राज एक्सप्रेस। आज देश की जनता से यदि आप पूछोगे की पिछले दिनों देश में सबसे ज्यादा महंगाई किस चीज से बढ़ी है ,तो लगभग सभी के मुंह पर एक ही नाम होगा पेट्रोल-डीजल क्योंकि, पिछले साल से ही पेट्रोल-डीजल की कीमतें देश में जंगल की आग की तरह बढ़ी है। आज भले ही वाहन चालकों को पेट्रोल-डीजल महंगा मिल रहा हो उसके बाद भी पेट्रोल पंप डीलर्स की कमाई में गिरावट दर्ज हुई है। जिसके चलते वह ज्यादा कमीशन को लेकर मांग कर रहे हैं और अब तो यह मामला सुप्रीम कोर्ट जा पंहुचा है।
पेट्रोल पंप डीलर्स ने रखी मांग :
दरअसल, पेट्रोल-डीजल की कीमते लगातार बढ़ने के बाद भी पेट्रोल पंप डीलर्स की जेब में कुछ नहीं जा रहा है। जिसके चलते उन्होंने ज्यादा कमीशन की मांग की है। डीलर्स का कहना है कि, 'कमाई अब बेहद कम हो गई है।' इसी मांग के साथ ही उन्होंने तेल कंपनियों से कमीशन बढ़ाने की मांग की है। जबकि कंपनियां अभी कमीशन बढ़ाने के लिए बिलकुल तैयार नहीं है। इसी मामले के विरोध को लेकर पिछले दिनों पेट्रोल पंप बंद भी रखे गए थे। हालांकि, इस खींचतान में अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा है तो अब इस मामले में अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट का ही होगा।
वरिष्ठ अधिकारी ने बताया :
बताते चलें, इस मामले में एक एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि, 'मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। लिहाजा सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (OMC) फिलहाल डीलरों का कमीशन नहीं बढ़ाना चाहती हैं। डीलरों ने भी पिछली बार हुई बढ़ोतरी का लाभ अभी तक कर्मचारियों को नहीं दिया है। साल 2017 में डीलरों का कमीशन 55% बढ़ाया गया था, लेकिन इससे होने वाले लाभ को पंप पर काम करने वाले कर्मचारियों तक नहीं पहुंचाया गया। चूंकि अभी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधानी है, लिहाजा कंपनियां अभी कमीशन रिवाइज करने पर कोई फैसला नहीं कर सकती हैं।'
मामला कैसे पंहुचा सुप्रीम कोर्ट :
खबरों की मानें तो, पेट्रोल पंप एसोसिएशन इससे पहले भी कई बार OMC से कमीशन बढ़ाने को लेकर मांग उठा चुके हैं, लेकिन इस मामले में अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया। इसी के चलते उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील की थी। जब दिल्ली हाईकोर्ट ने OMC के पक्ष में फैसला सुना दिया तो डीलर के इस संगठन ने अपनी मांग को लकेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खट खटाया है। OMC ने हाईकोर्ट में अपनी बात रखते हुए कहा कि, 'डीलरों ने पिछली बार की गई बढ़ोतरी का लाभ अपने कर्मचारियों तक नहीं पहुंचाया। उन्हें अपने कर्मचारियों को केंद्र की ओर से तय मिनिमम वेज के साथ पीएफ, बोनस और ग्रेच्युटी भी देना चाहिए।
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