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स्टील की जगह देश में बनेंगे हल्के-फुल्के अल्यूमीनियम वैगन, 20 फीसदी ज्यादा माल ढुलेगा, उम्र भी होगी ज्यादा

रेल मंत्रालय ने मिशन 3000 मीट्रिक टन की शुरुआत कर दी है। इसके तहत अब लोहे की जगह अल्मिनियम के वैगन बनाए जाने की योजना है, जो लोहे के मुकाबले हल्के होते हैं।

Aniruddh pratap singh

राज एक्सप्रेस । रेल मंत्रालय ने ज्यादा से ज्यादा माल ढुलाई के लिए मिशन 3000 मीट्रिक टन की शुरुआत कर दी है। इसे जल्द से जल्द पूरा किया जाए, इसके लिए दुनिया की सबसे बड़ी अल्यूमीनियम रोलिंग एवं रीसाइक्लिंग कंपनी हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड सामने आई है। इसने स्पेशलाइज्ड इंजीनियरिंग कंपनी टेक्समैको रेल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड से हाथ मिलाया है। दोनों मिल कर भारत में ही विश्वस्तरीय अल्यूमीनियम रेल वैगन और कोच को डिजाइन और मैन्यूफैक्चर करेंगे। इसके लिए दोनों कंपनियों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

भारतीय रेलवे ने तय किया महत्वाकांक्षी लक्ष्य

भारतीय रेल अपनी माल ढुलाई की क्षमता को दोगुना कर 2027 तक 3000 मिलियन टन का लक्ष्य हासिल करना चाहती है। इसके लिए मिशन 3000 मीट्रिक टन की शुरुआत की गई है। इसे रॉलिंग स्टॉक के ऑगमेंटेशन के जरिए प्राप्त किया जाएगा। इसी के जरिए रेलवे ने माल ढुलाई में 45 फीसदी बाजार हिस्सेदारी हासिल करने की योजना बनाई है। इसी महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए सक्रियता से वैगन डिजाइन में सुधार करने की कोशिश कर रहा है। तभी तो इस समय रेलवे वैगन मैन्यूफैक्चरर्स से ऐसे माल डिब्बों की डिजाइन मंगा रहा है जिसकी उम्र ज्यादा हो, हल्के हो और ज्यादा माल ढोए।

हिंडाल्को और टेक्समैको ने हाथ मिलाया

रेलवे में हो रहे इन्हीं बदलावों को देखते हुए हिंडाल्को और टेक्समैको ने इन अवसरों का लाभ उठाने के लिए एक दूसरे से हाथ मिला लिया है। इस करार के तहत हिंडाल्को फैब्रिकेशन और वेल्डिंग की विशेषज्ञता के साथ-साथ अपने यूनिक अल्यूमीनियम मिश्र धातुओं की प्रोफाइल, शीट और प्लेटें मुहैया कराएगी। हिंडाल्को ने पिछले साल ही अपना इन-हाउस एल्यूमीनियम फ्रेट रेक लॉन्च किया था। यह परंपरागत मालगाड़ी के मुकाबले 180 टन हल्का है। इसमें पहले के मालगाड़ी के मुकाबले 19 फीसदी ज्यादा माल ढुलाई हो सकती है।

टैक्समेको को मालगाड़ी बनाने का 80 साल का अनुभव

लोहे की मालगाड़ी के मुकाबले इसमें वीयर एंड टीयर भी कम है और इसे खींचने में कम ऊर्जा की खपत होती है। ज्ञात हो कि हिंडाल्को जहां अल्यूमिनियम क्षेत्र की दिग्गज कंपनी मानी जाती है, वहीं टैक्समेको के पास मालगाड़ी बनाने का 80 सालों का अनुभव है। इस समझौते के तहत मालगाड़ी बनाने की तकनीकी विशेषज्ञता वही कंपनी मुहैया कराएगी। इसके साथ ही डिजाइन, फैक्ट्री तथा प्रोडक्शन लाइन लगाने और कुशल श्रमिक उपलब्ध करने की भी जिम्मेदारी उसी की होगी।

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