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नए निर्गम पर सेबी सख्त, पेटीएम जैसे कई स्टार्टअप्स के पिटने से निवेशकों को लगी 3 लाख करोड़ से ज्यादा की चपत

नई पीढ़ी के तकनीकी कंपनियों के शेयर पिटने के बाद सेबी) ने आरं​भिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) को लेकर ज्यादा सख्ती बरतना शुरू कर दिया है।

Aniruddh pratap singh

राज एक्सप्रेस। नई पीढ़ी के तकनीकी कंपनियों के शेयर पिटने के बाद शेयर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने आरं​भिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) को लेकर ज्यादा सख्ती बरतना शुरू कर दिया है। तकनीकी कंपनियों के शेयर पिटने की वजह से शेयर बाजार के निवेशकों को 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की चपत लगी है। निवेश बैंकरों और अन्य भागीदारों के अनुसार पूंजी बाजार नियामक ने कंपनियों को प्रवर्तक की पहचान बताने पर जोर देने को कहा है। अधूरी जानकारी के आधार पर सेबी आईपीओ मसौदे (डीआरएचपी) भी लौटा रहा है। जो कंपनी आईपीओ लाने जा रही है, उसके बयानों पर भी सेबी, आईपीओ से, पहले कड़ी नजर रख रही है। उद्योग जगत के लोगों का कहना है सेबी की इस सख्ती से निर्गम जारी करने वालों पर दबाव बढ़ेगा।

इस लिए प्रवर्तक के दर्जे से बचती हैं कंपनियां

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर संस्थापक ने ही कंपनी की स्थापना की है, तो सेबी कंपनी से उसे प्रवर्तक घोषित करने के लिए कह रहा है। अगर उन्होंने कंपनी का गठन किया है और उसमें पूंजी लगाई है तो उसे पेशेवरों द्वारा संचालित कंपनी बताकर वे खुद को छिपा नहीं सकते। कानून के विशेषज्ञों ने कहा कि कुछ इकाइयां नियम-कायदों से बचने के लिए जानबूझकर प्रवर्तक के दर्जे से बचती हैं। नायिका को छोड़कर हाल में सूचीबद्ध सभी चार प्रमुख स्टार्टअप में प्रवर्तकों की पहचान नहीं हो पाई है। एक वकील ने कहा कुछ मामलों में संस्थापक अपनी शेयरधारिता को 10 फीसदी से कम रखते हैं और अतिरिक्त शेयर न्यास (ट्रस्ट) के नाम कर देते हैं। पहले यह बहुत होता था, मगर अब ऐसा नहीं हो पाएगा।

71 फीसदी तक गिर चुके हैं पेटीएम जैसे कई शेयर

निवेश बैंकरों के अनुसार जोमैटो, नायिका, पेटीएम, पॉलिसीबाजार और डे​लिवरी के शेयर अपने उच्चतम भाव से 54 से लेकर 71 फीसदी तक नीचे आ चुके हैं। संप​त्तियों में भारी नुकसान को देखते हुए बाजार नियामक पर ज्यादा सख्त नियम बनाने का दबाव है। पिछले वित्त वर्ष में सेबी ने 6 कंपनियों के निर्गम मसौदे लौटा दिए थे। उनमें से एक ने विवरण को अपडेट कर दोबारा मसौदा दा​खिल किया। कुछ मामलों में कंपनियों को जरूरी खुलासे, चल रहे कानूनी मामलों या कर्मचारी शेयर स्वामित्व ढांचे आदि की जानकारी के साथ नया डीआरएचपी जमा करने के लिए कहा गया है। लगातार पूंजी निवेश के साथ नई पीढ़ी की तकनीकी कंपनियों में अप्रत्या​शित वृद्धि हुई है और उनका मूल्यांकन भी काफी बढ़ा है, जिससे उन्हें ज्यादा दस्तावेज और खुलासे करने की जरूरत है। साथ ही सेबी ने कई तरह के दस्तावेज और खुलासों के नियम लागू किए हैं जो पहले वित्तीय विवरण में शामिल नहीं थे, लेकिन कुछ मामलों में ये निजी इ​क्विटी निवेशकों के साथ साझा किए जाते थे। स्टार्टअप तथा घाटे वाली कंपनियों को ध्यान में रखकर ये जानकारी अनिवार्य की गई हैं क्योंकि पहले से लागू पैमानों के बल पर पारदर्शिता लाना संभव नहीं था।

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