राज एक्सप्रेस। बीते सालों में देश में कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के कारण देशों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। हालांकि, उस समय कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन पिछले साल तेल की कीमतों में काफी बढ़त दर्ज हुई थी। जो दुनियाभर में लगभग दो साल बाद अपने उच्च स्तर पर जा पहुंची थी। वहीं, हाल ही में कच्चे तेल की बढ़ी हुई कीमतें बीते 8 सालों के अपने उच्चतम स्तर पहुंच गई थीं। वहीं, अब रूस और यूक्रेन की जंग के चलते कच्चे तेल (क्रूड ऑइल) की कीमतों में लगातार बढ़त दर्ज हो रही है। जिसके चलते ऐसा माना जा रहा है कि, अब पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी बढ़ेंगी।
कच्चे तेल में दर्ज की जा रही बढ़त :
पिछले साल के दौरान देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार बढ़ती ही गई थीं। हालांकि, इस साल की शुरुआत से अब तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई खास बढ़त दर्ज नहीं की गई है, लेकिन ऐसे में ये खबर सामने आई है कि, दुनियाभर में कच्चे तेल यानी क्रूड की की कीमतें बढ़ने से पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं। इस बढ़त के तहत ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत गुरुवार को 115 डॉलर प्रति बैरल के पार नजर आई। इन हालातों को देख कर यह कहना बहुत ही आसान है कि, अब भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमत लगभग बढ़ेंगी ही। जबकि, देश में पिछले 120 दिनों से पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर है। इनमें कोई बढ़त दर्ज नहीं हुई है। वहीं, कच्चे तेल की कीमत लगभग 70% तक बढ़त दर्ज कर चुकी है।
PM मोदी ने किया आग्रह :
बताते चलें, यूक्रेन और रूस के युद्ध का असर अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर नजर आरहा है। इसी के चलते Brent Crude Index पर कच्चे तेल की कीमत आज एक बार फिर बीते 7 साल के सबसे ऊंचे स्तर यानी 119 डॉलर प्रति बैरल पर नजर आई है। ऐसे में गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने युद्ध से ग्लोबल सप्लाई चैन पर पद रहे बहुत बुरे असर को लेकर उद्योग जगत को आगाह किया है। उन्होंने अपने आग्रह में कहा कि, "वैश्विक महामारी के दौर में विश्व में सप्लाई चेन तहस-नहस हो गई और इन दिनों तो हम विशेष तौर पर देख रहे हैं कि सप्लाई चेन के विषय ने पूरी दुनिया की इकोनामी को हिला कर रख दिया है।"
पिछले 2 महीनों में सबसे ज्यादा हुआ महंगा :
खबरों की मानें तो, रूस और यूक्रेन युद्ध का सबसे ज्यादा असर जिस चीज पर नजर आरहा है वो है कच्चा तेल। क्योंकि रूस तेल का बहुत बड़ा निर्यातक देश है। देखा जाए तो जब से युद्ध के हालात बने हैं यानी बीते 2 महीनों में कच्चा तेल काफी महंगा हुआ है, लेकिन इस दौरान भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़त नहीं देखी गई। इसकी वजह से तेल कंपनियों पर आर्थिक बोझ तेजी से बढ़ रहा है। कच्चा तेल महंगा होने से हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई पेट्रोल और डीजल की कीमत बढाकर की जाएंगी। इन कीमतों में 8 से 10 रूपये तक की बढ़ोतरी की जा सकती है।
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