रूस के सबसे बड़े ऋणदाता Sberbank ने किया यूरोपीय बाजार छोड़ने का ऐलान Syed Dabeer Hussain - RE
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रूस के सबसे बड़े ऋणदाता Sberbank ने किया यूरोपीय बाजार छोड़ने का ऐलान

यूक्रेन का सपोर्ट कर रहे देश रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करने में जुटे हुए हैं जिससे रूस घुटने टेक दे। इसी बीच खबर है कि, रूस के सबसे बड़े ऋणदाता Sberbank ने यूरोपीय बाजार छोड़ने का ऐलान किया।

Author : Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग के चलते कई देश प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा कई देश रूस से गुस्साकर रूस के खिलाफ कड़े फैसले भी ले रहे हैं। इतना ही नहीं यूक्रेन का सपोर्ट कर रहे कई देश (NATO) तो रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं जिससे रूस घुटने टेक दे। इसी बीच यह खबर सामने आई है कि, रूस के सबसे बड़े ऋणदाता बैंक यानी 'Sberbank' ने यूरोपीय बाजार (European Markets) छोड़ने का ऐलान किया है।

Sberbank के यूरोपीय बाजार छोड़ने का कारण :

बताते चलें, रूस के सबसे बड़े ऋणदाता माने जाने वाले Sberbank ने यूरोपीय बाजार छोड़ने का फैसला कर लिया है। Sberbank ने यह फैसला इसलिए लिया है क्योंकि, बैंक की सब्सिडियरीज को वहां बड़े पैमाने पर कैश आउटफ्लो का सामना करना पड़ रहा है जिससे Sberbank के कर्मचारियों व संपत्ति की सुरक्षा के लिए खतरा है। इसलिए वह अब मजबूर है। Sberbank कुछ समय में साल 2021 के वित्तीय परिणामों की जानकारी देगा।

Sberbank का बयान :

Sberbank बैंक ने इस मामले में जानकारी देते हुए एक बयान साझा कर कहा है कि, "केंद्रीय बैंक के आदेश के बाद वह यूरोपीय सब्सिडियरीज को लिक्विडिटी की आपूर्ति करने में सक्षम नहीं है, लेकिन इसका पूंजी स्तर और संपत्ति की गुणवत्ता, सभी जमाकर्ताओं को भुगतान करने के लिए पर्याप्त है। यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ईसीबी) ने Sberbank की यूरोपीय शाखा को बंद करने का आदेश दिया था। मौजूदा स्थिति में Sberbank ने यूरोपीय बाजार छोड़ने का फैसला किया है। समूह के सब्सिडियरी बैंकों को असामान्य कैश आउटफ्लो और अपने कर्मचारियों व शाखाओं की सुरक्षा के लिए खतरों का सामना करना पड़ा है।"

पश्चिमी देशों ने क्यों उठाया कदम :

जानकारी के लिए बता दें, Sberbank बैंक जिन देशों में संचालन करता है उन देशों में ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया, जर्मनी और हंगरी जैसे देश शामिल है। इसके अलावा Sberbank के पास 31 दिसंबर 2020 तक 13 अरब यूरो के यूरोपीय एसेट्स थे। रूस और यूक्रेन के बीच जारी इस जंग के चलते ही पश्चिमी देशों (NATO) ने रूस की अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली को कमजोर बनाने के लिए इस तरह का कदम उठाया हैं। इससे पहले अमेरिका ने रूस को 'SWIFT' से भी बाहर कर दिया था।क्या है 'SWIFT'? रूस पर 'SWIFT' से बाहर होने का क्या होगा असर

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