राज एक्सप्रेस। देश में ऑनलाइन गेमिंग का बाजार वित्त वर्ष 2022 में 2.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। 2016 में यह 54.30 करोड़ डॉलर का था। 2027 तक यह चार गुना बढ़कर 8.6 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। अरबों रुपये का बाजार होने के बावजूद ऑनलाइन गेमिंग पर नियंत्रण के लिए कोई नियमन नहीं होने के कारण कई दिक्कतें थीं। इसमें एक सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि देश में ऑनलाइन गैंबलिंग व ऑनलाइन गेमिंग के बीच कोई स्पष्ट कानूनी अंतर नहीं है। अधिकांश ऑनलाइन गेमिंग पोर्टल, जिनमें सट्टेबाजी या गैंबलिंग शामिल है, अपने ऐप को ‘कौशल वाले खेलों’ के तौर पर बताते हैं। अब जबकि केंद्र सरकार ने इस पर ध्यान केंद्रित किया है तो यह उम्मीद की जा सकती है कि अगले दिनों में इस बेहद संभावनाओं वाले क्षेत्र की गड़बड़ियों को रोकने के लिए सख्त कानून और नियामक अस्तित्व में आएंगे। सरकार अपनी प्रारंभिक पहल में इस मामले में क्या रुख अपनाने वाला है, इसकी अब तक स्पष्ट रूपरेखा सामने नहीं आई है। इस क्षेत्र में कोई भी पहल करने से पहले संपूर्ण स्थितियों का अध्ययन जरूरी है।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने गुरुवार को ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े नए नियम जारी कर इस तरह के गेम्स को प्रतिबंधित कर दिया है। सरकार ने सट्टेबाजी और जुए से जुड़े विज्ञापनों के खिलाफ भी परामर्शी चेतावनी जारी की है। इसमें सट्टेबाजी से जुड़े प्लेटफॉर्म्स को बढ़ावा नहीं देने की सलाह दी गई है। सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सेल्फ रेगुलेटेड ऑर्गेनाइजेशंस (एसआरओ) का एक प्रारूप भी जारी किया है। उन्होंने कहा ऑनलाइन गेमिंग गतिविधियों से जुड़े कई एसआरओ बनाए जाएंगे। इनमें सभी हितधारकों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। हालांकि, इनमें सिर्फ इंडस्ट्री के ही प्रतिनिधि नहीं होंगे। चंद्रशेखर ने कहा, हम एक ऐसा ढांचा खड़ा कर रहे हैं, जो यह तय करेगा कि किस ऑनलाइन गेम को एसआरओ की तरफ से अनुमति दी जा सकती है। एसआरओ भी कई संख्या में होंगे। ऑनलाइन गेम को मंजूरी देने का फैसला इस बात को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा कि उस गेम में किसी तरह से दांव या बाजी लगाने की प्रवृत्ति तो शामिल नहीं है। अगर एसआरओ को यह पता चलता है कि किसी ऑनलाइन गेम में दांव लगाया जाता है तो वह उसे मंजूरी नहीं देगा।
भारत में ऑनलाइन गेम खेलने वालों की संख्या वर्ष 2022 में 50.7 करोड़ के करीब पहुंच गई है। इसके साथ ही भारत दुनिया में सबसे ज्यादा मोबाइल गेम खेलने वाला देश बन गया है। सन 2021 में यह संख्या 45 करोड़ थी। एक मोटे अनुमान के अनुसार आनलाइन मोबाइल गेम खेलने वालों की संख्या 2025 तक 70 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगी। वर्ष 2022 में 12 करोड़ गेमर्स ऐसे रहे, जिन्होंने खेल के लिए पैसे का भी भुगतान किया। इस संबंध में की गई जांच में सामने आया है कि कई गेमिंग पोर्टल्स ने जानबूझकर भुगतान तंत्र में गड़बड़ कर रखी है। इसे ऐसे तैयार किया गया कि इनाम की रकम पहली बार तो दी जाती है, पर इसके बाद गेम खेलने वालों को या तो ब्लॉक कर दिया जाता है या भुगतान से जुड़ी दिक्कतें ऐप पर दिखाई देने लगती हैं। इंडिया मोबाइल गेमिंग रिपोर्ट 2022 के मुताबिक, सबसे ज्यादा ऑनलाइन गेम खेलने वालों में यूपी के लोग सबसे आगे हैं। इसके बाद महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार और पश्चिम बंगाल का स्थान है। इंडिया मोबाइल गेमिंग रिपोर्ट के अनुसार ऑनलाइन गेम बच्चों के व्यवहार पर काफी असर डाल रहे हैं। विशेषकर हिंसक प्रवृत्ति वाले गेम्स मस्तिष्क पर ज्यादा असर डाल रहे हैं।
ऑनलाइन गेमिंग की श्रेणी में कौन से खेल शामिल किए जाएं, इसे परिभाषित करने की जरूरत है। लेकिन दुर्भाग्य से इस ओर अब तक ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। आनलाइन गेमिंग को ‘कौशल वाले खेलों’ और ‘किस्मत आजमाने वाले खेलों’ की श्रेणी में रखा जा रहा है। इसी के आधार पर जीएसटी लगाने की बात कही गई है। अभी ‘किस्मत आजमाने वाले खेलों’ पर 28 फीसदी की दर से और ‘कौशल वाले खेलों’ पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगाई जाती है। देश में ऑनलाइन गैंबलिंग व ऑनलाइन गेमिंग के बीच कोई स्पष्ट कानूनी अंतर नहीं है। अधिकांश ऑनलाइन गेमिंग पोर्टल, जिनमें सट्टेबाजी या गैंबलिंग (जुआ) शामिल है, वो अपने ऐप या उत्पाद को ‘कौशल वाले खेलों’ के तौर पर बताते हैं। अधिकांश राज्य सरकारें ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने के समर्थन में हैं। इन तीन गेमों रमी, तीन पत्ती, फ्री फायर पर विशेष रूप से आपत्ति जताई गई है। तमिलनाडु सरकार का तर्क है कि इन ऑनलाइन सट्टेबाजी खेलों में किशोर और वयस्क अपनी पूरी कमाई और बचत खो रहे हैं।
सरकार ने गुरुवार को ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े नए नियम जारी कर इस तरह के गेम्स को प्रतिबंधित कर दिया है। सरकार ने सट्टेबाजी और जुए से जुड़े विज्ञापनों के खिलाफ भी परामर्शी चेतावनी जारी की है। इसमें सट्टेबाजी से जुड़े प्लेटफॉर्म्स को बढ़ावा नहीं देने की सलाह दी गई है। सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने सेल्फ रेगुलेटेड ऑर्गेनाइजेशंस (एसआरओ) का एक प्रारूप भी जारी किया है। उन्होंने कहा ऑनलाइन गेमिंग गतिविधियों से जुड़े कई एसआरओ बनाए जाएंगे। इनमें सभी हितधारकों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। हालांकि, इनमें सिर्फ इंडस्ट्री के ही प्रतिनिधि नहीं होंगे। नई ऑनलाइन गेमिंग नियमों का स्वागत करते हुए ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के सीईओ, रोलैंड लैंडर्स ने कहा, 'देश में ऑनलाइन गेमिंग के लिए सबसे पुराने, सबसे बड़े और सबसे डायवर्स इंडस्ट्री एसोसिएशन के रूप में हम ऑनलाइन गेमिंग को रेगुलेटेड करने के लिए आए संशोधित नियमों का स्वागत करते हैं। यह गेमर्स और ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री की लंबे समय से चली आ रही मांग थी। हमारा मानना है कि यह ऑनलाइन गेमिंग के रेगुलेशन के लिए एक निर्णायक और पहला कदम है। यह इंडस्ट्री को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रेरित करेगा।
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