राज एक्सप्रेस। आज देश की सबसे बड़ी दो समस्यायों में से एक धीरे-धीरे करके कुछ कम होती नजर आ रही है, लेकिन दूसरी तो कम होने का नाम ही नहीं ले रही है हालांकि, दिवाली पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कुछ कमी दर्ज होने के बाद से यह कीमतें कुछ थमी सी चल रही हैं, जिससे वाहन चालकों को कुछ राहत मिली है। उधर, 'तेल उत्पादक एवं निर्यातक देशों के संगठन' (OPEC) और अन्य सहयोगी देशों ने अक्टूबर में तेल उत्पादन और घटा दिया।
अक्टूबर में तेल उत्पादन और घटा :
दरअसल, OPEC-प्लस ने क्रूड की बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने के लिए उत्पादन बढ़ाने का भरोसा दिया था। जबकि, OPEC और अन्य सहयोगी देशों ने अक्टूबर में तेल उत्पादन और घटा दिया। वहीं, OPEC-प्लस ने सितंबर में अपनी कुल उत्पादन क्षमता से 115% कटौती की थी इसके बाद अक्टूबर में इसे बढ़ाकर 116% कर दिया गया। बताते चलें, पिछले महीनों देश की 'तेल उत्पादक एवं निर्यातक देशों के संगठन' (OPEC) समूह के साथ हुई बैठक हुई थी। जिसके बाद सऊदी अरब सहित अन्य उत्पादकों ने कीमत थमने के लिए आपूर्ति बढ़ाने का भरोसा दिलाया था, हालांकि ऐसा हुआ नहीं है।
OPEC ने नियमों में सख्ती बरती :
बताते चलें, 'तेल उत्पादक एवं निर्यातक देशों के संगठन' (OPEC) द्वारा अब कुछ नियमों में सख्ती बरती है। यह सख्ती संगठन में शामिल होने के नियमों में बरती गई है, जबकि उधर गैर OPEC (Non-OPEC) देश के रूप में उत्पादन करने वाले देशों पर लागू होने वाले नियमों पर बोझ कम हो गया है। बता दें, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है और इस गिरावट का कारण यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था में गिरावट की आशंका है। यह गिरावट पिछले डेढ़ महीने का सबसे निचला स्तर है। इसके बाद ब्रेंट क्रूड में 2.78 डॉलर की गिरावट दर्ज होने यह 78.46 डॉलर प्रति बैरल पर जा पंहुचा है।
पेट्रोलियम मंत्री का कहना :
बता दें, पिछले दिनों हरदीप सिंह पुरी की सऊदी अरब, यूएई, कुवैत और रूस के पेट्रोलियम मंत्रियों के साथ बैठक हुई थी। इस बैठक के बाद पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि, 'OPEC व सहयोगी देशों को 50 लाख बैरेल की अतिरिक्त क्षमता वाले तेल को बाजार में लाना चाहिए, ताकि कीमतों पर लगाम कसी जा सके। 2021 में क्रूड की अंतरराष्ट्रीय कीमतें 60 फीसदी बढ़ चुकी हैं। हम तेल उत्पादक देशों के पास जाकर उन्हें कीमतें घटाने के लिए नहीं कह सकते। यह उनकी जिम्मेदारी है कि अपने आयातक देशों को किफायती कीमत पर ईंधन उपलब्ध कराया जाए।'
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