राज एक्सप्रेस। शेयर बाजार नियामक सिक्यूरिटी एक्सचेंज बोर्ड आफ इंडिया (सेबी) ने केयर रेटिंग्स के पूर्व एमडी और सीईओ राजेश मोकाशी पर दो साल के लिए शेयर बाजार से संबंधित संस्थाओं के साथ जुड़ने से रोक दिया है। सेबी ने केयर रेटिंग्स के पूर्व प्रमुख राजेश मोकाशी को रेटिंग में हेरफेर का दोषी पाने के बाद उन पर दो साल के लिए किसी भी एजेंसी से जुड़ने पर रोक लगा दी है। मोकाशी को केयर रेटिंग्स का हेड रहते समय दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) की रेटिंग प्रक्रिया में दखल देने का दोषी पाया गया है। यह मामला दिसंबर 2019 में की गई एक शिकायत से सामने आया था। इसमें उन पर डीएचएफएल की रेटिंग प्रक्रिया में दखलंदाजी करने का आरोप लगाया गया था।
डीएचएफएल को अब पीरामल कैपिटल एवं हाउसिंग फाइनेंस के नाम से जाना जाता है। सेबी ने जांच में पाया है कि राजेश मोकाशी ने क्रेडिट रेटिंग की रिपोर्ट में हेरफेर करने के लिए दबाव का प्रयोग किया, जिससे कंपनीको शीर्ष कॉर्पोरेट निवेशकों को आकर्षित करने में सहायता मिली और इस तरह हजारों करोड़ रुपए जुटाए जा सके। सेबी ने जांच प्रक्रिया में पाया कि यह साठगांठ का मामला है, जिसके जरिए डीएचएफएल समेत कुछ इश्यूअर के पक्ष में बेहतर रेटिंग सुनिश्चित करने के लिए मोकाशी ने केयर के कर्मचारियों पर प्रभाव डाला। शेयर बाजार नियामक सेबी ने मोकाशी के ऊपर यस बैंक, रिलायंस कम्युनिकेशंस, दीवान हाउसिंग एंड फाइनेंस (पीरामल कैपिटल द्वारा अधिग्रहित) और हाउसिंग फाइनेंस एंड इंफ्रास्ट्रक्चर एंड फाइनेंशियल सर्विसेज, इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल की इकाई के मूल्यांकन के दौरान रेटिंग समिति के फैसले में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।
सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया ने अपने आदेश में कहा कि आरकॉम और आईएल एंड एफएस को दी गई रेटिंग पर सवाल उठाया गया और केयर को नोटिस दिया गया। तब मोकाशी के नेतृत्व वाली रेटिंग एजेंसी ने उठाई गई चिंताओं को दूर करने के लिए कोई उपचारात्मक कदम उठाने में विफल रही। इस कार्रवाई के लिखित दस्तावेजों के अनुसार मोकाशी ने रेटिंग समिति (आरसी) के सदस्यों को जारीकर्ताओं द्वारा दिए गए अनुमानों पर भरोसा करने और रेटिंग कार्रवाई नहीं करने के लिए निर्देश दिए। सेबी ने यह साबित करने के लिए विभिन्न फोन रिकॉर्ड पेश करते हुए बताया कि रेटिंग में हेरफेर किस प्रकार की गई। सेबी ने कहा मोकाशी प्रकट तौर पर रेटिंग समिति का हिस्सा न बनकर अपनी निष्पक्षता और कानूनों के प्रति अपनी श्रद्धा का प्रदर्शन किया, लेकिन उऩ्होंने रिपोर्ट को प्रभावित करके गैर-कानूनी काम किया। कानून रेटिंग फर्म के प्रबंधन को रेटिंग समिति का हिस्सा बनने की अनुमति नहीं देता है।
सेबी को कई कर्मचारियों के बीच के व्हाट्सएप चैट से साबित होता है कि केयर ने व्यवसाय विकास और रेटिंग कार्यों में दबाव बनाने का प्रयास किया गया। डीएचएफएल के मामले में रेटिंग समिति को स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति नहीं दी गई। मोकाशी द्वारा डाले गए दबाव द्वारा निर्देशित किया गया। पिछले साल अप्रैल में केयर रेटिंग्स ने कहा था कि न्यायमूर्ति बीएन श्रीकृष्ण (सेवानिवृत्त) के पैनल ने अपने पूर्व एमडी, सीईओ और अध्यक्ष को क्लीन चिट दे दी थी। रेटिंग एजेंसी ने एक नियामक फाइलिंग में कहा जस्टिस श्रीकृष्ण ने अंतिम रिपोर्ट जारी की है, जिसमें निष्कर्ष निकाला गया है कि मोकाशी (पूर्व एमडी और सीईओ) और मैनाक (पूर्व अध्यक्ष) के खिलाफ रेटिंग प्रक्रिया में हस्तक्षेप और रेटिंग को प्रभावित करने का आरोप स्थापित नहीं है। 2019 में, सेबी को एक व्हिसल-ब्लोअर से शिकायत मिली थी जिसमें आईएलएंडएफएस सहित कंपनियों की रेटिंग में प्रबंधन के हस्तक्षेप का आरोप लगाया गया था।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे राज एक्सप्रेस वाट्सऐप चैनल को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। वाट्सऐप पर Raj Express के नाम से सर्च कर, सब्स्क्राइब करें।