हाइलाइट्स –
टेंडर रिजेक्ट होने से खफा थे धीरूभाई
उठाए थे Dhirubhai Ambani ने सवाल
Union Minister Nitin Gadkari ने खोले राज
राज एक्सप्रेस (rajexpress.co)। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Union Minister Nitin Gadkari) ने एक चैनल* से चर्चा के दौरान भारतीय सड़कों के जाल के बारे में विस्तार से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने मुंबई-पुणे एक्सप्रेस सड़क मार्ग (Mumbai-Pune Express roadway) के बारे में धीरूभाई अंबानी (Dhirubhai Ambani) से जुड़ा एक किस्सा बताया जिसमें सड़क टेंडर से जुड़ी बात का जिक्र था।
कर दिया था टेंडर रिजेक्ट -
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री (Minister for Road Transport & Highways) ने पुरानी यादों को ताजा करते हुए बताया कि; महाराष्ट्र में मंत्री रहते हुए उन्होंने मुंबई-पुणे एक्सप्रेस सड़क मार्ग (Mumbai-Pune Express roadway) के लिए धीरूभाई अंबानी का टेंडर उस समय अस्वीकृत (Reject) कर दिया था।
देश का विकास पथ -
देश में विकास के तरीकों से जुड़े एंकर के सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि, "हमारे देश में ४७ (47) के बाद रोड इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए प्राथमिकता नहीं मिली। ४७ (47) के बाद हमारे यहां (देश में) साम्यवाद, समाजवाद, और पूंजीवाद तीन बातों को लेकर पॉलिटिकल पार्टी उसके साथ सेंट्रलाइज्ड थीं।"
"पर बाद में धीरे-धीरे अमेरिका की लिबरल इकोनॉमी और चाइना-रूस के साम्यवाद मॉडल को दुनिया ने अस्वीकार किया। अब हमें ऐसा मॉडल चाहिए जहां गरीबों का विकास हो उनको रोजगार मिले, इन्फ्रास्ट्रक्चर अच्छा हो, देश का ग्रोथ रेट बढ़े, और जो सोशिली, इकोनॉमिकली एजुकेशनली बेकवर्ड एरिया है, एग्रीकल्चर, रूरल, ट्राइबल, ये भी समाज के साथ आए।"
मैं इसका जन्मदाता हूं -
यूनियन मिनिस्टर ने सभी का साथ कैसे मिले इस बारे में किए जा रहे उनके प्रयासों के बारे में बताया कि, "तो इसके लिए सबसे बड़ा इम्पोर्टेंट है पब्लिक प्राइवेट इन्वेस्टमेंट इन इन्फ्रास्ट्रक्चर। और इसका मैं जन्मदाता हूं तो मैं इस पर बहुत सी बातें, टीका सहन कर चुका हूं।"
उन्होंने बताया कि, "जब मैं मुंबई में ९५ (95) में मंत्री था तो मैंने मुंबई शहर में ५५ (55) उड्डान (फ्लाई ओवर) पुल बनाए। बर्ली बांद्रा सी-लिंक प्रोजेक्ट बनाया, मुंबई-पूना एक्सप्रेस हाइवे बनाया।"
उन्होंने कहा, "तो उस समय मेरे पास पैसे नहीं थे। तो पहली बार देश का ठाणे-भिवंडी बायपास यह पहला प्रोजेक्ट बीओटी था। बिल्ट ऑपरेट एंड ट्रांसफर मैंने शुरू किया।"
धीरूभाई का टेंडर रिजेक्ट -
इस प्रोजेक्ट के बारे में गडकरी ने यादें चर्चा के दौरान साझा कीं। उन्होंने कहा कि, "इस प्रोजेक्ट के लिए भी मेरे पास ५ (5) ही करोड़ थे उस समय। और अंबानीजी थे धीरूभाई उस समय उनका टेंडर मैंने रिजेक्ट किया था।"
"और एमएसआरडीसी की स्थापना मैंने की। और ५ (5) करोड़ पर मैंने कैपिटल मार्केट से पैसे खड़े किए। और पहली बार ४ ०० (400) करोड़ चाहिए थे तो मुझे ११०० (1100) करोड़ मिले और ५०० (500) करोड़ चाहिए थे तो १३०० (1300) करोड़ मिले।"
सरकार की क्या औकात है?
इस बीच एंकर ने सवाल पूछा कि, “तो आपने धीरूभाई का टेंडर रिजेक्ट किया तो पंगा नहीं हुआ?”
इसके जवाब में गडकरी ने कहा- "हुआ ना।" और हॉल ठहाकों और तालियों से गूंज उठा।
आगे गडकरी ने कहा, "पर धीरूभाई बहुत बड़े दिल के थे। उन्होंने मुझे बुलाया। काफी नाराज थे वो, उन्होंने कहा सरकार की क्या औकात है? आप क्या रोड बनाओगे, यह आपके लिए संभव नहीं है। आप जिद कर रहे हो। अगर आप रोड बना सकोगे तो मैं आपका बहुत-बहुत अभिनंदन करूंगा।"
गडकरी का जवाब -
गडकरी ने बताया कि धीरूभाई की बातों के जवाब में उन्होंने क्या कहा। उन्होंने कहा कि, "तो मैंने उनको मजाक में कहा धीरूभाई मैं बहुत छोटा आदमी हूं, मैं प्रयास करूंगा। पर अगर मैं रोड बना चुका दो साल में तो आप क्या शरत (शर्त) लगाएंगे बताइये।"
गडकरी ने आगे कहा कि, "तो बाद में जब रोड का काम शुरू हुआ तो धीरूभाई एक दिन वो पूरा रोड देखे तो उनको लगा कि रोड दो साल में मुंबई-पूना हाइवे बन रहा था। उनका टेंडर ३६ सौ (₹3,600) करोड़ का था। और मैंने उनको कहा कि २ (2) हजार करोड़ में करोगे तो ठीक है, नहीं तो मैं नहीं दूंगा। और वोई काम २ (2) साल में हमने १६ (16) सौ करोड़ में पूरा किया। २ (2) हजार करोड़ बचे।"
मैं हार गया तुम जीत गए -
धीरूभाई के किस्से को आगे बढ़ाते हुए गडकरी ने आगे बताया कि, "तो धीरूभाई इतने अच्छे थे कि उन्होंने मुझे बुलाकर कहा मैं हार गया तुम जीत गए। तो मैंने कहा ऐसी कोई बात नहीं आप मेरी उमर से बहुत बड़े हैं आपका आशीर्वाद है।"
"फिर जब क्लिंटन अमेरिकन प्रेसिडेंट थे, वो मुंबई आए थे। तो स्टॉक एक्सचेंज में कार्यक्रम था। तो प्रमोद जी थे। तो कार्यक्रम में आवाज देकर बुलाया और क्लिंटन को बताया उन्होंने कि यह हमारा लड़का मुंबई का कितना अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाया। उनको इस बात का अभिमान था।"
"और आगे उन्होंने मुझे एक बार जब मुकेश, अनिल और मैं एक बार खाना बैठे थे तो उनने कहा देखो नितिन मैं एक स्कूल मास्टर का लड़का था। मैं मुबई में आया मैंने मुश्किल से बहुत कठिनाई से काम करते करते इतनी इज्जत मिलाई है कि आज एक बज रहा है, अगर मुझे चाहिए तो उस समय की बात कर रहे थे वो, चार बजे तक मुझे ५ (5) हजार करोड़ मिल जाएंगे।"
"पर अब मेरी कोई इच्छा नहीं है। मेरी इच्छा ऐसी है, कि देश का विकास हो, देश आगे जाए। और तुम्हारे जैसे दो-चार लोग मिलेंगे तो देश का बहुत बड़ा विकास होगा, गॉड ब्लेस यू।"
* मिनिस्टर ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे नितिन गडकरी news24tvchannel से चर्चा में मुखातिब थे।
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डिस्क्लेमर – आर्टिकल ट्विटर पर जारी चैनल के वीडियो में जैसा यूनियन मिनिस्टर नितिन गडकरी ने कहा उन शब्दों पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त जानकारी जोड़ी गई हैं। इसमें प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।
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