Ratan Tata support the elderly : कई बार आपने देखा होगा कि, लोग अपने बुजुर्ग माता-पिता को बोझ समझकर अनाथालय या किसी आश्रम में छोड़ आते हैं। कुछ दुनिया वाले क्या कहेंगे इस डर से कही छोड़ते तो नहीं है, लेकिन उन्हें बोझ जैसा समझते हैं। वह ना ही उनसे सही से बात करते है और ना ही उनके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं। वहीं, अब ऐसे बुजुर्गों का बेड़ा उठाने जा रहे हैं नमक से लेकर बड़े-बड़े उद्योग चलाने वाले टाटा ग्रुप (Tata Group) के मालिक रतन टाटा (Ratan Tata)।
रतन टाटा उठाएंगे देशभर के बुजुर्गो की जिम्मेदारी :
जी हां, देश के दिग्गज उद्योगपतियों में शुमार रतन टाटा (Ratan Tata) ने अब देशभर के बुजुर्गों की जिम्मेदारी उठाने का मन बना लिया है। इसके लिए उन्होंने बुजुर्गों के साथ दोस्ती को प्रोत्साहन देने के लिए एक गुड फेलो स्टार्टअप भी लॉन्च किया है। इस स्टार्टअप की शुरुआत कॉर्नेल विश्वविद्यालय से MBA शांतनु नायडू द्वारा की गई है। इस गुड फेलो की लांचिंग के समय Ratan Tata भी मौजूद रहे। Ratan Tata ने कहा कि, "आप नहीं जानते है कि, अकेले रहना कैसा होता है जब तक आप अकेलेपन की चाह में अकेले समय नहीं बिताते।"
शुरू किया नया 'गुड फेलो' स्टार्टअप :
बताते चलें, यह 'गुड फेलो' स्टार्टअप द्वारा वरिष्ठ नागरिकों को कई तरह की सहायता प्रदान करेगा। जो भारत में मौजूद अकेले बुजुर्ग रहते हैं वह इस स्टार्टअप का लाभ ले सकते हैं। आपको जानकार हैरानी होगी कि, वर्तमान समय में पूरे देशभर में 15 लाख बुजुर्ग अकेले रह रहे हैं। यह इस तरह के बुजुर्ग हैं। इनमें से या तो एक साथी के के निधन हो गया है या कोई अपरिहार्य कारणों के चलते परिवार से दूर रहता है। ऐसे लोगों की मदद जरने के मकसद से गुड फेलो स्टार्टअप शुरू किया गया है। बता दें, गुड फेलो का बिजनेस मॉडल एक प्रीमियम सब्सक्रिप्शन मॉडल है।
शांतनु नायडू ने की स्टार्टअप की स्थपना :
बताते चलें, हाल ही में रतन टाटा अपने ही Tata group से रिटायर हो गए है और उसके बाद से ही वह लगातार स्टार्टअप कंपनियों को सपोर्ट करते नज़र आते हैं। इसी तरह रतन टाटा अब तक लगभग 50 से ज्यादा कंपनियों में निवेश कर चुके हैं। उन्हीं ही की तरह इस नए स्टार्टअप में भी रतन टाटा ने निवेश कर शांतनु नायडू द्वारा कंपनी की स्थापना करने में मदद की है। बता दें, 30 वर्षीय शांतनु नायडू ने कॉर्नेल विश्वविद्यालय में पढ़ाई की है। वह टाटा ग्रुप से 2018 से जुड़े हैं और वह ग्रुप में महाप्रबंधक भी हैं।
कैसे करेगा यह कार्य :
जानकारी के अनुसार, यह स्टार्टअप युवा स्नातकों (Graduates) को वरिष्ठ नागरिक ग्राहकों के साथी के रूप में 'काम' करते हैं। एक साथी सप्ताह में 3 बार ग्राहक के पास जाता है और 4 घंटे तक रहता है। 1 महीने की फ्री सर्विस के बाद कंपनी 1 महीने के लिए 5,000 रुपये मासिक शुल्क लेती है। हालांकि, गुड फेलो वित्तीय राजधानी में बीटा चरण में 6 महीने पहले से कार्य कर रही है। फ़िलहाल कंपनी 20 बुजुर्गों के साथ काम कर रही है। यह सर्विस फिलहाल कंपनी की योजना पुणे, चेन्नई और बेंगलुरु में सेवा शुरू करने की है।
शांतनु नायडू का कहना :
शांतनु नायडू का कहना है कि, 'मनोवैज्ञानिकों की मदद से वरिष्ठ नागरिक के साथी के रूप में काम करने के लिए सही उम्मीदवार का चयन करने के लिए एक मॉडल विकसित किया है।'
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