वर्क कल्चर पर नारायण मूर्ति के विचारों को लेकर सोशल मीडिया पर चल रही बहस में कूदीं उनकी पत्नी और इंफोसिस फाउन्डेशन की अध्यक्ष सुधा मूर्ति
नारायण मूर्ति ने हाल ही में कहा था युवाओं को हर दिन 12 घंटे काम करना चाहिए, तभी देश चीन जैसे प्रतिद्वंद्वी देशों का मुकाबला कर पाएगा
नारायण मूर्ति की इस टिप्पणी से सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया है। कुछ लोग इसका समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग आलोचना कर रहे हैं।
राज एक्सप्रेस। इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति द्वारा युवाओं को "सप्ताह में 70 घंटे" काम करने की सलाह पर सोशल मीडिया पर मचे हंगामे में उनकी पत्नी और इंफोसिस फाउन्डेशन की चेयरपर्सन सुधा मूर्ति ने मोर्चा संभाल लिया है। सुधा मूर्ति ने कहा कि इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने अपनी युवावस्था में सप्ताह में 80-90 घंटे काम किया है। वह केवल उपदेश नहीं देते, अपितु कड़ी मेहनत में विश्वास करते हैं। संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने बताया कि उन्होंने सप्ताह में 80 से 90 घंटे काम किया है, शायद इसी लिए इससे कम की बात नहीं करते। वह कड़ी मेहनत में विश्वास करते हैं।
अपनी कड़ी मेहनत की बदौलत ही उन्होंने इंफोसिस जैसी टेक कंपनी की स्थापना की और उसे ऊंचाई पर पहुंचाया। उन्हें आप कोरी भाषणबाजी करने वाला व्यक्ति नहीं कह सकते। उन्होंने अपनी प्रतिभा और मेहनत के अपने लिए देश-दुनिया मे्ं सम्मानजनक स्थान बनाया है। उन्होंने जो कहा वह उनके अनुभव से निकली बात है, दुख की बात है कि उस पर अमल करने की जगह बेवजह बखेड़ा खड़ा किया जा रहा है। उन्होंने जो महसूस किया वह बताया है। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्होंने उन्हें यह बताने की कोशिश की कि इन दिनों कॉर्पोरेट भारत में चीजें कैसे काम करती हैं, तो उन्होंने कहा कि लोगों के पास अभिव्यक्ति के अलग-अलग तरीके हैं लेकिन नारायण मूर्ति ने लंबे समय तक काम किया है। उन्होंने अपना अनुभव ही साझा किया है।
उल्लेखनीय है कि नारायण मूर्ति ने पिछले दिनों चीन से मुकाबले की बात करते हुए भारतीय युवाओं की उत्पादकता बढ़ाने के लिए काम के घंटे बढ़ाने पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था युवाओं को हर दिन 12 घंटे काम करना होगा, ताकि भारत उन देशों की बराबरी कर सके जिन्होंने पिछले 2-3 दशकों में जबरदस्त विकास किया है। उन्होंने कहा गौर करने की बात है कि भारत की उत्पादकता दुनिया में सबसे कम है। मूर्ति ने कहा मेरा अनुरोध है कि हमारे युवाओं को सप्ताह में 70 घंटे काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि चीन जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा के लिए भारतीय युवाओं को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जापान और जर्मनी की तरह अधिक काम करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि हमारे देश में युवाओं की संख्या सबसे अधिक है। युवाओं की अधिक संख्या एक बड़े परिवर्तन की वजह बन सकती है। वे समर्पित भाव से काम करें तो कोई वजह नहीं है कि देश विश्व फलक पर नहीं उभरे। मूर्ति ने आगे कहा कि भारत की कामकाजी आबादी को "अत्यधिक दृढ़निश्चयी, बेहद अनुशासित और बेहद मेहनती लोगों" में बदलने की जरूरत है।
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