पवन हंस (Pawan Hans), 42 Helicopters संचालित करता है, सरकार-राज्य के स्वामित्व वाली (ओएनजीसी/ONGC) का संयुक्त उद्यम है। Syed Dabeer Hussain - RE
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Sale of Pawan Hans: 3 असफल बोलियों बाद, सरकार ने पवन हंस में अपनी हिस्सेदारी निजी संघ को बेची

Pawan Hans विनिवेश (Disinvestment) Aviation Portfolio से दूसरी बड़ी सेल है। पहले एयर इंडिया (Air India), टाटा समूह (Tata Group) में गई थी।

Author : Neelesh Singh Thakur

हाइलाइट्स

  • Star9 Mobility को मिलेगी कमान

  • क्रेता Three-Way Consortium है

  • Bidder का मुंबई, दिल्ली, दुबई कनेक्शन

राज एक्सप्रेस (rajexpress.co)। हेलीकॉप्टर सेवा प्रदाता (Helicopter services provider) में अपनी हिस्सेदारी के विनिवेश (Disinvesting) के तीन असफल प्रयासों के बाद, सरकार (Government) ने शुक्रवार को स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड (Star9 Mobility Pvt Ltd) को प्रबंधन नियंत्रण के साथ पवन हंस लिमिटेड (Pawan Hans Ltd) की बिक्री को मंजूरी दे दी।

यह बिग चार्टर प्राइवेट लिमिटेड ( Big Charter Private Limited), महाराजा एविएशन प्राइवेट लिमिटेड (Maharaja Aviation Private Limited) और अल्मास ग्लोबल अपॉर्चुनिटी फंड एसपीसी (Almas Global Opportunity Fund SPC) के बीच तीन-तरफा निजी संघ (Three-Way Consortium) है।

यह विनिवेश (Disinvestment) पिछले 12 महीनों में सरकार के विमानन पोर्टफोलियो (Aviation Portfolio) से दूसरी बड़ी बिक्री है। इससे पहले एयर इंडिया (Air India) इस साल जनवरी में टाटा समूह (Tata Group) में गई थी।

पवन हंस (Pawan Hans) के बारे में -

पवन हंस (Pawan Hans), जो वर्तमान में 42 हेलीकॉप्टर (Helicopters) संचालित करता है, सरकार और राज्य के स्वामित्व वाली ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड (Oil & Natural Gas Corp Ltd/ओएनजीसी/ONGC) यानी तैल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड के बीच 51:49 का संयुक्त उद्यम है।

ओएनजीसी (ONGC) यानी तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड ने पहले सरकार के रणनीतिक विनिवेश (Disinvestment) लेनदेन में पहचाने गए सफल बोलीदाता को अपनी पूरी हिस्सेदारी सरकार के समान कीमत और शर्तों पर देने का फैसला किया था। आपको ज्ञात हो, पिछले साल दिसंबर में सरकार को कंपनी के लिए तीन वित्तीय बोलियां (Financial Bids) मिली थीं।

वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) की प्रेस विज्ञप्ति -

वित्त मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि, "मेसर्स बिग चार्टर प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स महाराजा एविएशन प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स अल्मास ग्लोबल अपॉर्चुनिटी फंड एसपीसी का एक संघ मैसर्स स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड, 211.14 करोड़ रुपये की बोली लगाने वाले उच्चतम बोलीदाता के रूप में उभरा, जो आरक्षित मूल्य से ऊपर था।"

वित्त मंत्रालय की विज्ञप्ति के मुताबिक, अन्य दो बोलियां 181.05 करोड़ रुपये और 153.15 करोड़ रुपये के लिए थीं। उचित विचार-विमर्श के बाद, सरकार द्वारा मेसर्स स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड (M/s Star9 Mobility Private Limited) की वित्तीय बोली को स्वीकार कर लिया गया है।

मुंबई, दिल्ली, दुबई -

मुंबई स्थित बिग चार्टर प्राइवेट लिमिटेड (Big Charter Pvt Ltd) 'फ्लाईबिग' एयरलाइन (‘Flybig’ Airline) चलाती है, जो उड़ान मार्गों (UDAN Routes) पर संचालित होती है।

जबकि दिल्ली स्थित महाराजा एविएशन प्राइवेट लिमिटेड (Maharaja Aviation Pvt Ltd) एक हेलीकॉप्टर चार्टर कंपनी है (Helicopter Charter Company)।

अल्मास ग्लोबल अपॉर्चुनिटी फंड (Almas Global Opportunity Fund) दुबई स्थित अल्मास कैपिटल (Almas Capital) द्वारा प्रबंधित एक केमैन आइलैंड्स-आधारित फंड (Cayman Islands-based fund) है।

वैकल्पिक तंत्र की मंजूरी -

पवन हंस विनिवेश के लिए वैकल्पिक तंत्र द्वारा कंसोर्टियम की बोली को भी मंजूरी दी गई थी। वैकल्पिक तंत्र में सड़क मंत्री नितिन गडकरी (Road Minister Nitin Gadkari), वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Civil Aviation Minister Jyotiraditya Scindia) शामिल हैं।

आधिकारिक बयान में कहा गया है, "रणनीतिक विनिवेश लेनदेन को एक खुली, प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से लागू किया गया था, जो अंतर-मंत्रालयी समूह, विनिवेश पर सचिवों के कोर समूह और सशक्त वैकल्पिक तंत्र को शामिल करते हुए एक बहुस्तरीय सलाहकार निर्णय लेने वाली प्रणाली द्वारा समर्थित है।"

लेटर ऑफ अवार्ड -

आगे बढ़ते हुए, सरकार अब लेटर ऑफ अवार्ड (Letter of Award) जारी करेगी, जिसके बाद शेयर खरीद समझौते पर हस्ताक्षर और लेनदेन को बंद करने की प्रक्रिया आयोजित होगी।

अक्टूबर 2016 में, आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने पवन हंस में पूरी सरकारी हिस्सेदारी के रणनीतिक विनिवेश (Strategic Disinvestment) को मंजूरी दी थी और उसके बाद सरकार ने डिसइन्वेस्टमेंट (Disinvestment) यानी विनिवेश के तीन बेकार प्रयास किए।

डिसइन्वेस्टमेंट (Disinvestment) यानी विनिवेश काअर्थ, लगाया गया पैसा वापस लेना होता है। सरकार हर साल बजट में विनिवेश टारगेट तय करती है। एक तरह से सरकार के लिए विनिवेश पैसा जुटाने का अति महत्वपूर्ण जरिया है। सार्वजनिक उपक्रमों (PSU) में सरकार का हिस्सा विक्रय की प्रोसेस को ही विनिवेश या डिसइन्वेस्टमेंट (Disinvestment) कहते हैं। सामान्यतः ऐसी कंपनियों को सावर्जनिक उपक्रम या पीएसयू कहते हैं।

फर्स्ट राउंड -

पहले दौर में, प्रारंभिक सूचना ज्ञापन (Preliminary Information Memorandum/पीआईएम/PIM) अक्टूबर 2017 में जारी किया गया था, जिसमें रुचि की अभिव्यक्ति (Expressions of Interest/ईओआई/EOI) की मांग की गई थी। प्राप्त चार ईओआई में से केवल एक पात्र पाया गया और लेनदेन रद्द कर दिया गया।

सेकंड राउंड -

दूसरे दौर में, अप्रैल 2018 में ईओआई की मांग करते हुए पीआईएम जारी किया गया था और दो बोलीदाताओं को योग्य पाया गया था और उन्हें प्रस्ताव के लिए अनुरोध (Request for Proposal/आरएफपी/RFP) जारी किया गया था। अंत में, एक एकल, अधूरी बोली, आरएफपी का अनुपालन न करने वाली, प्राप्त हुई।

थर्ड राउंड -

तीसरे दौर में, जुलाई 2019 में ईओआई के लिए पीआईएम जारी किया गया था। हालांकि, प्राप्त चार ईओआई में से केवल एक को ही योग्य पाया गया और प्रक्रिया को फिर से रद्द कर दिया गया।

फोर्थ राउंड -

चौथी पुनरावृत्ति में, सरकार ने 8 दिसंबर, 2020 को ईओआई को आमंत्रित किया। इस बार सात ईओआई प्राप्त हुए और चार इच्छुक बोलीदाताओं (Bidders) को योग्य बोलीदाताओं के रूप में चुना गया। विस्तृत सावधानी के बाद, योग्य बोलीदाताओं को वित्तीय बोलियां जमा करने के लिए आमंत्रित किया गया, जिसके बाद तीन वित्तीय बोलियां (Financial Bids) प्राप्त हुईं।

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