राज एक्सप्रेस। महंगी और लग्जरी रिस्ट वॉचेस का जब भी जिक्र होता है, सिर्फ एक ही नाम दिमाग में आता है “रोलेक्स” (Rolex)। लेकिन रोलेक्स का ब्रांड इतना बड़ा सिर्फ इसलिए नहीं बना है कि वो बहुत महंगा है, दरअसल रोलेक्स वॉचेस में ऐसी कई खूबियां हैं, जिसका मुकाबला करना दूसरे ब्रांड्स के बस का नहीं है।
रोलेक्स का लोगो जो आज इसकी पहचान बन चुका है, यह लोगो पहली बार 1925 में इस्तेमाल किया गया था। रोलेक्स घड़ियों के बहुत से पार्ट्स बहुत महीन होते हैं, इतने महीन की कई बार इनकी गिनती करना भी मुश्किल हो जाता है। हालांकि इससे ज्यादा खास बात यह है कि इन पार्ट्स को रोलेक्स घड़ियों में हाथों से असेंबल किया जाता है।
रोलेक्स वॉचेस को बनाने में जिस सोने का इस्तेमाल किया जाता है, उसे भी रोलेक्स खुद अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट में तैयार करती है। रोलेक्स के प्रति दुनिया में दीवानगी का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि 2017 में हुई एक ऑक्शन में 1968 में बनी रोलेक्स डायटोना मॉडल के लिए 17.7 मिलियन डॉलर्स की अधिकतम बोली लगी, जो लगभग 134 करोड़ रुपए के बराबर है।
आप रोलेक्स की क्वालिटी का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि 1953 में माउंट एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ाई करने वाली टीम के मेम्बर्स ने रोलेक्स पहनी थी और इतनी अधिक ऊंचाई पर भी रोलेक्स का जलवा बरकरार रहा।
ऊंचाई ही नहीं सबसे ज्यादा गहराई तक काम करने वाली रिस्ट वॉच का रिकॉर्ड भी रोलेक्स के ही नाम है। 1960 में यूएस नेवी इसे पहनकर समुद्र में 35,800 फीट नीचे तक उतरी थी, इस गहराई पर भी रोलेक्स की परफॉर्मेंस ने निराश नहीं किया।
फोटोग्राफ लेते समय रोलेक्स की सभी वॉचेस का टाइम 10 बजकर 10 मिनट और 31 सेकेंड होता है, जिसे रोलेक्स टाइम के नाम से जाना जाता है। साथ ही रोलेक्स वॉचेस की डेट 28 फरवरी और दिन मंडे पर सेट होता है।
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