आईटीआर फाइल करते समय़ टैक्सपेयर्स कुछ गलतियां कर देते हैं। इसकी वजह से कई बार रिफंड देर से आता है या नहीं आता
इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय कुछ सावधानियां रखें तो आपको परेशानी से नहीं जूझना पड़ेगा। और आसानी से रिटर्न भर पाएंगे
राज एक्सप्रेस । अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) दाखिल कर चुके हैं और अब तक आपका रिफंड नहीं आया है, तो इसका मतलब यह है कि फार्म भरते समय आपने कुछ गलतियां कर दी होंगी। दरअसल, आईटीआर भरते समय टैक्सपेयर्स कई बार कुछ गलतियां कर देते हैं, जिसकी वजह से रिफंड लेट आता है या फिर अटक जाता है। आईटीआर फाइल करते समय अगर ये 5 गलतियां न करें तो फिर आपको इस समस्या से नहीं जूझना होगा। आगे से आईटीआर भरते समय ये गलतियां न करें।
आपने देखा होगा कि आईटीआर भरने की डेडलाइन से पहले आयकर विभाग विभिन्न प्लेटफार्मों पर यह सलाह दी जाती है कि आईटीआर में दर्ज की गई जानकारियों को अच्छी-तरह जांचने के बाद ही सब्मिट करें। क्योंकि अगर इन जानकारियों का मिसमैच हुआ तो तय है कि आपको मिलने वाला आयकर रिफंड फंस जाएगा। आपके द्वारा भरे गए इनकम टैक्स रिटर्न का ई-वेरिफिकेशन नहीं होने की स्थिति में भी रिफंड फंस जाएगा।
आयकर रिटर्न फाइल करने के बाद कर दाताओं के खाते में रिफंड आमतौर पर 30 दिनों में क्रेडिट किया जाता है या फिर चेक या डिमांड ड्राफ्ट उसके पते पर भेज दिया जाता है। यह जरूरी है कि रिटर्न भरते समय बैंक का ब्योरा पूरी तरह सही दिया जाए, क्योंकि रिफंड का पैसा बैंक खाते में आता है। अगर बैंक अकाउंट डीटेल्स मिसमैच होगा तो रिफंड आने में देर होगी और कभी-कभी अटक भी सकता है।
आईटीआर फाइल करते समय डिटेल्स मिसमैच के कारण रिफंड में देरी का सामना करना पड़ सकता है। जब आप इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं, तो फॉर्म 26एएस की जरूरत पड़ती है। इस फॉर्म की मदद से ही आपको पता चलता है कि पूरे वित्तीय वर्ष में आपने किस तरह की कमाई पर कितना इनकम टैक्स दिया है। साधारण शब्दों में समझें तो फॉर्म 26एएस एक तरह का टैक्स स्टेटमेंट डॉक्यूमेंट है। रिटर्न दाखिल फाइल करने से पहले इस फॉर्म को चेक करना जरूरी है।
रिटर्न भरते समय सिर्फ 26 एएस ही नहीं बल्कि एआईएस की भी जरूरत पड़ती है। यह डॉक्युमेंट भी आईटीआर भरने में बेहद अहम होता है। इसकी भी उतनी ही अहमियत है, जितनी कि 26एएस की होती है। दरअसल, दोनों के आंकड़ों के मिसमैच होने पर आईटीआर खारिज किया जाएगा। ऐसे में यह परेशानी बढ़ जाएगी कि करदाता को दोबारा संशोधित रिटर्न भरना होगा। रिटर्न भरते में दोनों ही फॉर्म की जरूरत होती है। ज्ञात हो कि 26एएस में जहां किसी वित्तीय वर्ष के दौरान चुकाए टैक्स और ट्रांजैक्शंस की डिटेल होती है, वहीं एआईएस में आपके द्वारा भरे गए टैक्स के अलावा साल में अलग-अलग माध्यमों से होने वाली आय, ब्याज, लाभांश, लांग टर्म प्रॉफिट और रिफंड समेत अन्य जानकारियां होती हैं।
आईटीआर फाइल करने के 30 दिन में उसका ई-वेरिफिकेशन जरूरी होता है। यदि आपने ऐसा नहीं किया तो आपका इनकम टैक्स रिटर्न भरा हुआ नहीं माना जाएगा। इस बात का ध्यान रखना जरूरी है। ई वेरिफिकेशन के बाद ही आपका आईटीआर सब्मिशन कम्प्लीट माना जाता है। इसके बाद ही विभाग की ओर से रिफंड जारी किया जाता है। ई-वेरिफिकेशन की डेट को ही आपके द्वारा भरे गए इनकम टैक्स रिटर्न की फाइलिंग डेट माना जाता है। यह काम नहीं करने पर आपका रिफंट अटक सकता है। अगर ई-वेरिफिकेशन में देरी होती है, तो फिर टैक्सपेयर्स पर जुर्माना भी लग सकता है। 5 लाख से कम सालाना इनकम पर 1000 रुपये और 5 लाख से ज्यादा आय वालों को 5,000 तक जुर्माना देने का प्रावधान है।
आईटीआर भरने वाले करदाता को यह स्पष्ट कर देना चाहिए कि उस पर पिछले वित्तीय वर्ष की कोई देनदारी तो नहीं है। यदि आपके पास पिछले वित्तीय वर्ष का कुछ बकाया है, तो आपको मिलने वाले आईटीआर रिफंड में देरी हो सकती है। विभाग आपके रिफंड का पहले उपयोग उन बकाया राशि का निपटान करने में करेगा।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।