राज एक्सप्रेस। आज देश के लिए जो सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है, वो, महंगाई है। हालांकि, देश में कोरोना की एंट्री के बाद से ही महंगाई और ज्यादा तेजी से बढ़ती नज़र आ रही है। इस साल में कोरोना के मामलों में काफी कमी आने के बाद लगा था जैसे महंगाई में भी कुछ कमी देखने को मिलेगी, लेकिन इस साल के भी बीते 6 महीने महंगाई भरे बीते। हालांकि, साल के बाकी के 6 महीने अभी बाकी है और महंगाई थमने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में रॉयटर्स के अनुसार बाकी के 6 महीने भी महंगाई भरे बीतने वाले हैं।
देश में बढ़ रही महंगाई :
दरअसल, आज देश में हर चीज महंगी होती जा रही है। चाहे वो खाने पीने की चीजें हो, पेट्रोल-डीजल, CNG-PNG या LPG हो। हर जरूरी उत्पात महंगे होते जा रहे है। जिसके चलते देश में महंगाई तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में देशवाशियों के बाकी के 6 महीने भी काफी महंगे साबित होने वाले है। इसका अनुमान रॉयटर्स द्वारा एक पोल में जताया गया है। रॉयटर्स के पोल के अनुसार, इस साल 2022 के बाकी के 6 महीने भी मुश्किल-भरे नज़र आने वाले हैं। रॉयटर्स ने एक पोल में दिखाया है कि, 'इस पूरे साल भारत में महंगाई का स्तर सेंट्रल बैंक के टोलरेंस बैंड के ऊपर ही बना रह सकता है। यदि ऐसा रहा तो आने वाले महीनों में हमें रेपो रेट में और बढ़ोत्तरी होती दिखेगी।'
रेपो रेट में हुई थी बढ़ोत्तरी :
बताते चलें, देश में बढ़ती महंगाई के बीच सख्त होती ग्लोबल मोनिटरी पॉलिसी के बीच भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मई और जून में रेपो रेट में कुल 90 आधार अंकों की वृद्धि की गई थी। इसके लिए ग्लोबल तौर पर अप्रैल से ही संकेत मिलने शुरू हो गए थे। वैश्विक स्तर पर कमोडिटी की कीमतों में बढ़ोत्तरी ने मुद्रास्फीति को पूरे साल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की 6% के ऊपरी टोलरेंस लेवल से ऊपर रखा है। जबकि, बढ़ती लागत के लिए भारत की राजकोषीय प्रतिक्रिया (Fiscal Response) मामूली रही है।
मुद्रास्फीति का अनुमान :
रॉयटर्स के 4 जुलाई से 11 जुलाई तक के लिए जताए गए पोल के पूर्वानुमान के अनुसार, Q3 में मुद्रास्फीति 7.3% और Q4 2022 में मुद्रास्फीति 6.4% देखने को मिल सकती है। जबकि, पिछले पोल में, मुद्रास्फीति को वर्ष के अंत तक RBI के टोलरेंस बैंड के अंदर आने के बारे में कहा गया था। इस मामले में पैंथियन माइक्रोइकॉनमिक्स के अर्थशास्त्री मिगुएल चांको (Miguel Chanco) ने कहा था कि, “भारत में मुद्रास्फीति क्षेत्र के अन्य हिस्सों की तुलना में बहुत अधिक तकलीफ दे सकती है। चीजें बेहतर होंगी, लेकिन वे एशिया के अन्य हिस्सों में बहुत तेजी से बेहतर होंगी।"
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