राज एक्सप्रेस। पिछले कुछ दिनों से योग गुरु बाबा रामदेव अपने विवादित बयान के चलते लगातार चर्चा में बने हुए हैं। हालांकि, उन्होंने अपना बयान वापस ले लिया था, इसके बावजूद भी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) उत्तराखंड के राष्ट्रीय प्रमुख डॉ जेए जयलाल ने इस मामले में अपना बयान देते हुए कुछ शर्त रखी हैं, लेकिन अब बाबा रामदेव इस मामले को खत्म करना चाहते हैं। इसी मंशा से उन्होंने एक बड़ा बयान दिया है।
बाबा रामदेव का बड़ा बयान :
दरअसल, पिछले कुछ दिनों से लगातार चल रहा एलोपैथी पर दिए बयान वाले मामले को अब योग गुरु रामदेव ख़त्म करना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि,
'यदि एलोपैथी में सर्जरी व लाइफ सेविंग ड्रग्स हैं तो शेष 98% बीमारियों का योग-आयुर्वेद में स्थायी समाधान है, हम इंटीग्रेटेड पैथी के पक्ष में हैं। योग-आयुर्वेद को स्यूडो-साईंस और अल्टरनेटिव थैरेपी कहकर मजाक उड़ाना व नीचा दिखाने की मानसिकता को देश बर्दाश्त नही करेगा।'बाबा रामदेव, योग गुरु
'हमारा अभियान एलोपैथी व श्रेष्ठ डाक्टर्स के खिलाफ नहीं है। हम मॉडर्न मेडिकल साइंस और डॉक्टर्स का सम्मान करते हैं। अभियान उन ड्रग माफियाओं के खिलाफ है जो 2 रुपये की दवाई को 2000 में बेचते हैं और गैरजरूरी ऑपरेशन व टेस्ट और अनावश्यक दवा का धंधा करते हैं। हम इस विवाद को खत्म करना चाहते हैं।'बाबा रामदेव, योग गुरु
क्या था मामला :
बताते चलें, बीते दिनों बाबा रामदेव ने अपने एक बयान कहा था कि, 'एलोपैथी ‘मूर्खतापूर्ण विज्ञान’ है। बाबा रामदेव ने यहां तक कह डाला कि एलोपैथी दवाएं लेने के बाद लाखों की संख्या में मरीजों की मौत हुई है। इस बयान का वीडियो काफी वायरल हो रहा था और इस पर बयान के बाद बाबा रामदेव काफी विवादों में घिर गए थे। इस मामले ने इतना तूल पकड़ लिया था, कि बाबा रामदेव ने अपने उस बयान को वापस ले लिया है। इस पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) उत्तराखंड ने पिछले दिनों रामदेव बाबा से लिखित में मांफी की मांग की थी। साथ ही उन्हें 15 दिनों का समय देते हुए उन पर 1000 करोड़ का मामला दर्ज करवाया था।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री का बाबा रामदेव को पत्र :
बताते चलें, पिछले दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन ने बाबा रामदेव को पत्र लिख संदेश दिया था। इसके बाद योग गुरु बाबा रामदेव ने अपना बयान वापस ले लिया, लेकिन इसके तुरंत बाद रामदेव ने डॉक्टरों और फार्मा कंपनियों से 25 सवाल पूछते हुए एक अन्य लेटर लिखा था। जिसके कारण वह एक बार फिर मुश्किल में आगये थे।
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