पतंजलि में निर्बाध गिरावट के लिए अकेले मंदी जिम्मेदार नहीं! Neha Shrivastava - RE
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पतंजलि में निर्बाध गिरावट के लिए अकेले मंदी जिम्मेदार नहीं!

बगैर सोचे समझे विस्तार, एक खराब आपूर्ति श्रृंखला, वस्तुओं और प्रॉडक्ट्स की अनियमित क्वालिटी और व्यापार जगत का आधा-अधूरा ज्ञान और मंदी के असर के कारण ही पतंजलि की रेवेन्यु पर बुरा असर पड़ा है।

Author : Neelesh Singh Thakur

राज एक्सप्रेस। भारत की धीमी विकास दर से अर्थव्यवस्था के कुछ सेक्टर्स अनछुए रहे वहीं देश की कुछ बड़ी कंपनियों का निचले स्तर का कारोबार प्रभावित हुआ।

लेकिन फास्ट मूविंग कंज़्यूमर गुड्स (FMCG) कारोबार में एक उभरता सितारा बाबा रामदेव का पतंजलि आयुर्वेद सिर्फ और सिर्फ हाल ही में उभरी मंदी के बजाय और भी कई कारणों से प्रभावित कहा जा सकता है। इस बारे में विश्लेषकों की राय है कि ‘बगैर सोचे समझे विस्तार, एक खराब आपूर्ति श्रृंखला, वस्तुओं और प्रॉडक्ट्स की अनियमित क्वालिटी, व्यापार जगत का आधा-अधूरा ज्ञान और इसके साथ ही अब हाल ही में उभरी मंदी ने सेक्टर में दूसरों के मुकाबले कंपनी को नीचे धकेला है. सेक्टर में ऐसा किसी और के साथ नहीं हुआ।

वर्ष 2009 में लॉन्च पतंजलि ने पिछले पांच सालों में FMCG बाजार बुरी तरह बाधित किया। स्वदेशी की पहचान वाले रथ पर सवार, हरिद्वार हेडक्वार्टर बेस्ड फर्म देश की दूसरी सबसे बड़ी FMCG प्लेयर बनकर उभरी। 2017 तक हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) समूह इस क्षेत्र में सिरमौर रहा।

ग्लोबल कन्ज़्यूमर रिसर्च फर्म कांतार वर्ल्डपैनल की रिपोर्ट के मुताबिक अर्बन यानी शहरी क्षेत्रों में पतंजलि की बिक्री में कमी आई है। जबकि ग्राणीण इलाकों में पतंजलि की वृद्धि घटकर महज़ एकतिहाई रह गई।

वित्तीय वर्ष अप्रैल 2019 की समाप्ति तक पतंजलि फर्म का सेल्स वाल्यूम शहरी इलाकों में 2.7 फीसदी तक गिर गया। जबकि ग्रामीण इलाकों की बिक्री में 15.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई. साल भर पहले कंपनी को शहरी इलाकों में 21.1 जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 45.2 प्रतिशत की उछाल मिली थी।

रायटर की रिपोर्ट

CARE रेटिंग्स के आंकड़ों के हवाले से जारी रायटर की रिपोर्ट में कहा गया है कि "वित्तीय वर्ष 2018-19 में 31 दिसंबर तक नौ महीनों के लिए प्रोवीज़नल डाटा मात्र 4,700 करोड़ दर्शाया गया, यह कंपनी के लिए लगातार दूसरा खराब साल रहा।"

फाइनेंसियल इयर 2016-17 में पतंजलि कारोबार चरम पर था। इस दौरान पतंजलि ने 10,000 करोड़ की बिक्री करने में बाजी मारी थी। इस दौर में उम्मीद जताई जा रही थी कि अगले साल पतंजलि अपनी बिक्री को डबल यानी 20,000 करोड़ तक कर लेगी, वित्तीय वर्ष 2016-17 वाली खुशी ज्यादा देर बरकरार नहीं रही क्योंकि FY-2017-18 में सेल्स में 8 हजार 1 सौ करोड़ की गिरावट हो गई।

ताजा गिरावट के पहले तक हरिद्वार वाली फर्म ने 2014-2017 के दौरान सौ फीसदी की रफ्तार से साल- दर-साल उछाल हासिल की। साल 2014-15 में कंपनी का टर्नओवर 2000 करोड़ बढ़कर 5000 करोड़ पहुंच गया। इसके बाद 2016-17 में इसी रफ्तार से टर्नओवर 10,000 करोड़ जा पहुंचा।

सेक्टर में पतंजलि के बुरे हाल

मंदी के दौर में FMCG सेक्टर उतना प्रभावित नहीं हुआ। पतंजलि के मुकाबले इस सेक्टर के अन्य प्रतियोगियों ने दौर में अपेक्षाकृत उमदा प्रदर्शन किया।

हिंदू बिज़नेसलाइन में कंस्लटेंसी फर्म प्रभुदास लीलाधर से लेकर दर्शाए गए आंकड़ों के अनुसार “हिंदुस्तान यूनीलीवर लिमिटेड (HUL) की वाल्यूम ग्रोथ गिरावट के साथ पहली तिमाही में 5.5 फीसदी रही. साल भर पहले इस अवधि के लिए यह वृद्धि 12 फीसदी थी।

”रिपोर्ट के अनुसार इसी तिमाही के लिए मारिको की वाल्यूम ग्रोथ गिरावट के साथ 7 फीसदी रही। जो साल भर पहले इस तिमाही के लिए 10.04 प्रतिशत थी, पहली तिमाही में डाबर इंडिया की वाल्यूम ग्रोथ साल भर पहले की 21 प्रतिशत दर के मुकाबले गिरावट के साथ 6 फीसदी रही।

FMCG सेक्टर में पतंजलि बैचेनी का अहसास करा रही हैं इसके देशव्यापी विज्ञापन टेलिविज़न, रेडियो और प्रिंट माध्यमों में बमुश्किल देखने को मिल रहे हैं।

टैम (TAM) मीडिया रिसर्च की इकाई एडएक्स (AdEx) इंडिया के डाटा के अनुसार वर्ष 2016 में पतंजलि कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड और डिटॉल बनाने वाली कंपनी रेकिट बेंकिज़र के बाद FMCG की तीसरी सबसे बड़ी विज्ञापनदाता थी।

एडएक्स के डाटा के अनुसार साल 2018 में जनवरी और जुलाई के दौरान पतंजलि खिसकर 11 वें स्थान पर जा पहुंची. साल 2019 में समान अवधि के दौरान पतंजलि गिरावट के साथ 40 वें स्थान पर आ पहुंची है।

नौ महीनों में कुछ नया नहीं!

कंपनी ने बीते 9 महीनों में एक भी नया उत्पाद लॉन्च नहीं किया है। जबकि दिल्ली-एनसीआर रीजन के रीटेलर्स ने बेबी केयर प्रॉडक्ट्स में बहुप्रतीक्षित शिशु केयर के पिछले तीन महीनों से अनुपलब्ध होने की शिकायत की है। यह ऑनलाइन प्लेटफॉर्म तक से गायब है।

एक ढहता साम्राज्य?

नई दिल्ली के दिल कनॉट प्लैस की पतंजलि चिकित्सालय फर्म एक समय सहजता से सबसे अधिक विज़िट किए जाने वाली जगहों में से एक थी। प्रतिष्ठित ओडियन सिनेमा के ठीक सामने स्थित केंद्र मुस्कुराते रामदेव वाले पतंजलि लिखे साइनबोर्ड के साथ स्टोर मौजूद था। जबकि मौजूदा समय में मुस्कुराते हुए रामदेव की तस्वीर के साथ साइनबोर्ड तो मौजूद है पर स्टोर बंद हो गया है, उसे एक तंबाकू आउटलेट के लिए लिया गया है।

गोल मार्केट में मौजूद पतंजलि के दूसरे टॉप सेलिंग आउटलेट में कंपनी के उत्पादों की भारी किल्लत है। आउटलेट में दूसरे FMCG प्रॉडक्ट्स को तक स्टॉक करना पड़ रहा है।

दिल्ली-NCR रीज़न के कई रीटेलर्स का कहना है ‘ब्रांड पतंजलि’ की ओवरऑल डिमांड में इस ‘चलन’ के चलते गिरावट हुई है।

मैं नहीं जानता पिछली दफा पतंजलि फ्रुट जूस या उसके दलिया के पैकेट को मैंने कब बेचा। उनके आधे उत्पाद अनुपलब्ध बने हुए हैं। इस कारण मैंने अन्य सभी आयुर्वेद और हर्बल ब्रांडों जैसेन ‘खादी और जीवा’ आयुर्वेद के उत्पाद जुटाने शुरू कर दिये हैं। दुकान खोलते समय साल 2015 में मेरी मंथली रेवेन्यु 15 हजार रुपये से अधिक थी। आज मैं बमुश्किल 4 हजार से 5 हजार रुपया महीने में कमा पाता हूं।
प्रवीण कुमार (पतंजलि के एक स्मॉल आउटलेट के मालिक)

गुरग्राम के MGF मेट्रोपोलिस माल वाले मेगा पतंजलि आउटलेट के मालिक रविंदर पाल सिंह ने कहा वो अपने स्टोर को जल्द बंद कर सकते हैं।

“तीन साल पहले मेरी सेल्स 17 लाख से 18 लाख सालाना के करीब रहती थी,” उन्होंने कहा “आज सेल्स घटकर 3 लाख के आसपास है जिसमें से हमें दूसरे अन्य खर्चों के साथ बिजली बिल, रियल स्टेट किराया, आयुर्वेद डॉक्टर्स और अन्य विभागों के कर्मचारियों की सैलरी का भुगतान करना होता है। मैं घाटे में चल रहा हू”

तीन साल पहले मेरी सेल्स 17 लाख से 18 लाख सालाना के करीब रहती थी। आज सेल्स घटकर 3 लाख के आसपास है जिसमें से हमें दूसरे अन्य खर्चों के साथ बिजली बिल, रियल स्टेट किराया, आयुर्वेद डॉक्टर्स और अन्य विभागों के कर्मचारियों की सैलरी का भुगतान करना होता है। मैं घाटे में चल रहा हू
रविंदर पाल सिंह (पतंजलि आउटलेट के मालिक)

सिंह ने मौजूदा परिस्थिति के लिए प्रॉडक्ट्स की अनुपलब्धता, उपभोक्ता हितों में कमी और खराब प्रॉफिट मार्जिन्स को दोषी ठहराया। पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज की एक स्टोर के मालिक मोहित गुप्ता की शिकायतों में भी सिंह जैसा ही दर्द सुनाई दिया।

बाधित आपूर्ति के कारण सभी उत्पाद अलमारियों में खत्म हो रहे हैं। उपभोक्ता को खाली हाथ लौटते हुए देखना हमारे लिए शर्मनाक होता है।
मोहित गुप्ता (पतंजलि आउटलेट के मालिक)

हम 2021 में शीर्ष पर वापसी करेंगे: पतंजलि

पतंजलि की समस्याओँ से सेक्टर के अन्य प्लेयर्स पर प्रभाव पड़ने वाली बात याद दिलाने पर पतंजलि का कहना है कि अपनी तमाम परेशानियों के बावजूद, वह 2021 तक वापसी करेगी।

आज हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, वे हमारे लिए खास नहीं हैं। हम जीएसटी और डीमोनिटाइज़ेशन के बाद से दूसरों की ही तरह विपरीत परिस्थिति का सामना कर रहे हैं, लेकिन हम एक नए खिलाड़ी के रूप में प्रभावित हुए हैं। हमारे स्थाई बड़े उत्पादों की देखभाल के लिए हमारी आपूर्ति श्रृंखला अब मजबूत हो गई है। साथ ही विज्ञापनों को लेकर भी हम नीति पर काम कर रहे हैं। साल 2021 तक हम शीर्ष विज्ञापनदाता के साथ ही टॉप FMCG कंपनी के तौर पर वापसी करेंगे।
एस. के. तिजारावाला (पतंजलि के प्रवक्ता)

तिजारावाला ने बताया कि कंपनी को आपूर्ति श्रंखला को मजबूत बनाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस कारण मार्केट में पतंजलि के उत्पाद की अनुपलब्धता है। “हम अपने सभी रीटेल आउटलेट्स को सॉफ्टवेयर के जरिये अपने हैडक्वार्टर से जोड़ने वाले हैं जिससे प्राप्त ऑर्डर और भेजे गए ऑर्डर्स के बीच के अंतर में कमी आएगी” उन्होंने कहा। विज्ञापनों पर तिजारावाला ने कहा कंपनी ने इस साल कोई भी नया प्रॉडक्ट लॉन्च नहीं किया और इसलिए कंपनी ज्यादा प्रमोशन नहीं कर रही।

रुचि सोया अधिग्रहण:

हम एक प्रमुख रणनीतिक बिंदु पर हैं जहां हमें हमारी नई अधिग्रहण योजना रुचि सोया पर ध्यान केंद्रित करना है। उन्होंने कहा “रुचि को खरीदने के लिए आवश्यक फंड को हम आंतरिक संसाधनों से जुटाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, इस कारण कंपनी बचत मोड में आ गई है।

रुचि को खरीदने के बारे में यही विचार था कि इसे ज्यादातर आंतरिक पैसे के जरिए खरीदा जाए बजाए कर्ज के।

पतंजलि ने जुलाई में खाद्य तेल के चर्चित नाम रुचि सोया पर अधिग्रहण का अधिकार 4,350 करोड़ रुपयों की बोली लगाकर हासिल किया है,

कंपनी के लिए वापसी कठिन होगी- जानकार

FMCG कारोबार के जानकार भी इस बात पर आश्वस्त नहीं हैं कि कंपनी अपनी गिरावट में रोक लगा पाएगी।

पतंजलि आत्ममुग्धता के दौर से गुज़र रही है इसकी मंदी अर्थव्यवस्था वाली मंदी से संबंधित नहीं है, लेकिन पतंजलि की मंदी बगैर सोचे- समझे किए गए अतार्किक विस्तार, खराब आपूर्ति श्रृंखला और प्रॉडक्ट्स की खराब गुणवत्ता का परिणाम है।
अरविंद सिंघल (रिटेल कंसल्टेंसी टेक्नोपैक के चेयरमैन)

सिंघल ने आगे कहा "वो विज्ञापन थे जो ग्राहकों को ब्रांड की ओर खींचते थे, कंपनी ने विज्ञापनों पर बेहताशा खर्च किया, जिससे ग्राहकों में प्रॉडक्ट्स को उपयोग करने के प्रति रुचि बढ़ी ग्राहकों की डिमांड के साथ चैनल पार्टनर्स भी उत्साहित हुए, लेकिन कंपनी ने उत्पादों की गुणवत्ता को कंट्रोल किए बगैर सोर्सिंग शुरू कर दी। ऐसे में अब ग्राहक का मन पतंजलि उत्पादों से उचाट हो चला, पतंजलि के लिए ऐसे में वापसी करना बहुत कठिन होगा।”

एक्सपर्ट्स ने दावा किया है कि सिर्फ सेल्स ही नहीं ब्रांड इक्विटी पर भी आंच आई है।

ब्रांड कंसल्टेंसी और विज्ञापन एजेंसी रेडिफफ्यूजन के पूर्व सीओओ संतोष सूद ने कहा, "किसी ब्रांड की असली शक्ति ब्रांड एंडोर्सर के चेहरे के बजाए कंपनी की व्यावसायिक नैतिकता होती है, इस मामले में, कंपनी पतंजलि योग गुरु रामदेव की देवत्व छवि और उनके सादगी भरी जीवन शैली के कारण प्रभावित ग्राहकों से जुड़ने के कारण फौरन हिट हो गई। लेकिन यह जुड़ाव हमेशा के लिए नहीं है।

सूद ने आगे जोड़ा "उन्होंने ‘स्वदेशी‘ कहकर ब्रांड का प्रमोशन शुरू किया था जिसका अंत अमेरिकन दिग्गज अमैज़न पर उनके उत्पादों की लिस्टिंग के साथ हुआ, यह बताता है वो क्या कहते हैं और करते हैं। पतंजलि ब्रांड की वापसी कठिन है और सिर्फ और सिर्फ तब ही संभव है जब वो कंपनी को पेशेवर तरीके से संचालित करे।"

सीरियल एंटरप्रेन्योर और फैलिंग टू सक्सीड पुस्तक के लेखक के. वैथीश्वरन का मानना है पतंजलि के उत्पादों की गुणवत्ता या उसकी वितरण नेटवर्क प्रणाली में कुछ गड़बड़ है।

वैथीश्वरन ने यह भी कहा कि "FMCG प्रॉडक्ट्स को विकसित और लॉन्च करना कठिन नहीं है। शुरुआती बिक्री और पक्ष का माहौल हासिल करना भी मुश्किल नहीं है।"

”हालांकि विक्रय की लय को बरकरार रखने की बहुत जरूरत होती है। उत्पाद की क्वालिटी बहुत बढ़िया होने से रिपीट सेल्स यानी दोबारा विक्रय चक्र के लिए पक्ष का माहौल बनता है। वितरकों, स्टॉकिस्ट्स, रिटेलर्स के बीच उत्पादों की आवक-जावक के रखरखाव के बारे में भी यहां विशेष अनुशासन होना जरूरी है।

"FMCG के बहुराष्ट्रीय दिग्गजों का यही एक मजबूत बिंदु है। अगर इनमें से किसी भी एक चीज का रखरखाव नहीं किया गया तो शुरुआती बिक्री में गिरावट आएगी।"

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