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इसरो ने आदित्य एल-1 को अगली कक्षा में भेजा, सब कुछ सामान्य, 5 सितंबर को फिर बदली जाएगी कक्षा

Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • लैगरेंज प्वाइंट धरती व सूर्य के बीच स्थित वह स्थान है जहां गुरुत्व सम होता है

  • इस स्थान से सूर्य से जुड़े अध्ययन बिना किसी परेशानी के पूरे किए जा सकते हैं

  • 16 दिनों तक पृथ्वी की कक्षा में रहेगा। 5 बार थ्रस्टर फायर कर ऑर्बिट बढ़ाएगा

राज एक्सप्रेस। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आदित्य एल-1 को शनिवार को सूर्य का अध्ययन करने के लिए रवाना किया है। ईसरो के वैज्ञानिकों ने बेंगलुरु स्थित कमान केंद्र से उपग्रह आदित्य एल-1 को और ऊपर की कक्षा में स्थापित किया है। उपग्रह को अब अपनी नई कक्षा में 245 किलोमीटर x 22459 किलोमीटर में स्थापित किया गया है। 245 किमी x 22459 किमी कक्षा का मतलब है कि इसकी पृथ्वी से सबसे कम दूरी 245 किमी है और सबसे ज्यादा दूरी 22459 किमी है। इसरो ने अपने एक बयान में बताया कि उपग्रह पूरी तरह से स्वस्थ है और सामान्य रूप से काम कर रहा है। 5 सितंबर 2023 को सुबह तीन बजे एक बार फिर उपग्रह की कक्षा में बदलाव कर इसे और ऊपर ले जाया जाएगा।

इसरो ने शनिवार को भेजा आदित्य एल-1 सूर्य मिशन

इसरो ने शनिवार को श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर से अपने पहले अंतरिक्ष-आधारित मिशन आदित्य एल-1 को सूर्य का अध्ययन करने के लिए लॉन्च किया है। पीएसएलवी सी-57 राकेट से उपग्रह को सफलतापूर्वक लांच किया गया था। इसरो ने अपने बयान में बताया है कि भारत की पहली सोलर वेधशाला ने अपनी यात्रा सूर्य और पृथ्वी के बीच स्थित गुरुत्वविहीन स्थान के लिए यात्रा शुरू कर दी है। आदित्य एल-1 मिशन इसरो के चंद्रयान-3 मिशन के कुछ सप्ताह बाद लांच किया गया है, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग कर ली है और विभिन्न प्रयोग शुरू कर दिए हैं।

धरती से 1.5 मिलियन किमी दूर है यह स्थान

आदित्य एल-1 उपग्रह को सूर्य-पृथ्वी के बीच स्थित लैगरेंज प्वाइंट (एल-1) क्षेत्र में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है। लैगरेंज पॉइंट का नाम इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया है। इसे बोलचाल में एल1 नाम से जाना जाता है। एल1 बिंदु के चारों ओर हेलो कक्षा में रखा गया, जहां से उपग्रह बिना किसी बाधा के लगातार सूर्य का अध्ययन कर सकता है। इस स्थान पर सूर्य ग्रहण का भी प्रभाव नहीं पड़ता। यहां से सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष के मौसम के प्रभाव के अध्ययन में विशेष रूप से सहायता मिलेगी। आदित्य एल-1 को अध्ययन के लिए इसी स्थान पर रखा जाएगा।

आदित्य एल-1 में सात पेलोड

आदित्य एल-1 में सात पेलोड हैं, जो फोटोस्फियर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य के सबसे बाहरी परतों (कोरोना) का अवलोकन करेंगे। इनमें से चार पेलोड सूर्य के अध्ययन पर केंद्रित रहेंगे जबकि शेष तीन पेलोड एल-1 बिंदु पर कणों और क्षेत्रों का इन-साइट अध्ययन करेंगे। इन पेलोड्स की मदद से कोरोनल हीटिंग, कोरोनल द्रव्यमान उत्सर्जन और अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता, कणों और क्षेत्रों के प्रसार आदि को समझने में मदद मिलेगी।

काम पूरा करने के बाद नींद के आगोश में प्रज्ञान

इस बीच, इसरो ने बताया कि चंद्र मिशन पर गए चंद्रयान-3 रोवर प्रज्ञान ने अपना काम पूरा कर लिया है। अब इसे सुरक्षित रूप से एक स्थान पर पार्क कर दिया गया है। उसे नींद की स्थिति में सेट कर दिया गया है। इसरो ने बताया कि एपीएक्स और एलआईबीएस पेलोड बंद हैं। इन पेलोड से डेटा लैंडर के माध्यम से पृथ्वी पर प्रेषित किया जाता है। इसरो ने बताया कि वर्तमान में, बैटरी पूरी तरह से चार्ज है। सौर पैनल को इस तरह सेट किया गया है कि जब सूर्योदय हो तो प्रकाश सीधे सौर पैनलों पर पड़े। रिसीवर को चालू रखा गया है। अगला सनराइज 22 सितंबर को होने की उम्मीद है। उम्मीद है कि रोवर नींद पूरी करके फिर जागेगा और अपनी आगे की जिम्मेदारियां पूरी करेगा। जब यह मिशन पूरा हो जाएगा तो भी वह भारत के राजदूत के रूप में चंद्रमा पर मौजूद रहेगा।

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