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अडाणी-हिंडनबर्ग केस में सेबी को 15 दिन का और समय मिला, 29 अगस्त को होगी अगली सुनवाई

सेबी ने आज अडाणी-हिंडेनबर्ग मामले की जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए सुप्रीम कोर्ट से 15 दिन का और समय मांगा। अब इस मामले की सुनवाई 15 दिन बाद होगी।

Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • यह दूसरी बार है जब सेबी ने शीर्ष अदालत से इस मामले की जांच के लिए अतिरिक्त समय मांगा

  • सेबी अडाणी समूह के 24 लेन-देन की जांच कर रही है, जिसमें 17 की जांच पूरी हो चुकी

राज एक्सप्रेस । शेयर मार्केट रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आज 14 अगस्त को अडाणी-हिंडेनबर्ग मामले की जांच पूरी कर अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए सुप्रीम कोर्ट से 15 दिन का और समय मांगा है। यह दूसरी बार है जब सेबी ने शीर्ष अदालत से इस मामले की जांच के लिए अतिरिक्त समय मांगा है। इस मामले पर 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई करेगा।

सेबी ने बताया कि वह अडाणी समूह के 24 लेन-देन की जांच कर रही है, जिसमें 17 की जांच पूरी हो चुकी है। इसके साथ ही इस मामले के बारे में अन्य रेगुलेटर्स और दूसरे देशों से और जानकारी मांगी गई है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त को करेगा।

सेबी ने मांगा था 6 माह का समय

सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च को इस मामले को लेकर एक कमेटी गठित की थी और सेबी को जांच के लिए 2 महीने का समय दिया था। शेयर बाजार नियामक को 2 मई तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन सेबी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान जांच के लिए 6 महीने की मोहलत मांगी थी। इस पर बेंच ने 6 माह का समय देने से इनकार कर दिया था। बेंच ने कहा था कि वह इस मामले को अनिश्चित विस्तार नहीं दे सकती। हमने 2 महीने का समय दिया था और अब इसे अगस्त तक बढ़ा दिया है। यानी सेबी को कुल 5 महीने का समय मिल चुका है।

19 मई को कमेटी सार्वजनिक कर चुकी है रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट की कमेटी अडाणी-हिंडनबर्ग मामले की जांच रिपोर्ट 19 मई 2023 को सार्वजनिक कर चुकी है। कमेटी ने कहा था कि अडाणी के शेयरों की कीमत में कथित हेरफेर के पीछे सेबी की नाकामी थी, अभी इस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता। कमेटी ने यह भी कहा था कि समूह की कंपनियों में विदेशी फंडिंग पर सेबी की जांच बेनतीजा रही है। कमेटी ने रिपोर्ट में कहा- सेबी को संदेह है कि अडाणी ग्रुप में निवेश करने वाले 13 विदेशी फंडों के प्रमोटर्स के साथ संबंध हो सकते हैं। अडाणी ग्रुप के शेयरों में वॉश ट्रेड का कोई भी पैटर्न नहीं मिला है। वॉश ट्रेड यानी वॉल्यूम बढ़ाने के लिए खुद ही शेयर खरीदना और बेचना। कुछ संस्थाओं ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पब्लिश होने से पहले शॉर्ट पोजीशन ली थी। जब शेयर के भाव गिरे तो इसे खरीदकर मुनाफा कमाया।

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