Kumar Mangalam Birla Statement Kavita Singh Rathore -RE
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क्या सरकार की मदद को मोहताज़ है वोडाफोन-आइडिया कंपनी ?

क्या सरकार से मदद न मिलने पर देश की अग्रणी दूरसंचार कंपनियों में शामिल वोडाफोन-आइडिया कंपनी बंद हो जाएगी ? इस सवाल का जवाब कंपनी के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला के बयान से भलीभांति समझा जा सकता है।

Author : Kavita Singh Rathore, Neelesh Singh Thakur

हाइलाइट्स :

सरकारी राहत न मिलने पर बंद करना पड़ेगी दुकान

वोडाफोन-आइडिया को बचाने सरकारी मदद की जरूरत

मंगलम बिड़ला के बयान आने के बाद शेयरों में गिरावट

राज एक्सप्रेस। कुछ समय से लगभग सभी टेलिकॉम कंपनियां नुकसान का सामना कर रही है। इन्ही में एक कंपनी वोडाफोन-आइडिया भी है। हालांकि यह कंपनियां कुछ समय पहले ही मर्ज हुई है। कंपनी ने यह फैसला भी भारतीय टेलिकॉम जगत में कंपनियों के हाल इन दिनों बुरे चलने के तहत लिया था। इतना ही नहीं कोर्ट के निर्णय के बाद से देश की नामी टॉप टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों में शुमार भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।

इवेंट का हिस्सा बने मंगलम बिड़ला :

कर्ज का बोझ बढ़ने साथ ही बाजार में Jio की तगड़ी रणनीतियों के चलते दोनों कंपनियां चाहकर भी उबर नहीं पा रहीं है। ऐसे में एक इवेंट का हिस्सा बनने पहुंचे आईडिया के चेररमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने इवेंट के दौरान कंपनी की आगामी रणनीतियों के बारे में पूछे गए सवाल पर कुछ ऐसा जवाब दिया, जो हैरान कर देने वाला था। उनके इस बयान के बाद से कंपनी के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। कर्ज का बोझ बढ़ने से ऑपरेशंस में आ रही दिक्कतों पर ध्यान आकर्षित करते हुए कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा था-

“इस बात का कोई मतलब नहीं कि डूबते पैसे में और पैसा लगाया जाए।“
कुमार मंगलम बिड़ला

हैरान कर देने वाला बयान :

दरअसल एक इवेंट में आईडिया के चेररमैन मंगलम बिड़ला 53,038 करोड़ रुपये के कर्ज पर सरकार द्वारा राहत देने की बात कर रहे थे और कंपनी के भविष्य से जुड़े सवाल का जवाब दे रहे थे, इसी दौरान उन्होंने यह बयान दिया। वहीं उनके इस बयान के बाद शुक्रवार को कंपनी के शेयरों में गिरावट देखने को मिली। वोडा-आइडिया के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा था,

“अगर सरकार से कंपनी को मदद नहीं मिलती है, तो उन्हें मजबूरी में दुकान बंद करना पड़ेगी।“
कुमार मंगलम बिड़ला

निवेश की योजना नहीं :

बिड़ला ने कहा कि, अगर कंपनी को सरकार से मदद नहीं मिली तो कंपनी बंद हो सकती है। साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि, सरकारी मदद के अभाव में फिलहाल कंपनी में और ज्यादा पैसा निवेश करने की उनकी कोई योजना नहीं हैं।

दिवाला प्रक्रिया :

बिड़ला ने बताया कि, केंद्र सरकार से वक्त पर राहत ना मिलने की स्थिति में कंपनी प्रबंधन कंपनी को दिवाला प्रक्रिया में ले जाने की तैयारी में है। दूसरी तिमाही में वोडा-आइडिया समूह को तकरीबन 53 हजार करोड़ रुपये का घाटा बताया गया है।

दूसरी तिमाही का घाटा :

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के डिसीज़न के कारण वोडा-आइडिया को लगभग 53 हजार करोड़ रुपये का भुगतान गवर्नमेंट को करना होगा। कंपनी ने जुलाई-सितंबर की दूसरी तिमाही में तकरीबन 51 हजार करोड़ रुपये का घाटा बताया है। इसी तरह सेक्टर के दूसरे बड़े नाम एयरटेल को भी इस पीरियड में तकरीबन 23 हजार करोड़ रुपये का घाटा बताया गया है। भारतीय टेलिकॉम सेक्टर में इतनी बड़ी गिरावट इसके पहले कभी नहीं देखी गई थी।

सेक्टर पर इतना बोझ :

स्पेक्ट्रम और लाइसेंस शुल्क बकाया मामले में सुप्रीम कोर्ट के डिसीज़न के बाद टेलिकॉम सेक्टर की नामी कंपनियों पर लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये जमा करने का बोझ एकाएक आ पड़ा है। इंडियन टेलिकॉम सेक्टर की रेस में नंबर टू एयरटेल को लगभग 62 जबकि वोडा-आइडिया को करीब 54 हजार करोड़ रुपये जमा करना होंगे। वहीं RCom के लिए अनिल अंबानी को भी काफी कुछ बकाया जमा करना होगा। हालांकि मंदी के दौर से जूझ रही इंडियन इकोनॉमी के अहम सेक्टर की खराब सेहत को सुधारने के लिए केंद्र सरकार ने एयरटेल और वोडा-आइडिया को बाकी का शुल्क जमा करने के मामले में फिलहाल दो साल का राहतकारी वक्त दिया है।

थर्ड लार्जेस्ट प्रोवाइडर :

वोडाफोन-आईडिया लिमिटेड इस समय देश की तीसरी सबसे बड़ी मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर कंपनी है। अरबपति चेयरमैन केएम बिड़ला ने कहा कि “यदि हमें कुछ नहीं मिलता तो मैं समझता हूं ये वोडाफोन-आईडिया की कहानी का अंत है।“ दरअसल बिड़ला ने ये बात उस सवाल के जवाब में कही, जिसमें उनसे 53 हजार करोड़ से अधिक के भुगतान में सरकारी मदद न मिलने पर वोडाफोन-आइडिया के भविष्य के बारे में पूछा गया था।

मिलकर भी नहीं जी पाए :

मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो का मुकाबला करने के लिए बिरला के आइडिया सेल्युलर और ब्रिटिश टेलिकॉम जायंट वोडाफोन की इंडियन यूनिट का पिछले साल विलय हुआ था। लेकिन इसके बावजूद दोनों मिलकर भी जियो का मुकाबला नहीं कर पाए फिलहाल वोडाफोन-आइडिया की जमीनी हकीकत किसी से नहीं छिपी।

लेकिन उम्मीद बरकरार :

बिरला न केवल टेलिकॉम सेक्टर बल्कि इकोनॉमी में सरकारी मदद से प्राण फूंकने के लिए अभी भी आशान्वित हैं।

“वे (सरकार) ने इस सत्य को स्वीकार किया है कि यह (टेलिकॉम) बहुत महत्वपूर्ण सेक्टर है। पूरा डिजिटल इंडिया प्रोग्राम इस पर टिका है। यह निर्णायक सेक्टर है।“
कुमार मंगलम बिड़ला, चेररमैन, वोडाफोन-आईडिया

उन्होंने कहा कि, सरकार ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि वह निजी क्षेत्र के तीन खिलाड़ियों और सार्वजनिक क्षेत्र के एक खिलाड़ी को चाहती है। हम सरकार से बहुत अधिक की उम्मीद कर सकते हैं क्योंकि, यह सेक्टर को जीवित रखने के लिए काफी जरूरी है। एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यु (AGR) को उन्होंने विशालकाय हाथी जैसी समस्या बताया।

एजीआर यानी समायोजित सकल राजस्व वो प्रतिशत है, जिसे दूरसंचार कंपनियां वैधानिक बकाया के रूप में भुगतान करती हैं। बिड़ला ने उम्मीद जताई है कि, सरकार के जीतने के कारण न्याय प्रक्रिया में बातचीत की गुंजाईश बाकी है, ताकि निदान खोजा जा सके।

बयान का असर :

समूह के चेयरमैन के बयान के बाद वोडाफोन-आइडिया के शेयरों में शुक्रवार को 5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आ गई। स्टॉक 5.34 फीसदी की गिरावट के साथ 6.92 रुपये पर बंद हुआ। बीएसई पर इंट्रा-डे, 6.66 रुपये के निचले स्तर पर पहुंच गया। यह पिछली क्लोज़िंग के मुकाबले 8.89 प्रतिशत कम रहा। नेशनल स्टॉक एक्सचैंज (NSE) पर भी गिरावट देखी गई। NSE पर वोडाफोन-आइडिया के 51 करोड़ से अधिक जबकि, BSE पर पांच करोड़ से अधिक शेयर्स की ट्रेडिंग हुई।

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