राज एक्सप्रेस। भारत में कोरोना वायरस की जंग अभी भी जारी है। ऐसे में इस वायरस से लड़ने के लिए पूरी दुनिया फिलहाल सिर्फ वैक्सीन पर निर्भर है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत में वैक्सीनेशन का दायरा काफी बढ़ा दिया गया है। ऐसे में देश में वैक्सीन की कमी को देखते हुए विदेशों की वैक्सीन भी अब भारत आने लगी है, लेकिन विदेशों से मंगवाई गई वैक्सीन फाइजर (Pfizer) और मॉडर्ना (Moderna) को वैक्सीनेशन अभियान में शामिल नहीं किया जाएगा।
वैक्सीन नहीं होगी वैक्सीनेशन अभियान का हिस्सा :
दरअसल, अब भारत में स्वदेशी वैक्सीन की कमी को देखते हुए अमेरिका, रूस जैसे अन्य देशों से भी वैक्सीन भी मंगवाई जा रही है। जो अब भारत आना अब शुरु हो चुकी है, लेकिन सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन को सरकार द्वारा चलाए जा रहे कोरोना के वैक्सीनेशन अभियान का हिस्सा ना बनाने का ऐलान किया है। इसका सीधा मतलब ये है कि, इन वैक्सीन को लगवाने के लिए लोगों को भुगतान करना पड़ेगा और सरकार भले यह वैक्सीन मुहैया करा देंगी लेकिन सरकारी सेंटर्स पर भी यह वैक्सीन फ्री में नहीं लगेगी।
केंद की चल रही कंपनियों से बात :
खबरों की मानें तो, केंद्र सरकार की ये दोनों ही वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों से बातचीत जारी है और काफी आगे के चरणों में पहुंच चुकी है। खबर तो यह भी है कि, भारत में जुलाई तक फाइजर वैक्सीन भी उपलब्ध हो जाएगी। वहीं, इन दोनों की कीमत ज्यादा होने की बात सामने आई है। इसी कारण इसकी खरीद बल्क में कम होगी। केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए कहा कि, "हम खरीद में मदद करेंगे क्योंकि इन दोनों कंपनियों ने कहा कि वे केवल संप्रभु सरकारों से ही सौदे करती हैं। लेकिन ये टीके अधिकतर निजी अस्पतालों में उपलब्ध होंगे।"
वैक्सीन मुफ्त में नहीं देने का कारण :
सरकार फाइजर (Pfizer) और मॉडर्ना (Moderna) वैक्सीन को मुफ्त में उपलब्ध नहीं कराएगी। इसका मुख्य कारण कोल्ड चेन मैनेजमेंट है। इन दोनों ही वैक्सीन को 0 डिग्री सेल्सियस के नीचे के तापमान पर स्टोर करना होता है और ऐसा केवल बड़े अस्पतालों में ही हो सकता है। और इसके बावजूद भी यदि सरकार देशवासियों को यह वैक्सीन मुफ्त में देती है तो उसे कोल्ड चेन के लिए बहुत बड़ा निवेश करना होगा। इसलिए सरकार को यह वैक्सीन फ्री में नहीं दे सकती।
अधिकारी ने कहा :
केंद्र सरकार के अधिकारी ने कहा, "लक्ष्य चुनौतीपूर्ण जरूर है क्योंकि हम कम से कम 40% वयस्क आबादी को एक डोज तो लगा दी देना चाहते हैं।" उन्होंने कहा, "इसके लिए हमें वैक्सीन की खरीद बढ़ानी होंगी। अगर हमें पहुंच बढ़ानी है तो और टीकों की जरूरत पड़ेगी। फाइजर और माडर्ना जैसे महंगे टीकों में निवेश तर्कसंगत नहीं लगता। भारत का वैक्सीन बिल 34,000 करोड़ से ज्यादा होना तय है। एक अनुमान लें तो अभी 50,000 करोड़ से ज्यादा। भारत को 95 करोड़ की आबादी को कवर करना है। यानी अगर बर्बादी को भी ध्यान में रखें तो 195 करोड़ डोज की जरूरत पड़ेगी।"
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