एचएसबीसी होल्डिंग्स ने कहा है कि चीन दुनिया की दूसरी और भारत पांचवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था जरूर है, पर उनके आकार में बहुत अंतर है
यह सही नहीं है भविष्य में भारत दुनिया के ग्रोथ इंजन के रूप में चीन की जगह ले लेगा। चीन अगले दिनों में अपने स्थान पर काबिज रहेगा
जबकि, बार्कलेज का मानना है अगर सालाना ग्रोथ 8 फीसदी है, तो भारत अगले पांच सालों में वैश्विक विकास इंजन के रूप में चीन से आगे निकल सकता है
भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर एचएसबीसी का दृष्टिकोण बार्कलेज की तुलना में कहीं ज्यादा सावधानी भरा
राज एक्सप्रेस। भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से विकास कर रही है। हाल के सालों में कारोबारी गतिविधियां बढ़्ने से भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार में काफी बदलाव आया है। लेकिन यह अभी भी चीन की अर्थव्यवस्था की तुलना में छोटी है। चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जबकि भारत पांचवीं। एचएसबीसी होल्डिंग्स पीएलसी ने शुक्रवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन दुनिया की दूसरी और भारत पांचवीं सबसे बडी अर्थव्यवस्था जरूर है, लेकिन उनके आकार में बहुत अंतर है। हाल के दिनों में कहा जा रहा है कि भारत जल्दी ही दुनिया के ग्रोथ इंजन के रूप में चीन को पीछे छोड़ सकता है। एचएसबीसी होल्डिंग्स ने अपनी रिपोर्ट मे कहा है कि फिलहाल ऐसा होता नहीं दिखाई दे रहा है कि भविष्य में भारत दुनिया के ग्रोथ इंजन के रूप में चीन की जगह ले लेगा।
अर्थशास्त्री फ्रेडरिक न्यूमैन और जस्टिन फेंग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि अर्थव्यवस्था के आकार के मामले में भारत अभी चीन से बहुत पीछे है। भारत की अर्थव्यवस्था अभी अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रही है। कई कारण हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को पीछे खींच रही हैं। बुनियादी ढांचे की बाधाएं, भ्रष्टाचार और कुशल श्रमिकों की कमी ऐसी बाधाएं हैं, जो विकास के लिहाज से संकट बनी हैं। रिपोर्ट मे्ं कहा गया है कि चीन की अर्थव्यवस्था इतनी बड़ी है कि किसी भी दूसरे देश के लिए उससे आगे निकलना बहुत मुश्किल है। चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और तेजी से विकास कर रही है। चीन वस्तुओं और सेवाओं का एक प्रमुख आयातक-निर्यातक के रूप में वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
वर्तमान स्थिति के अनुसार आईएमएफ के पूर्वानुमानों के आधार पर एचएसबीसी को उम्मीद है कि निकट भविष्य में दोनों अर्थव्यवस्थाओं के बीच अंतर बरकरार रहेगा और 2028 तक 17.5 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ जाएगा। यह यूरोपीय संघ की मौजूदा अर्थव्यवस्था साइज के बराबर है। पिछले साल दोनों देशों के बीच का अंतर 15 ट्रिलियन डॉलर था। भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एचएसबीसी का दृष्टिकोण बार्कलेज की तुलना में ज्यादा सावधानी भरा है। एचएसबीसी के अनुसार देश की अर्थव्यवस्था अभी तक इतनी बड़ी या विकसित नहीं हुई है कि वह दुनिया के मुख्य आर्थिक विकास इंजन के रूप में चीन की स्थानापन्न बन सके। दूसरी ओर, बार्कलेज ज्यादा आशावादी है। उसका मानना है कि अगर सालाना ग्रोथ 8 फीसदी रही, तो भारत अगले पांच सालों में वैश्विक विकास इंजन के रूप में चीन से आगे निकल सकता है।
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