ईरान ने इजराइल पर हमला करके युद्ध की शुरुआत कर दी है
इसके बाद से दुनिया के शेयर बाजारों में गिरावट देखने को मिल रही है
आइए समझें क्या दूसरे कारण हैं, जो बाजार पर डाल रहे हैं असर
राज एक्सप्रेस । ईरान इजराइल युद्ध और बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी के अलावा कुछ अन्य वजहों से शेयर बाजार तीन दनों से लगातार गिरावट में बंद हो रहा है। गिरावट का यह सिलसिला केवल भारत तक सीमित नहीं है। ईरान इजराइल युद्ध का असर दुनिया के सभी शेयर बाजारों पर देखा जा सकता है। सेंसेक्स और निफ्टी मंगलवार 16 अप्रैल को लगातार तीसरे दिन लाल निशान में बंद हुए हैं। हालांकि मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स बढ़त में बंद होने में सफल रहे हैं। ईरान ने इजराइल पर हमला करके युद्ध की शुरुआत कर दी है। इसके बाद इजराइल ने ईरान पर जवाबी हमले करने की कसम खाई है। इस युद्ध ने मध्य पूर्व संकट को गंभीर कर दिया है। इस युद्ध के प्रभाव से दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट देखने को मिली है। भारतीय बाजार भी आज लगातार तीसरे कारोबारी दिन इस युद्ध के प्रभाव से मुक्त नहीं हो सका और गिरावट में बंद हुआ।
ईरान इजराइल युद्ध से मध्य पूर्व में तनाव बढ़ने की वजह से कच्चे तेल और सोने की मूल्य में तेजी देखने को मिली है। भूराजनीतिक तनाव की स्थि्ति में निवेशक जोखिम पूर्ण संपत्तियों में निवेश की जगह सोने या डॉलर में निवेश को ज्यादा तरजीह देते हैं। यही वजह है कि आजकल लोग सोने में निवेश कर रहे हैं। सोने में निवेश बढ़ने की वजह से ही इस बहुमूल्य धातु की कीमतें लगातार ऊपर की ओर जा रही हैं। इस गिरावट के बीच निफ्टी 22,370 के अपने 20-डे एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज (ईएमए) के नीचे नीचे चला गया है। इसका मतलब है कि निफ्टी का शॉर्ट-टर्म ट्रेंड बियरिश हो गया है। निफ्टी को अगला मजूबत सपोर्ट 22,000-22,100 पर दिख रहा है।
वैश्विक स्तर पर जब तक कोई बड़ा घटनाक्रम देखने को नहीं मिलता, तब तक निफ्टी के इसी दायरे में रहने की उम्मीद है। शेयर बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि तेजी की स्थिति में निफ्टी को 22,430 से 22,500 की रेंज में रेजिस्टेंस का सामना करना पड़ सकता है। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि शेयर बाजार में पिछले तीन दिनों से जारी गिरावट का मुख्य कारण मध्य पूर्व में ईरान और इजराइल के बीच बढ़ा तनाव है। निवेशक आशंकित हैं कि यह तनाव अगले दिनों में बड़े स्तर पर युद्ध में तब्दील हो सकता है। यही वजह है वे शेयर बाजार से पैसे निकालकर दूसरे फायदेमंद विकल्पों की ओर जा रहे हैं। जिन शेयरों में वे फायदे में हैं, उनमें प्राफिट बुक कर रहे हैं।
दुनिया के अधिकांश स्टॉक मार्केट्स दबाव में दिखाई दे रहे हैं। अमेरिकी स्टॉक मार्केट पर ईरान-इजराइल का असर साफ देखा जा सकता है। वहीं एशियाई बाजारों में जापान का निक्केई, साउथ कोरिया का कॉस्पी और हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स भी गिरावट में ट्रेड करता दिख रहा है। किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में कच्चे तेल का अहम योगदान होता है। कच्चे तेल की कीमतों में बदलाव सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से सभी क्षेत्रों पर असर डालता है। क्रूड ऑयल के दाम फिलहाल अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपने 6-महीने के उच्च स्तर पर जा पहुंचे हैं। माना जा रहा है कि ईरान इजराइल संघर्ष अगर आगे बढा तो तेल आवागमन में निश्चित ही बाधा पड़ेगी। इसका सीधा असर तेल की कीमतों परु देखने को मिल सकता है।
विदेशी निवेशकों (एफआईआई) ने पिछले कुछ दिनों से शेयर बाजार में निकासी तेज कर दी है। एफआईआई ने कल 15 अप्रैल को भी भारतीय शेयर बाजार से 3,268 करोड़ रुपये की निकासी की है। इससे पहले 12 अप्रैल को भी उन्होंने 8,027 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे। शेयर बाजार के विशेषज्ञों के अनुसार यूएस बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी भी शेयर बाजार में गिरावट का एक प्रमुख कारण है। बॉन्ड यील्ड बढ़ने से अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से इस साल ब्याज दर कम करने की संभावना नगण्य हो गई है। निवेशक बॉन्ड यील्ड बढ़ने की स्थिति में शेयर जैसे जोखिम वाले एसेट्स से दूरी बनाते दिखाई देते हैं। बॉन्ड यील्ड विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) को भी बिकवाली के लिए प्रेरित करती है।
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