एफआईआई द्वारा शेयर बाजार से की गई निकासी भी कारोबार पर असर दिखाएगी
घरेलू समर्थन की वजह से सकारात्मक रुख के साथ बीते सप्ताह बंद हुए थे शेयर बाजार
मध्यपूर्व संकट गहराया तो इसका असर भारतीय और अन्य शेयर बाजारों पर पड़ना तय
राज एक्सप्रेस। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के कंपनियों के वित्तीय नतीजों, कच्चे तेल की कीमतों और पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक अनिश्चितता ऐसे कुछ कारण हैं, जो इस सप्ताह शेयर बाजार की दिशा तय कर सकते हैं। इसके साथ ही विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा शेयर बाजार से की गई निकासी भी इस सप्ताह के कारोबार पर असर दिखाएगी। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने अक्टूबर में अब तक 9,784 करोड़ के शेयर बेचे हैं।
बीते सप्ताह शेयर बाजार सकारात्मक रुख के साथ बंद हुए थे। इसकी मुख्य वजह घरेलू समर्थन था। पिछले सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 287.11 अंक या 0.43 फीसदी चढ़ गया था। इस सप्ताह कई बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजे आने वाले हैं। इन कंपनियों के नतीजे बाजार की दिशा पर काफी असर डालेंगे। अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में लगातार वृद्धि और इजराइल-हमास युद्ध की वजह से बने अनिश्चित माहौल के बीच विदेशी निवेशकों ने इस महीने अब तक लगभग 9,800 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं।
मध्यपूर्व का संकट गहराने की वजह से अब सोने और अमेरिकी डालर में निवेश की प्रवृत्ति बढ़ी है। व्यापक आर्थिक मोर्चे पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित महंगाई दर के आंकड़ों में महत्वपूर्ण गिरावट और औद्योगिक उत्पादन जैसे घरेलू कारकों ने उम्मीद बनाए रखने में मदद की है। हालांकि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेक्टर के कमजोर आय पूर्वानुमानों और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी ने बाजार को प्रभावित किया है। इजराइल और हमास के बीच जारी लड़ाई अब निर्णायक दौर में पहुंच गई है। इजराइल ने हमास के नेतृत्व वाले गाजा पर हमले की तैयारी पूरी कर ली है। नागरिकों को गाजा छोड़ देने की के लिए तय समयसीमा भी अब नजदीक आ गई है। अब मध्यपूर्व में संकट गहरा सकता है और अगर संघर्ष गहराया तो इसका असर शेयर बाजार के कामकाज पर पड़ना तय है।
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