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भारत को कब और किस कीमत में प्राप्त होगी ऑक्सफ़ोर्ड निर्मित वैक्सीन

सोमवार को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका द्वारा कोरोना वैक्सीन तैयार करने की खबर सामने आई थी। वहीं अब यूनिवर्सिटी द्वारा इस बात का खुलासा किया गया है कि, वैक्सीन भारत को कब तक प्राप्त होगी।

Author : Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। कोरोना वायरस के चलते दुनियाभर के देश परेशान हैं। लगभग सभी देशों में कोरोना का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही चला जा रहा है ऐसे में सोमवार को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) और फार्मासूटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा "AZD1222" नामक कोरोना की वैक्सीन तैयार करने की खबर सामने आई थी। वहीं अब यूनिवर्सिटी द्वारा इस बात का खुलासा किया गया है कि, यह वैक्सीन भारत को कब तक प्राप्त हो सकेगी।

भारत को कब तक प्राप्त हो सकेगी ?

बताते चलें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा कोविड-19 की वैक्सीन निर्मित करने का दावा किया गया था। इतना ही नहीं इसके ह्यूमन ट्रायल के सफल परीक्षण को लेकर भी खबरें सामने आई थी। हालांकि इसके अगले चरण का ट्रायल होना अभी बाकी है। परंतु अब तक हुए सारे ट्रायल में ये कोरोना वैक्सीन सफल रही है। यदि यह अपने अगले चरण में भी सफल हो जाती है तो यह ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और फार्मासूटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा तैयार की गई "AZD1222" कोरोना वैक्सीन नवंबर तक भारत में उपलब्ध हो जाएगी। बताते चलें भारत में इस वैक्सीन की कीमत 1 हजार रूपये प्रति वैक्सीन होगी।

वैक्सीन के निर्माण की तैयारी :

खबरों के अनुसार, इस ट्रायल के काफी हद तक सफल होने के बाद सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया ने इस वैक्सीन के निर्माण की तैयारी शुरू कर अभी से इसका कार्य शुरू कर दिया है। इस बारे में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया के प्रमुख अदार पूनावाला ने बताया कि, इस दवा को निर्मित करने के लिए 200 मिलियन डॉलर का जोखिम उठाया गया है।

कंपनी ने बताया :

बताते चलें, एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार की गई कोरोना वैक्सीन विकसित करने में दुनिया में दवा बनानेवाली सबसे बंड़ी कंपनियों में से एक कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) भी अपना योगदान दे रही है। सीरम है। इस वैक्सीन को लेकर सीरम कंपनी ने बताया है कि, देश में इस वैक्सीन की जरूरत को देखते हुए वह इस पर काम कर रही है यदि यह वैक्सीन अपने अगले चरण के ट्रायल में सफल नहीं हुई तो, कंपनी को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। परंतु यदि यह वैक्सीन अपने अगले और अंतिम चरण में सफल रही तो यह देश के लिए फायदेमंद साबित होगी।

वैक्सीन की टेस्टिंग ऑफ़ ट्रायल :

गौरतलब है कि, इस वैक्सीन के पहले चरण में परीक्षणों के अच्छे रिजल्ट रहे थे जितने भी लोगों पर ट्रायल किया गया था, उनमें से किसी पर भी कोई गंभीर साइड इफेक्ट का संकेत नहीं मिला। इसलिए इस वैक्सीन के एंटीबॉडी बनाना शुरू कर दिया गया है। बताते चलें, वैक्सीन तैयार करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी सीरम इंस्टीट्यूट का कहना है कि, इस वैक्सीन को भारत में हर एक व्यक्ति के लगने में लगभग 2 साल का समय लग सकता है।

सीरम इंस्टीट्यूट ने बताया :

सीरम इंस्टीट्यूट ने आगे बताया कि, "हम अगस्त में भारत में चरण 3 के परीक्षणों पर जाने के लिए आश्वस्त हैं और हम उम्मीद करते हैं कि, तीसरे चरण के परीक्षण को पूरा होने में लगभग 2 से ढाई महीने लगेंगे। यह नवंबर तक पूरा हो जाएगा और भारत के लोगों के लिए सीरम इंस्टीट्यूट में निर्मित कोविशिल्ड लगभग 60 मिलियन शीशियों का स्टॉक तैयार किया जाएगा। जिसमें से आधा भारत में रहेगा आधा अन्य देशों को दिया जाएगा। यानी कि, हर महीने लगभग 60 मिलियन शीशियों में से, भारत को 30 मिलियन मिलेंगे।

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