अगले साल की पहली तिमाही में लांच किया जाएगा निसार।
भारतीय अंतरिक्ष यात्री का चयन इसरो द्वारा किया जाएगा।
भारत के अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने में अमेरिका करेगा मदद।
नासा के 14वें प्रशासक बिल नेल्सन फ्लोरिडा के पूर्व सीनेटर हैं।
उन्होंने 38 साल पहले कोलंबिया यान में अंतरिक्ष की यात्रा की थी।
राज एक्सप्रेस। देश के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की 1984 में की गई अंतरिक्ष की यात्रा के बाद देश का पहला वड़ा अंतरिक्ष अभियान अगले साल शुरु होने की संभावना है। नासा प्रमुख बिल नेल्सन ने घोषणा की कि अमेरिका भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतर्राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर 2024 के अंत तक भेजने में सहायता करेगा। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यात्री का चयन भारतीय अंतरिक्ष एंजेंसी इसरो द्वारा किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि नासा इस चयन प्रक्रिया का हिस्सा नहीं होगा। नासा प्रमुख बिल नेल्सन इन दिनों भारत-अमेरिकी अंतरिक्ष सहयोग बढ़ाने के लिए भारत यात्रा पर हैं। नासा प्रमुख बिल नेल्सन ने अंतरिक्ष मंत्री जितेंद्र सिंह से मंगलवार को मुलाकात के दौरान एक उच्चस्तरीय अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। इस मुलाकात के दौरान उन्होंने जितेंद्र सिंह को चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के लिए बधाई दी।
बिल नेल्सन ने कहा भारत अमेरिका का एक उत्कृष्ट सहयोगी है। भारत अंतरिक्ष में भविष्य के होने की अंतरिक्ष यात्रियों के अभियानों के लिहाज से भी हमारा एक बेहद अहम भागीदार है। अमेरिका की अगले साल चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कई निजी लैंडर लॉन्च करने की योजना है। नासा प्रमुख नेल्सन ने कहा कि लेकिन इस तथ्य के लिए कि भारत ने चंद्रमा के उस स्थान पर सबसे पहले अपना लैंडर उतरा था, वह बधाई का पात्र है। नासा प्रमुख ने कहा। नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने कहा कि अगर भारत चाहे तो अमेरिका पहला अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने में भारत के साथ सहयोग करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि भारत 2040 तक एक वाणिज्यिक अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना चाहता है। भारत अमेरिका का अहम सहयोगी है और अगर भारत इसमें हमारी सहायता लेना चाहता है, तो निश्चित रूप से, हम हमेशा ही उपलब्ध हैं।
नासा के प्रशासक ने कहा लेकिन यह भारत पर निर्भर करता है। उन्होंने यह भी कहा कि नासा भारत के साथ एक अंतरग्रहीय मिशन की योजना बनाना चाहता है, लेकिन यह सब अंततः इसरो पर निर्भर करता है। इस दौरान उन्होंने अंतरिक्ष मंत्री जितेंद्र सिंह से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) में नासा के रॉकेट पर भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री को भेजने से संबंधित कार्यक्रम में तेजी लाने का भी आग्रह किया। बिल नेल्सन ने कहा हाल के दिनों में भारत-अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। भारत और अमेरिका मिलकर अत्याधुनिक उपग्रह नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (एनआईेएसएआर या निसार) को विकसित कर रहे हैं। यह उपग्रह अगले साल की पहली तिमाही में लॉन्च किया जाएगा। इस पर लगभग 1 अरब डॉलर लागत आने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि यह उपग्रह पृथ्वी के संसाधनों का अध्ययन करने और प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
निसार के माध्यम से पृ्थ्वी की सतह और मौसम में होने वाले बदलावों पर नजर रखी जा सकेगी। इसकी मदद से पृथ्वी के किसी भी भू-भाग, जलक्षेत्र या बर्फीले इलाके में होनी वाली सामान्य से सामान्य गतिविधियों पर भी नजदीकी नजर रखने में सक्षम होगा। इस उपग्रह का प्रक्षेपण अगले साल की पहली तिमाही में होने की उम्मीद है। यह पृथ्वी की सतह पर होने वाले परिवर्तनों को तीन-आयामी रूप में मापने में सक्षम होगा। यह डेटा जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिहाज से बेहद मूल्यवान साबित होगा। निसार के माध्यम से मिली जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन और आपदा प्रबंधन के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देगी। यह उपग्रह भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग के एक उत्कृष्ट उदाहरण का प्रतिनिधित्व करता है और यह दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
यह संयुक्त अंतरिक्ष मिशन दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष सहयोग को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। यह अभियान वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए नए आयाम खोलेगा और अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में प्रगति को बढ़ावा देगा। दोनों देश अंतरिक्ष विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ाने के लिए प्रचुर संभावनाओं का दोहन कर रहे हैं। इनमें अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण, अंतरिक्ष यानों के विकास और पृथ्वी अवलोकन के क्षेत्र शामिल हैं। इस सहयोग से न केवल दोनों देशों को लाभान्वित होगा, बल्कि पूरे विश्व के लिए भी उपयोगी साबित होगा।
नासा के 14वें प्रशासक बिल नेल्सन फ्लोरिडा के पूर्व सीनेटर हैं, जिन्होंने 38 साल पहले कोलंबिया अंतरिक्ष यान में अंतरिक्ष की यात्रा की थी। उन्होंने कहा मैं पूर्व में दो बार भारत यात्रा कर चुका हूं। मैं पहली बार जनवरी 1986 में एक झलक में अंतरिक्ष से सम्पूर्ण भारत को देखा था। जब मैं श्रीलंका के ऊपर से गुजर रहा था तो मैंने अपनी दृष्टि ऊपर उठाते हुए सम्पूर्ण भारत का दर्शन किया। तत्पश्चात, मैंने देश के उत्तरी छोर पर स्थित हिमालय पर्वत श्रृंखला को देखा, जो स्वर्ग के समान प्रतीत हो रही थी। नासा के प्रमुख ने बताया मैं बुधवार को बेंगलुरु जाऊंगा और मुझे अपने 'पुराने मित्र' राकेश से भेंट करने का सौभाग्य प्राप्त होगा।
मैं सोवियत संघ के विघटन से पहले अप्रैल 1991 में राकेश शर्मा से मिला था। राकेश और मैं बहुत जल्दी ही एक दूसरे के साथ सहज हो गए। मैंने उनसे कई बार फोन पर बातचीत भी की है। नेल्सन ने इस बात पर जोर दिया कि वह भारत के साथ अंतरिक्ष सहयोग को सुदृढ़ करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक उत्कृष्ट भागीदार है। हम भारत के साथ मिलकर अनेक महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं। नेल्सन ने आगे कहा कि वह इसरो के कार्यों से अत्यधिक प्रभावित हैं। उन्होंने कहा, इसरो ने हाल के दिनों में कुछ अविश्वसनीय उपलब्धियां हासिल की हैं और मैं उनके भविष्य के प्रयासों को देखने के लिए उत्सुक हूं। नेल्सन ने स्पष्ट किया कि वह अंतरिक्ष यात्रियों के आदान-प्रदान और संयुक्त अंतरिक्ष मिशन जैसे क्षेत्रों में भी भारत के साथ सहयोग करने का इच्छुक हैं। उन्होंने कहा मेरा मानना है कि भारत और अमेरिका अंतरिक्ष क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। मैं उन अवसरों की तलाश में हूं जहां हम एक साथ मिलकर कार्य कर सकें।
आर्टेमिस समझौते पर भारत के हस्ताक्षर के संबंध में, नासा के प्रशासक बिल नेल्सन ने कहा अब तक अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग हेतु 32 देश इस समझौते पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। यह समझौता अंतरिक्ष संपत्ति की सुरक्षा बनाए रखने, एक-दूसरे के बचाव में सहायता प्रदान करने, अंतरिक्ष में शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए कार्य करने, एक-दूसरे की अंतरिक्ष गतिविधियों का सम्मान करने और हस्तक्षेप से बचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उल्लेखनीय है कि नेल्सन अंतरिक्ष यात्रा करने वाले दूसरे अमेरिकी कांग्रेस के दूसरे वर्तमान सदस्य हैं। उनसे पहले सीनेटर जेक गार्न ने भी अंतरिक्ष की यात्रा की थी।
उन्होंने कहा अंतरिक्ष में शारिरिक गतिविधियों में संलग्न होने के दौरान हमारे अंतरिक्ष यात्रियों की हृदय गति बहुत बढ़ जाती थी। अतः, मैंने एक ट्रेडमिल पर एक प्रयोग किया। मैं 20 मिनट तक ट्रेडमिल पर दौड़ा और ट्रेडमिल से जुड़े रिकॉर्डर की जांच की। लेकिन जब मैंने परिणाम देखने की कोशिश की तो दुर्भाग्य से वह रिकार्डर काम नहीं कर रहा था। हार्टबीट रिकार्ड करने के लिए मैं 20 मिनट तक और दौड़ा और इस दौरान मैं आधी दुनिया की दूरी पार गया। वह कोलंबिया पर थे और वह लगभग 93 मिनट में पृथ्वी का चक्कर लगाता है।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।