आरबीआई गवर्नर ने कहा कुल गैर-निष्पादित संपत्तियां जीएनपीए 8.7 प्रतिशत हो गई
इसे आप किसी तरह अच्छा नहीं मान सकते। कुल मिलाकर यह संतोषजनक स्तर नहीं
राज एक्सप्रेस। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) में कुल 8.7 प्रतिशत गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) अनुपात को लेकर केंद्रीय बैंक सहज नहीं है। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र में स्थित सहकारी बैंकों को इस अनुपात को बेहतर करने के लिए काम करने की जरूरत है।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में आयोजित सम्मेलन में यूसीबी के निदेशकों को संबोधित करते हुए शक्तिकांत दास ने आग्रह किया कि ऐसे कर्जदाताओं को काम करने के तरीके में सुधार करना चाहिए, संबंधित-पक्ष से लेनदेन से बचना चाहिए और अन्य बातों के अलावा कर्ज जोखिमों पर पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में स्थित सहकारी बैंकों के लिए काम जारी रखना बड़ी चुनौती बन गया। इस सेक्टर की चुनौतियों से निपटने के उपायों पर काम करने की जरूरत है। शहरी क्षेत्र में स्थित सहकारी बैंकों के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं, जैसा कि हाल में पंजाब एंड महाराष्ट्र बैंक में देखा जा चुका है। दास ने यूसीबी के निदेशकों से कहा कि बैंक जमाकर्ताओं पर चलते हैं और मध्यम वर्ग, गरीबों तथा सेवानिवृत्त लोगों की मेहनत की कमाई की सुरक्षा किसी मंदिर या गुरुद्वारे में जाने की तरह पवित्र है। उन्होंने कहा ओवरऑल लेवल पर कुल तस्वीर अच्छी दिखती है। हालांकि, जीएनपीए और पूंजी पर्याप्तता पर स्थिति बिल्कुल भी संतोषजनक नहीं है।
उन्होंने कहा कुल गैर-निष्पादित संपत्तियां (जीएनपीए) 8.7 प्रतिशत हो गई हैं। इसे आप अच्छा नहीं मान सकते। कुल मिलाकर यह संतोषजनक स्तर नहीं है। कमर्शियल बैंकों का जीएनपीए मार्च 2023 में दशक के सबसे बेहतर स्तर 3.9 प्रतिशत पर था और व्यापक रूप से इसमें और सुधार होने का अनुमान है। एनपीए संकट से बेहतर ढंग से निपटने के लिए दास ने सुझाव दिया कि बेहतर आकलन के साथ क्रेडिट रिस्क मैनेजमेंट पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरबीआई को हितों के टकराव या संबंधित पक्ष लेनदेन के मामलों को लेकर विवाद के बारे में पता चला है जिनसे बचने की जरूरत है।
शक्तिकांत दास ने कहा कि इसी तरह ऐसे भी मामले हैं कि जानबूझकर कर्ज न चुकाने वाले कई ऐसे व्यक्ति या व्यवसाय हैं जिनके पास भुगतान करने की क्षमता है। उन्होंने कहा बकाया कर्ज का 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा टॉप 20 इरादतन चूककर्ताओं का है। इसपर ध्यान केंद्रित करने से समग्र एनपीए में सुधार करने में मदद मिल सकती है। आरबीआई गवर्नर ने यूसीबी को परिसंपत्ति-देनदारी में विसंगतियों की निगरानी करने, पारदर्शी लेखांकन व्यवहार का पालन करने और आवश्यकताओं तथा खर्च करने की क्षमता के आधार पर लोगों की भर्ती करना चाहिए।
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