राज एक्सप्रेस। भारत में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण किए लॉकडाउन के कारण से देश की अर्थव्यवस्था काफी हद तक बिगड़ी है। जिसका बुरा असर लगभग अलग-अलग सभी सेक्टर्स पर पड़ा है। इसी के चलते देश में बैंकिंग सेक्टर भी काफी प्रभावित हुआ है। वहीं, हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा अपनी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट (FSR) को लेकर आशंका जताई। RBI के अनुसार मार्च 2021 तक बैंकों का सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) बढ़ोतरी हो सकती है।
RBI का अनुमान :
दरअसल, RBI द्वारा वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट को लेकर आशंका जताते हुए मार्च 2021 के लिए बैड लोन यानी एनपीए के 12.5-14.7 % तक होने की आशंका जताई है। यानि की RBI द्वारा बैंकों के NPA में 8.5% बढ़ोतरी हो सकने की अशंका जताई गई है। इसके अलावा RBI की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार ग्रॉस NPA में काफी बढ़ोतरी हो सकती है। वहीं, सरकारी बैंकों को लेकर RBI ने मार्च 2021 तक ग्रॉस NPA का अनुमान 11.3% से बढ़कर 15.2% बताया है। जबकि, मार्च 2020 में बैंकों का NPA 8.5% था।
NPA का अनुपात :
बताते चलें, लॉकडाउन के दौरान देश को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। इस दौरान न जाने कितने लोगों की नौकरी चली गई और न जाने कितने सेक्टर्स को लाखों -करोड़ो का नुकसान उठाना पड़ा। वहीं, इसी दौरान जब मार्च के समाप्त सप्तहा के दौरान बैंकों के NPA का अनुपात 8.5% था। बताते चलें, भारत के NPA का अनुपात दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक अनुपात में शामिल किया जाता है। बीते 2 सालों के दौरान बैंकिंग सेक्टर को हुए आर्थिक नुकसान के कारण इसमें काफी बढ़ोतरी हुई है।
मोहलत खत्म होने पर लोन बदल सकते हैं NPA में :
RBI के अनुसार, यदि बैंकों की लोन बुक की स्थिति में आने वाले समय में कोई सुधार नहीं आता है तो, इस का सीधा असर कैपिटल बफर पर पड़ेगा और वह अधिक प्रभावित होने का भी अनुमान है। इससे बैंकों को जरूरत के समय कंपनियों को लोन देना कठिन हो जाएगा। हालांकि, RBI ने बताया है कि, लोन भुगतान में 3 महीने का समय देने कंपनियों को कुछ हद तक राहत मिली है, लेकिन जब अगस्त में यह मोहलत खत्म होगी तब अचानक ही कई बैंकों के लोन NPA में बदल सकते हैं।
RBI का कहना :
RBI का कहना है कि, यदि माइक्रोइकॉनमिक एनवायरमेंट और बदतर होता है तो बैंकों का यह NPA का अनुपात 14.7% तक भी पहुंच सकता है। इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर के बैंकों में ICICI बैंक से लेकर यस बैंक तक कई बैंकों ने पूंजी बढ़ाने को लेकर की गई शेयर बेचकर पूंजी जुटाने के ऐलान का मुख्य कारण ही यही है कि, उन्हें भविष्य में अपने लोन को NPA में बदलने का डर सता रहा है।
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