राज एक्सप्रेस। आज दुनियाभर में शायद ही कोई ऐसा होगा जो मुकेश अंबानी का नाम नहीं जानता होगा। उन्हें पूरी दुनिया भारत के सबसे अमीर शख्स और रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) के चेयरमैन के रूप में जानती है। जहां, पूरी दुनिया मुकेश अंबानी का लोहा मानती है वहीं, एक साधारण से शख्स ने मुकेश अंबानी को चूना लगा दिया। बता दें, इतनी बड़ी घोखाधड़ी को अंजाम देने वाले शख्स का नाम कल्पेश दफ्तरी है। वहीं, अब इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने कार्रवाई शुरू कर दी है।
ED ने शुरू की कार्रवाई :
दरअसल, भारत के सबसे सबसे अमीर शख्स और रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) के मालिक मुकेश अंबानी के साथ धोखाधड़ी होने का एक मामला सामने आया है। इस मामले में कल्पेश दफ्तरी नामक एक व्यक्ति ने मुकेश अंबानी को चूना लगा दिया। इस मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने फर्जीवाड़ा करने वाले शख्स कल्पेश दफ्तरी की कंपनी संकल्प क्रिएशन प्राइवेट लिमिटेड की 4.87 करोड़ रुपये की सम्पत्ति अटैच कर दी है। बता दें, ED द्वारा अटैच की गई इस संपत्ति में कल्पेश दफ्तरी का मुंबई में स्थित एक व्यावसायिक परिसर और राजकोट में स्थित चार कॉमर्शियल प्रॉपर्टीज भी शामिल हैं।
CBI ने दर्ज की FIR :
बताते चलें, रिलायंस इंडस्ट्री के साथ हुई धोखाधड़ी मामले में CBI ने एक FIR दर्ज की थी और ED ने इसी FIR के आधार पर PMLA के तहत जांच शुरू की। ED द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, कल्पेश दफ्तरी ने कुछ लोगों के साथ मिलकर विशेष कृषि और ग्राम उद्योग योजना VKGUY (Vishesh Krishi and Gram Udyog Yojana Licences) के 13 लाइसेंसों का घोटाला तो किया ही साथ ही इन लाइसेंसों को हिंदुस्तान कॉन्टिनेंटल लिमिटेड नाम की कंपनी का चालान बनाकर रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) को बेच कर कंपनी को चूना लगा दिया।
6.8 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा :
ED द्वारा की गई जांच में से पता चला कि, इस कंपनी ने 13 लाइसेंस बेचे और उनसे कंपनी को 6.8 करोड़ रुपये मिले। यह कंपनी इन पैसों को एक कंपनी से दूसरी कंपनी में घूमती रही।जिससे इस फर्जीवाड़े पर किसी को शक न हो। ED ने यह भी बताया है कि, इस पूरी साजिश में कल्पेश दफ्तरी के साथ नियाज़ अहमद, पीयूष वीरमगामा, विजय गढ़िया नाम के लोग भी शामिल थे। यह लोग मिलकर इन पैसों का इस्तेमाल करते थे। ED ने इस मामले में एक आधिकारिक प्रेस रिलीज़ भी जारी की है। जिसमें कहा गया है कि, CBI ने FIR दर्ज की थी।
गौरतलब है कि, CBI ने IPC की धोखाधड़ी आदि की धाराओं 420, 467, 468, 471, 477A के अलावा प्रिवेन्शन ऑफ़ करप्शन एक्ट 1988 के सेक्शन 13(2) और 13(1)(d) के तहत यह मामला दर्ज किया था। जिसके आधार पर ED ने जांच शुरू की और मामले का खुलासा किया।
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