SBI ने जीरों बैलेंस पर अकाउंट खुलवाने की सुविधा से वसूले करोड़ो Syed Dabeer Hussain - RE
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SBI ने जीरों बैलेंस पर अकाउंट खुलवाने की सुविधा से वसूले करोड़ों

SBI ने अपनी इस जीरों बैलेंस पर अकाउंट खुलवाने की सुविधा देकर करोड़ों रुपये वसूले हैं। इस बारे में जानकारी IIT बॉम्बे के एक सर्वे से सामने आई है।

Author : Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। यदि अपने बैंक में अकाउंट खुलवाया होगा तो आपको पता होगा की आजकल लगभग सभी बैंक जीरो बैलेंस पर अकाउंट खुलवाने की सुविधा देते हैं। इन्हीं बैंकों में भारत का सबसे बड़ा सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) भी शामिल है, लेकिन क्या आपको पता है SBI ने अपनी इस जीरों बैलेंस पर अकाउंट खुलवाने की सुविधा देकर करोड़ों रुपये वसूले हैं। इस बारे में जानकारी IIT बॉम्बे के एक सर्वे से सामने आई है।

IIT बॉम्बे के सर्वे से हुआ बड़ा खुलासा :

दरअसल, IIT बॉम्बे ने एक सर्वे किया जिसके बाद उसने बताया है कि, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) सहित अनु कई बैंकों ने ग्राहकों से जीरो बैलेंस पर अकाउंट खुलवाए और इन जीरो बैलेंस वाले गरीब अकाउंट होल्डरों से विभिन्न सेवा मदों में कई तरह के मनमाने शुल्क लागू कर दिए। सर्वे के अनुसार, SBI ने जीरो बैलेंस वाले अकाउंट होल्डरों यानी बुनियादी बचत बैंक जमा खाता (BSBDA) धारकों के चार बार से ज्यादा पैसे निकालने पर हर बार 17.70 रुपये का शुल्क वसूलने का फैसला किया था। और इस प्रकार सिर्फ SBI ने अपने 12 करोड़ बेसिक अकाउंट होल्डरों साल 2015 से 2020 के बीच करीबन 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का अमाउंट वसूला है।

IIT बॉम्बे के शोधकर्ता ने बताया :

IIT बॉम्बे के शोधकर्ता ने बताया है कि, 'यह आरबीआई के नियम का उल्लंघन है। वहीं, भारत के दूसरे सबसे बड़े बैंक पीएनबी ने इसी अवधि में 3.9 करोड़ गरीब अकाउंट होल्डरों से 9.9 करोड़ रुपये वसूल किए हैं।' इसके अलावा सर्वे में यह भी कहा गया है कि, SBI ने प्रधानमंत्री जन धन योजना की भी उपेक्षा करते हुए बुनियादी बचत बैंक जमा खाता (BSBDA) अकाउंट होल्डरों से रोजमर्रा के कैशलेस डिजिटल लेनदेन की सेवा पर भी मोटा शुल्क वसूला। देश में जहां डिजिटल लेनदेन को जोरशोर से बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं SBI ऐसे लोगों से शुल्क वसूल कर उन्हें हतोत्साहित कर रहा है। यह आर्थिक समावेशन की भावना को बौना बनाना है।'

IIT बॉम्बे के प्रोफेसर ने बताया :

इस सर्वे के बाद IIT बॉम्बे के प्रोफेसर आशीष दास ने बताया कि, 'डिजिटल भुगतान सहित एक महीने में चार बार से ज्यादा प्रति निकासी पर 17.70 रुपये का शुल्क वसूलना रिजर्व बैंक के नियम का सुनियोजित उल्लंघन है। उल्लेखनीय है कि गरीबों के जीरो बैलेंस वाले सबसे ज्यादा खाते SBI के पास ही हैं। उन्होंने कहा कि सेवा शुल्क के नाम पर ऐसे अकाउंट होल्डरों से वसूली अनुचित है।'

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