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8 से 10 अगस्त के बीच होगी आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक, महंगाई को रोकना सबसे बड़ी चुनौती

महंगाई के मोर्चे पर मौजूद चुनौतियों और आर्थिक विकास की गति को बनाए रखने के लिए आरबीआइ एमपीसी बैठक में रेपो रेट को एक बार फिर स्थिर रखने का फैसला कर सकता है।

Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • विशेषज्ञों का अनुमान है कि आगे रेपो रेट को बरकरार रख सकती है रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति

  • रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने आखिरी बार फरवरी में रेपो रेट में 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी की गई थी

राज एक्सप्रेस । महंगाई के मोर्चे पर मौजूद चुनौतियों और आर्थिक विकास की गति को बनाए रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) अपनी अगामी मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट को एक बार फिर स्थिर रखने का फैसला कर सकता है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) पर आधारित भारत की खुदरा महंगाई दर जून माह में बढ़कर तीन महीने के उच्चतम स्तर 4.81 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।

आरबीआइ गवर्नर की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक 8 से 10 अगस्त के बीच होनी है। बैठक में लिए गए नीतिगत फैसलों का ऐलान 10 अगस्त को गवर्नर शक्तिकांत दास करेंगे। दरअसल, रेपो रेट में बढ़ोतरी पिछले साल मई में होना शुरू हुई थी।

महंगाई के बाद भी आरबीआइ की सीमा से नीचे है महंगाई

आखिरी बार फरवरी में रेपो रेट में 25 आधार अंकों की बढ़ोतरी की गई थी और नीतिगत ब्याज दरें 6.5 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच गई थीं। अप्रैल और जून में हुईं एमपीसी की बैठक में रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया था। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई दर जून में बढ़कर तीन महीने के उच्चतम स्तर 4.81 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। महंगाई बढ़ने का प्रमुख कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में इजाफा होना है। हालांकि, मुद्रास्फीति आरबीआइ के छह प्रतिशत की सहनीय सीमा से नीचे बनी हुई है।

सरकार ने केंद्रीय बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनी रहे। केंद्रीय बैंक एमपीसी की बैठक के दौरान कोई भी फैसला करते समय सीपीआइ को ध्यान में रखता है। जुलाई की महंगाई दर के आंकड़े 14 अगस्त को जारी होंगे।

नीतिगत दरों में किसी बदलाव की उम्मीद नहीं

टमाटर और अन्य सब्जियों के साथ-साथ खाद्यान्न की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से खाद्य वस्तुओं की कीमतों में घरेलू उछाल को ध्यान में रखते हुए एमपीसी की ओर से नीतिगत दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं करने की संभावना है। भारत और अमेरिका में नीतिगत दर का अंतर ऐतिहासिक रूप से निम्न स्तर पर आ गया है और जल्द ही इसका प्रभाव निवेश पर भी निश्चित ही दिखाई देगा। उम्मीद है कि आरबीआइ वित्त वर्ष की शेष अवधि के लिए विकास अनुमान को अपरिवर्तित रखते हुए अपने स्वयं के मुद्रास्फीति अनुमानों को और ऊपर ले जाएगा।

वैश्विक कारकों को ध्यान में रखेगा आरबीआइ'

पंजाब एंड सिंध बैंक के प्रबंध निदेशक स्वरूप कुमार साहा ने कहा कि आरबीआइ फैसला लेते समय वैश्विक कारकों को भी ध्यान में रखेगा। हाल ही में अमेरिकी फेडरल रिजर्व सहित अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों की गई बढ़ोतरी को भी ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि समग्र स्थिति को देखते हुए मेरा अनुमान है कि आरबीआइ रेपो रेट को मौजूदा स्तर पर बरकरार रखेगा। अगर वैश्विक स्थिति स्थिर रहती है तो ब्याज दर अगले 2-3 तिमाहियों तक स्थिर रहने की उम्मीद है। एलआइसी हाउसिंग फाइनेंस के प्रबंध निदेशक त्रिभुवन अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय बैंक द्वारा नीतिगत ब्याज दरों में छेड़छाड़ किए जाने की संभावन नहीं है। निकट भविष्य में भी ब्याज दर के स्थिर रहने की संभावना है।

आरबीआई की एमपीसी में होते हैं कुल छह सदस्य

पिछली एमपीसी बैठक के बाद से मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ गया है। सब्जियों की कीमतों में तेजी ने अगले 2-3 महीनों के लिए अपेक्षित मुद्रास्फीति को छह प्रतिशत से ऊपर पहुंचा दिया है। अनाज और दाल की कीमतें भी बढ़ी हैं। हमें उम्मीद है कि आरबीआइ नीतिगत दरों में किसी तरह का बदलाव नहीं करेगा। एमपीसी में छह सदस्य होते हैं। आरबीआइ के तीन अधिकारियों सहित तीन बाहरी सदस्य होते हैं। पैनल के बाहरी सदस्य शशांक भिड़े, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा हैं। गवर्नर दास के अलावा, एमपीसी में अन्य आरबीआइ अधिकारी राजीव रंजन (कार्यकारी निदेशक) और माइकल देबब्रत पात्रा (डिप्टी गवर्नर) हैं।

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