जा सका। पैसे निकलने के बाद बैंक का 985 मिलियन डॉलर निगेटिव कैश बैलेंस रह गया और बैंक गहरे संकट से घिर गया। इस स्थिति से निकलने के बैंक ने प्रयास किए, लेकिन वे बैंक को संकट से बाहर निकालने में सफल नहीं हुए।
वित्तीय विशेषज्ञ फिलिप डेली ने कहा सिलीकान वैली बैंक अपने नकद भंडार का उपयोग करके जितना भुगतान कर सकता था, ग्राहक उस सीमा के पार जाकर अपनी जमा राशि निकाल रहे थे। इसलिए अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए बैंक ने 1.8 अरब डॉलर का नुकसान उठाकर अपने सिक्योरिटीज पोर्टफोलियो से 21 अरब डॉलर बेचने का फैसला लिया। इक्विटी कैपिटल में गिरावट के चलते बैंक ने 2 अरब डॉलर की नई पूंजी जुटाने का प्रयास किया। पहले से ही बैंक में अपना विश्वास खो रहे ग्राहकों को बैंक की इस मंशा ने एक बड़ा झटका दिया। वे एकदम से बैंक से अपना पैसा निकालने में जुट गए। यह आश्चर्य का विषय है कि ग्राहकों में पैसा निकालने की ऐसी होड़ मची कि अच्छी तरह से कामकाज कर रहा बैंक भी दीवालिया हो गया। इसका एक कारण यह भी है कि एसवीबी के कई ग्राहकों के पास फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन द्वारा बीमित 250,000 डालर से अधिक राशि बैंक में जमा थी। ग्राहक जानते थे कि अगर बैंक डूबा तो उनका पैसा नहीं बचेगा। सिलीकान वैली बैंक में जमा लगभग 88 फीसदी रकम बीमित नहीं थी। सिग्नेचर बैंक में भी ठीक यही समस्या पैदा हो गई। सिलीकान वैली बैंक के डूबने के बाद सिग्नेचर बैंक भी लिक्विडिटी रिस्क की चिंताओं से घिर गया। बैंक के ग्राहक हड़बहाड़ट में बैंक से अपना पैसा निकालने लगे। इस बैंक में जमा 90 फीसदी धनराशि बीमित नहीं थी। इसकी वजह से बैंक संकट में फंस गया। येल स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के चीफ एक्जीक्यूटिव लीडरशिप इंस्टीट्यूट के जेफ सोननफील्ड ने कहा ग्रेग बेकर की एक गलती की वजह से बैंक दीवालिया हो गया।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।