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Zilingo की पूर्व-सीईओ अंकिती बोस ने बिना बोर्ड की अनुमति 10 गुना बढ़ा ली अपनी सैलरी, छोड़नी पड़ी नौकरी

जिलिंगो की को-फाउंडर अंकिती बोस ने बिना बोर्ड की मंजूरी लिए अपनी सैलरी 10 गुना बढ़ा ली तो विवाद पैदा हो गया। इसकी वजह से उन्हें अंततः अपना पद छोड़ना पड़ा था।

Aniruddh pratap singh

राज एक्सप्रेस। सिंगापुर की फैशन टेक कंपनी जिलिंगो की शुरुआत 23 वर्षीय अंकिती बोस और ध्रुव कपूर ने 2015 में की थी। इस कंपनी का लक्ष्य दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के छोटे कारोबारियों को अपना सामान ऑनलाइन बेचने में सहायता करना था। यह बी2बी स्टार्ट-अप फैशन रिटेलर्स को थोक में फैशन सामग्री की आपूर्ति करती है। जिलिंगो की को-फाउंडर अंकिती बोस ने बिना बोर्ड की मंजूरी लिए अपनी सैलरी 10 गुना बढ़ा ली थी। इसके बाद पैदा हुए विवाद की वजह से उन्हें अंततः अपना पद छोड़ना पड़ा था। अंकिती के कंपनी छोड़ने के बाद उसके कारोबार में भारी गिरावट दर्ज की गई है। अंकिती के कार्यकाल में कंपनी ने बहुत तेजी से विकास करते हुए बड़ा रूप अख्तियार कर लिया था। अंकिती के जाने से कंपनी की ग्रोथ प्रभावित हुई।

वित्तीय गड़बड़ियों के चलते छोड़ना पड़ा सीईओ पद

वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगने के चलते पिछले साल को-फाउंडर अंकिती बोस को कंपनी के सीईओ का पद छोड़ना पड़ा था और अपनी ही कंपनी से बहुत अपमानजनक तरीके से बाहर निकलना पड़ा था। अब एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कंपनी के बोर्ड से मंजूरी लिए बिना ही उन्होंने अपनी सैलरी में 10 गुना बढ़ोतरी कर ली थी। यह रिपोर्ट ऐसे समय में सामने आई है, जब 31 वर्षीय अंकिती बोस ने निवेशक महेश मूर्ति के खिलाफ 10 करोड़ डॉलर (820 करोड़ रुपये) का मानहानि केस दायर किया है।

अंकिती को बोर्ड ने निकाला, मेरी कोई भूमिका नहीं

निवेशक महेश मूर्ति ने उनके खिलाफ स्टार्टअप से गलत तरीके से पैसे लेने का आरोप लगाया है। अंकिती बोस ने आरोप लगाया कि उन्हें कंपनी के मुख्य कार्यकारी पद से हटाने के लिए उनके खिलाफ साजिश की गई। इससे उनके और उनके परिवार के लिए खतरा पैदा हो गया है। कंपनी ने पिछले साल कहा था कि अंकिती बोस पर फर्म के अकाउंट्स में बड़े पैमाने पर की गई हेराफेरी का आरोप लगाया गया था। इस मामले की जांच के बाद ही बोर्ड ने उन्हें सीईओ पद से हटाया था। अंकिती बोस को निकालने का फैसला बोर्ड का था। इस निर्णय में किसी व्यक्तिगत निवेशक की कोई भूमिका नहीं थी।

अंकिती ने दो साल में 10 गुना बढ़ाई अपनी सैलरी

रिपोर्ट के अनुसार सन 2017 और सन 2019 के बीच अंकिती बोस ने खुद अपने वेतन में भारी वृद्धि की, कंपनी के सह संस्थापक ध्रुव कपूर और चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर आदि वैद्य की सैलरी में उल्लेखनीय इजाफा किया। अंकिती बोस की सैलरी 2017 में 5500 सिंगापुरियन डॉलर थी, जो 2019 में बढ़कर 58900 सिंगापुरियन डॉलर हो गई। यानी उनकी सैलरी में करीब 10 गुना का इजाफा हो गया। वहीं, ध्रुव कपूर की सैलरी इस दौरान तीन गुना और आदि वैद्य की सैलरी में 7 गुना बढ़ोतरी की गई।

फैशन रिटेलर्स को होलसेल सप्लाई करती है जिलिंगो

सिंगापुर की फैशन टेक कंपनी जिलिंगो में सिकोइया कैपिटल इंडिया और टेमासेक होल्डिंग्स ने पैसा लगाया है। सिकोइया कैपिटल से 22.6 करोड़ डॉलर का फंड जुटाने के बाद पिछले साल अप्रैल 2022 में यह यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गई। इस कंपनी की शुरुआत 23 वर्षीय अंकिती बोस और ध्रुव कपूर ने वर्ष 2015 में किया था। इसका लक्ष्य दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के छोटे कारोबारियों को अपना सामान ऑनलाइन बेचने में मदद करना था। यह बी2बी स्टार्ट-अप फैशन रिटेलर्स को होलसेल सप्लाई करती है।

अंकिती को 2022 में किया गया था बर्खास्त

जिलिंगो ने भारतीय मूल की अंकिती बोस को 2022 के मई महीने में बर्खास्त कर दिया था। इससे पहले 31 मार्च को कंपनी ने बोस को निलंबित किया था। गंभीर वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतों का स्वतंत्र फॉरेंसिक ऑडिट करवाने के बाद कंपनी ने यह फैसला लिया था। वहीं, अंकिती बोस ने कहा था कि उन्हें 'हितों के टकराव’ के कारण कंपनी से बर्खास्त किया गया है। अंकिती बोस 2019 से ही काफी चर्चा में रही थीं, जब जिलिंगों की वैल्युएशन 97 करोड़ डॉलर पर जा पहुची थी। कहा जा रहा था कि जल्द ही जिलिंगों 1 अरब डॉलर की वैल्युएशन को हासिल कर यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो जाएगी। लेकिन फिर कोरोनावायरस महामारी आ गई, जिससे कंपनी के परिचालनों पर असर पड़ा।

अंकिती के जाते ही शुरु हुई जिलेंगो की कठिनाइयां

जिलिंगो की शुरुआत अंकिती बोस और ध्रुव कपूर ने मिलकर की थी। अंकिती का जन्म 1992 में भारत में हुआ। उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई मुंबई के कांदिवली के कैंब्रिज स्कूल से की है। 2012 में मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया। उन्हें फैशन की बहुत गहरी समझ है, यही वजह है जब से उन्होंने कंपनी संभाली, तब से कंपनी ने बहुत तेज विकास किया। अंकिती को निकाले जाने के बाद सिंगापुर के फैशन स्टार्टअप लिजिंगो के अस्तित्व को लेकर सवाल उठने लगे हैं। जिलिंगो ने मार्च में अपनी सीईओ अंकिती बोस को सस्पेंड किया था। बाद में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया।

विरोध में 100 से अधिक कर्मचारियों ने छोड़ी नौकरी

अंकिती को सस्पेंड करने के बाद से ही कंपनी के बुरे दिन शुरू हो गए। बोस के सस्पेंड होने के कुछ दिन बाद ही स्टार्टअप में निवेश करने वालों ने पैसे मांगने शुरू कर दिए। जिलिंगो ने कई बड़े निवेशकों से करीब 30 करोड़ डॉलर जुटाए थे। बोस के जाने के बाद 100 से अधिक कर्मचारियों ने नौकरी छोड़ दी थी। अंकिती बोस काफी चर्चा में रहने वाली सीईओ थीं। उनके काम करने का तरीका भी बिल्कुल अलग था। वह दुनियाभर में घूमती थीं और कई देशों में उनके लेक्चर होते थे। उन्होंने कम उम्र में काफी अच्छी ख्याति अर्जित कर ली, जो अंततः कंपनी के परिचालन में सहायक थी।

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