सांकेतिक चित्र Social Media
व्यापार

मुकेश, अनिल, नीता, टीना अंबानी पर संहिता उल्लंघन का केस, सेबी ने लगाया फाइन

मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी की मां और बच्चों सहित सेबी के आदेश में नामित 34 व्यक्तियों को 45 दिनों के भीतर संयुक्त रूप से जुर्माना भरना होगा

Author : Neelesh Singh Thakur

हाइलाइट्स –

  • टेकओवर कोड उल्लंघन का मामला

  • सेबी ने लगाया 25 करोड़ का फाइन

  • दो दशक पुराने केस में अब फरमान जारी

राज एक्सप्रेस। बीस वर्षों के बाद, सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI/सेबी) यानी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने मुकेश अंबानी, अनिल अंबानी, नीता अंबानी एवं टीना अंबानी और अंबानी से जुड़ीं फर्मों पर अधिग्रहण संहिता नियमों (takeover code regulations) के कथित उल्लंघन के लिए 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।

क्या है मामला? –

यह मामला साल 1994 के बाद से जारी किए गए कुछ वारंटों के रूपांतरण के बाद जनवरी वर्ष 2000 में रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल/RIL) के प्रमोटर स्टेक (promoter stake) अर्थात प्रवर्तक हिस्सेदारी में वृद्धि से संबंधित है।

SEBI का आरोप -

सेबी ने आरोप लगाया है कि प्रवर्तक समूह मानदंडों के तहत आवश्यक रूप से एक खुली पेशकश करने में विफल रहा है। 85-पृष्ठ के न्यायिक निर्णय में उल्लेखित है कि;

तात्कालिक मामले में, उल्लंघन ऐसा नहीं था जो एक बार और सभी के लिए प्रतिबद्ध था, लेकिन जो आज तक जारी है। मतदान के अधिकार आदि के द्वारा नियंत्रित उल्लंघन प्रतिभूतियों के अधिग्रहण में वैधानिक प्रावधानों की अवज्ञा है जिसके द्वारा (अंबानी परिवार) नोटिस दिया जा रहा है, और ये उल्लंघन हैं जो पत्र और कानून की भावना का उल्लंघन करते हुए इतने लंबे समय से तब तक जारी हैं जब तक कि मतदान के अधिकार हासिल हो जाते हैं।"

SAST का हवाला -

सब्सटेंशियल एक्वीजीशन ऑफ शेयर्स एंड टेकओवर्स रेगुलेशन (एसएएसटी/SAST) 1997 अर्थात अंश एवं अधिग्रहणों के पर्याप्त अधिग्रहण विनियम 1997 के तहत, यदि एक प्रवर्तक समूह एक वित्तीय वर्ष में 5 प्रतिशत से अधिक मतदान अधिकार प्राप्त करता है, तो उसे अल्पसंख्यक निवेशकों को एक खुला प्रस्ताव देने की आवश्यकता होती है जो उन्हें कंपनी से बाहर निकलने की अनुमति देता है।

घोषणा में विफल -

सेबी के नोटिस में उल्लेखित है कि आरआईएल के शेयरों को हासिल करने के लिए संबंधित लोग सार्वजनिक घोषणा करने में विफल रहे हैं। साथ ही उन्होंने अंशधारकों (shareholders) को टारगेट कंपनी से बाहर निकलने के लिए उनके वैधानिक अधिकारों/अवसरों से वंचित किया। इसलिए उन्होंने अधिग्रहण नियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया।

सेबी ने कहा -

सेबी ने मामले में कहा है कि, "दंड की मात्रा का निर्धारण करते समय, मैं ध्यान देता हूं कि कोई भी मात्रात्मक आंकड़े या डेटा रिकॉर्ड पर उपलब्ध नहीं हैं, जो कि डिफॉल्ट रूप से किए गए एक परिणाम के रूप में किसी निवेशक या निवेशकों के समूह को होने वाले अनुचित लाभ या अनुचित लाभ और नुकसान की मात्रा का आकलन करते हों।

34 लोग 45 दिन -

नियामक ने कहा कि मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी की मां और बच्चों सहित सेबी के आदेश में नामित 34 व्यक्तियों को 45 दिनों के भीतर संयुक्त रूप से जुर्माना भरना होगा।

अंबानी का जवाब -

सेबी ने कहा कि अंबानी परिवार ने नवंबर 2020 में नियामक को दिए अपने जवाब में कहा था कि वारंट जारी करने और वारंट के रूपांतरण पर शेयरों का मुद्दा सेबी के अधिग्रहण नियमों के अधीन नहीं था।

SCN में देर -

अंबानी परिवार ने यह भी कहा कि मामले में "शो कॉज नोटिस (SCN) यानी कारण बताओ नोटिस जारी करने और न्यायिक निर्णय कार्यवाही में देरी "अनुचित और पूर्वाग्रह से ग्रसित है।" गौरतलब है कि सेबी ने कथित उल्लंघन के लगभग ग्यारह साल बाद साल 2011 में अंबानी परिवार को SCN जारी किया था।

डिस्क्लेमर आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।

SCROLL FOR NEXT