भारत में हाल के दिनों में तेजी से घट रही छोटी कारों की बाजार में हिस्सेदारी
मारुति सूजुकी ने इस सेगमेंट को ध्यान में रखते हुए बनाई अपनी रणनीति
पार्थो बनर्जी ने कहा यह मानने का कोई कारण नहीं कि छोटी कारें नहीं बिकेंगी
राज एक्सप्रेस । वित्त वर्ष 2018 के दौरान कुल यात्री वाहन (पीवी) की बिक्री में लगभग 47% हिस्सेदारी वाला छोटा कार बाजार, वित्त वर्ष 24 में लगभग 28% तक गिर गया है। यह गिरावट एसयूवी वाहनों की बढ़ती मांग के कारण देखने को मिली है। भारत में पिछले 3-4 वर्षों के दौरान एसयूवी वाहनों के प्रति लोगों की दिलचस्पी काफी बढ़ गई है। स्माल कार सेगमेंट में पैदा हुई इस रिक्तता को ध्यान में रखते हुए मारुति सूजुकी ने एक रणनीति तैयार की है। मारुति सुजुकी को उम्मीद है कि 2026 के अंत या 2027 तक, बाजार में हैचबैक सेगमेंट में फिर से मांग देखने को मिलेगी। अपनी इसी रणनीति पर आगे बढ़ते हुए मारुति सूजुकी 9 मई को अपनी लोकप्रिय स्विफ्ट प्रीमियम हैचबैक का नया-जेन वर्जन लॉन्च करने जा रही है।
छोटी कार सेगमेंट में अपना दबदबा फिर से कायम करने के लिए मारुति सूजुकी इंडिया ने अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है। मारुति सूजुकी आगामी 9 मई को अपने लोकप्रिय माडल स्विफ्ट के जेन मॉडल को लॉन्च करने जा रही है। मारुति सूजुकी नई स्विफ्ट के लांच के माध्यम से छोटी कार सेगमेंट में एक बार फिर अपना दबदबा हासिल करने का प्रयास कर रही है। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड (एमएसआईएल) देश में छोटी कार सेगमेंट को टार्गेट करने की रणनीति पर आगे बढ़ रही है। बता दें कि 2005 में लांच की गई स्विफ्ट को लोगों ने बहुत प्यार दिया है। स्विफ्ट की 29 लाख से अधिक कारे बिक चुकी हैं।
मारुति सूजुकी ने स्विफ्ट के नए मॉडल की बुकिंग बुकिंग 11,000 रुपये की टोकन राशि के साथ शुरू कर दी है। मारुति सुजुकी के वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी, विपणन और बिक्री, पार्थो बैनर्जी ने कहा कि हैचबैक हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण सेगमेंट में से एक है। इस बात पर विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि यह छोटा कार सेगमेंट पुनर्जीवित नहीं हो सकता है। यह केवल समय की बात है । पार्थो बैनर्जी ने कहा आप देखिएगा, अगले दिनों में इस सेगमेंट में हलचल होती दिखाई देगी। उन्होंने कहा कि नियामक बदलावों के कारण, छोटी कारों की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है, जबकि उपभोक्ताओं की आय उस हद तक नहीं बढ़ी है। इसलिए सामर्थ्य का अंतर है।
पार्थो बैनर्जी ने कहा हमें उम्मीद है कि 2026 के अंत या 2027 तक, हम हैचबैक सेगमेंट में फिर से वृद्धि देखेंगे और यह बाजार एक बार फिर पुनर्जीवित होगा। उल्लेखनीय है कि भारत को लंबे समय से छोटी कारों के बाजार के रूप में जाना जाता रहा है, जहां देश में बिकने वाली हर दो कारों में से एक ऑल्टो और सैंट्रो जैसी कारों की होती थी। हालाँकि, पिछले 3-4 वर्षों के दौरान एसयूवी शैली के वाहनों की मांग काफी बढ़ गई दिख रही है। बड़े और बोल्ड वाहनों की लोकप्रियता ने स्पष्ट रूप से बढ़त ले ली है। ज्यादातर कंपनियां इस चलन को भुनाने का प्रयास कर रही हैं। इसी का परिणाम है कि वर्ष 2018 के दौरान कुल यात्री वाहन बिक्री में छोटी कार की हिस्सेदारी लगभग 47% थी, वह वित्त वर्ष 24 आते-आते गिरकर लगभग 28% के स्तर पर आ गई है।
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