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कंपनियों में निवेश और कर्ज देने की सीमा निर्धारित करेगी अडाणी समूह में भारी-भरकम निवेश कर संकट में फंसी LIC

अडाणी समूह की कंपनियों में भारी भरकम निवेश की वजह से संकट में फंसी एलआईसी अपने जो​खिम कम करने के लिए विभिन्न कंपनियों को कर्ज देने और उनमें निवेश की सीमा निर्धारित करने का निर्णय लिया है।

Aniruddh pratap singh

राज एक्सप्रेस। अडाणी समूह की कंपनियों में भारी भरकम निवेश की वजह से संकट में फंसी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) अपने जो​खिम कम करने के लिए विभिन्न कंपनियों को कर्ज देने और उनमें निवेश की सीमा निर्धारित करने का निर्णय लिया है। कंपनी में उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार बीमा कंपनी भविष्य में किसी कंपनी में इतने ब़ड़े पैमाने पर निवेश नहीं करेगी, जो उसके लिए संकट पैदा कर दे। अडाणी समूह में भारी-भरकम निवेश के बाद संकट में फंसी भारतीय जीवन बीमा निगम प्रबंधन अब एक ऐसा फ्रेमवर्क विकसित करना चाहती है, ताकि उसके वित्तीय हित, कामकाज के दौरान पैदा होने वाला जोखिमों से प्रभावित नहीं हों। इसी लिए बीमा कंपनी विभिन्न कंपनियों को कर्ज देने और उनमें निवेश की सीमा निर्धारित करने की योजना बनाई है।

अडाणी समूह में एलआईसी का चार अरब डालर निवेश

अमेरिकी शार्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के बाद अडाणी समूह के मूल्यांकन में 100 अरब डॉलर से ज्यादा ​की गिरावट आई है। एलआईसी के लिए दिक्कत की बात यह है कि उसने समूह की कंपनियों में 4 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है। ऐसे में अडाणी समूह में बड़ा निवेश करने को लेकर एलआईसी की आलोचना की जा रही है। करीब 539 अरब डॉलर मूल्य की संप​त्तियों का प्रबंधन करने वाली देश की सबसे बड़ी घरेलू संस्थागत निवेशक एलआईसी किसी एक कंपनी, समूह की कंपनियों और समान प्रवर्तकों वाली कंपनियों में ऋण तथा इ​क्विटी निवेश पर सीमा निर्धारित करने की योजना बना रही है। सूत्रों के अनुसार एलआईसी विभिन्न कंपनियों में अपने निवेश की सीमा निर्धारित करना चाहती है, ताकि वह भविष्य में जोखिमों से बचा जा सके।

एलआईसी बोर्ड की अनुमति के बाद लागू होगी योजना

सूत्रों ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि यह योजना फिलहाल, विचार-विमर्श के स्तर पर है। एलआईसी के बोर्ड से इसे अभी मंजूरी नहीं मिली है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए एलआईसी और वित्त मंत्रालय को ईमेल किया गया, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया। एलआईसी के बोर्ड से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद एलआईसी के निवेश पर सीमा लगाई जा सकती है। वर्तमान में एलआईसी किसी एक कंपनी में 10 फीसदी हिस्सेदारी से ज्यादा या 10 फीसदी ऋण से ज्यादा का निवेश नहीं कर सकती है। भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्रा​धिकरण के अनुसार बीमा कंपनियां अपने निवेश कोष को एक कंपनी या प्रवर्तक समूह की कंपनियों के इ​क्विटी और डेट में 15 फीसदी से ज्यादा निवेश नहीं कर सकती हैं।

भविष्य के जोखिमों से बचने के लिए बनाई योजना

एक अन्य सूत्र ने कहा यह कदम निवेश रणनीति को सुदृढ़ बनाने और एलआईसी के निवेश निर्णय को लेकर सार्वजनिक आलोचना से बचने के मकसद से उठाया जा रहा है। हालांकि निवेश की सीमा कितनी होगी इस पर कंपनी की निवेश समिति निर्णय ​करेगी। सूत्र ने कहा एलआईसी का अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में 30,120 करोड़ रुपये और ऋण में 6,182 करोड़ रुपये का निवेश है। बीमा नियामक द्वारा बीमा फर्म की ओर से किसी कंपनी में निवेश की जो सीमा तय की गई है, उसके अनुसार एलआईसी बड़ा निवेश कर सकती है, क्योंकि इसके पास निवेश योग्य कोष का आकार काफी बड़ा है। बीमा कंपनी, अडाणी समूह में बड़े निवेश के बाद, अपने पालिसी धारकों के निवेश को ऐसे संभावित जोखिमों से बचाने के ही अपने आपको सुरक्षित रखने के लिए अपने आपको सख्त नियमों में बांधने का प्रयास कर रही है।

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