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मेट्रो को मिली ऐतिहासिक तकनीकी उपलब्धि, ट्रेनों की गति पर कर सकेगी कंट्रोल

दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) को आज एक ऐतिहासिक तकनीकी उपलब्धि हासिल हो गई है। जिससे वह मेट्रो ने 'एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन' (Airport Express Line) की मेट्रो ट्रेनों की गति पर कंट्रोल कर सकती है।

Kavita Singh Rathore

दिल्ली, भारत। यदि आप दिल्ली के रहवासी हैं और दिल्ली की सबसे बहुचर्चित सेवा दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) का लाभ लेते हैं तो यह खबर आपको खुश कर सकती हैं। क्योंकि, DMRC को लेकर ऐसी खबर सामने आई आई है कि, दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) को आज बुधवार को एक ऐतिहासिक तकनीकी उपलब्धि हासिल हो गई है। जिससे वह मेट्रो ने 'एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन' (Airport Express Line) की मेट्रो ट्रेनों की गति पर कंट्रोल कर सकती है।

मेट्रो को मिली ऐतिहासिक तकनीकी उपलब्धि :

दरअसल, आज दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) को ऐतिहासिक तकनीकी उपलब्धि मिल गई है। जिससे वह एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन (Airport Express Line) की मेट्रो ट्रेनों की स्पीड को बढ़ा दिया है। मेट्रो द्वारा इस स्पीड को 90 किमी प्रति घंटे से बढ़ाकर 100 किमी प्रति घंटा कर दिया है। इस तकनीकी का सीधा फायदा मेट्रो यात्रियों को मिलेगा। क्योंकि, वह अब नई दिल्‍ली से द्वारका सेक्‍टर का सफर कुछ ही मिनटों में तय कर सकेंगे। वर्तमान में देंखे तो, देश की सबसे तेज स्पीड से चलने वाली एयरपोर्ट एक्सप्रेसस लाइन की स्पीड 100 किमी की रफ्तार है और यह हासिल करने वाली देश की इकलौती मेट्रो सेवा बन गई है, लेकिन इस तकनीकी से ट्रेनों की स्पीड को बढ़ाकर 120 किमी प्रति घंटा कर दिया जाएगा।

तय किए टार्गेट से भी कम समय में पूरा किया कार्य :

जानकारी के लिए बता दें, यह फैसला मेट्रो रेल सुरक्षा आयुक्त द्वारा दी गई अनुमति से ही लिया गया है। जबकि, भारत में चलने वाली अब तक की मेट्रो के इतिहास में यह तकनीकी उपलब्धि सबसे पहले दिल्ली मेट्रो को हासिल हुई है। इस तकनीकी उपलब्धि को दिल्ली मेट्रो के इंजीनियरों की दूरदृष्टि, शानदार प्लानिंग और कर्मचारियों द्वारा की गई कड़ी मेहनत का फल है। इन इंजीनियरों ने इस स्पीड पर कंट्रोल करने के लिए कुछ जरूरी गतिविधियां जैसे मेट्रो ट्रैक (Metro Track) के कुछ पार्ट्स का बदलाव, सिविल ढांचों में नयापन लाना और मेट्रो ट्रेन के अंदर कुछ तकनीकी सुधार किए हैं। खबरों की मानें तो, इंजीनियरों ने यह कार्य तय किए टार्गेट से भी कम समय यानी मात्र छह महीनों में पूरा कर लिया है।

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