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आज के ही दिन 2015 में शुरू हुई थी पीएम मुद्रा योजना, इसके तहत 40 करोड़ से ज्यादा युवाओं ने शुरू किया स्वरोजगार

पीएम मुद्रा योजना शुरू हुए 8 साल पूरे हो गए हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने 8 अप्रैल 2015 को ग्रामीण इलाकों में छोटे उद्धम शुरू करने के लिए यह योजना शुरू की थी।

Aniruddh pratap singh

राज एक्सप्रेस। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमवाई) शुरू हुए 8 साल पूरे हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 अप्रैल 2015 को ग्रामीण इलाकों में छोटे उद्धम शुरू करने के लिए 10 लाख रुपये तक लोन देने वाली योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत अब तक 40.82 करोड़ युवाओं को 23.2 लाख करोड़ रुपये का लोन बांटा जा चुका है। इस योजना के तहत सरकार देश में स्वरोजगार को बढ़ावा देने का प्रयास करती है। इस योजना की 8वीं वर्षगांठ के अवसर पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारणण ने कहा कि योजना के तहत 68 फीसदी लोन महिला उद्यमियों को दिए गए, जबकि 51 फीसदी लोन अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के उद्यमियों को दिए गए हैं।

50 हजार से 10 लाख रुपये तक मिलता है लोन

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि एमएसएमई सेक्टर में इजाफे ने 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम में बड़े पैमाने पर योगदान दिया है। इस योजना के तहत लोन तीन कैटेगरी- शिशु, किशोर और तरुण में दिया जाता है। आप शिशु लोन के तहत 50 हजार रुपये, किशोर लोन के तहत 50 हजार से 5 लाख रुपये और तरुण लोन के तहत 5 लाख से 10 लाख रुपये तक लोन ले सकते हैं। लोन की ब्याज दरें लोन देने वाली संस्थाएं तय करती हैं। वित्तमंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार कुल 40.82 करोड़ लोगों द्वारा दिए गए लोन में से 33.54 करोड़ लोन शिशु कैटेगरी के हैं। वहीं किशोर कैटेगरी के तहत 5.89 करोड़ और तरुण के तहत 81 लाख लोगों को लोन दिया गया है।

ऐसे कर सकते हैं इस लोन के लिए अप्लाई

इस योजना के तहत आवेदन करने के लिए आपके पास पासपोर्ट साइज फोटो, पासपोर्ट, वोटर आईडी कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस जैसे डॉक्यूमेंट होने चाहिए। इस योजना के तहत आपको बैंक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (एमएफआई) से लोन मिलता है। आप मुद्रा.ओआरजी.कॉम पर जाकर इसके लिए अप्लाई कर सकते हैं। यह लोन मुख्य रूप से स्वरोजगार शुरू करने के लिए दिया जाता है। इसके पीछे मकसद यही है कि अधिक से अधिक लोगों को ग्रामीण रोजगार से जोड़ा जाए, ताकि ग्रामीण इलाकों में रोजगार का संकट नहीं पैदा हो।

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