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महंगाई नियंत्रित व GDP के आंकड़े संतोषजनक, इस बार भी RBI अपरिवर्तित रख सकता है रेपो रेट

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में एमपीसी की बैठक छह दिसंबर को शुरू होगी। एमपीसी ब्याज दर संबंधी फैसले की घोषणा 8 नवंबर को करेगी।

Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • एमपीसी की बैठक 6 दिसंबर को शुरू होने वाली है

  • एमपीसी ब्याज दर की घोषणा 8 दिसंबर को करेगी।

  • पिछली 4 बैठकों में एमपीसी ने नहीं बढ़ाई ब्याज दर

  • महंगाई व आर्थिक विकास के आंकड़े संतोषजनक

राज एक्सप्रेस। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक छह दिसंबर को शुरू होने वाली है। एमपीसी ब्याज दर संबंधी फैसले की घोषणा आठ नवंबर को करेगी। उल्लेखनीय है कि पिछली चार बैंठकों में रेपो रेट नहीं बढ़ाई गई है । उम्मीद है कि छह नवंबर से शुरू होने वाली एमपीसी बैठक में भी ब्याज दरों को स्थिर रखा जा सकता है। मुद्रास्फीति सीमा में रहने और अर्थव्यवस्था की विकास की गति संतोषजनक होने के आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि एमपीसी इस बार भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा।

देश के केंद्रीय बैंक ने अपनी पिछली चार द्विमासिक बैठकों में रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने फरवरी माह में आखिरी बार रेपो रेट को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया था। मौद्रिक नीति के संदर्भ में सर्वोच्च नीति नियामक एमपीसी की बैठक छह दिसंबर को शुरू होगी, जबकि नतीजा आठ को सामने आएगा। इसकी अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास करेंगे। एमपीसी मौद्रिक नीति संबंधी सर्वोच्च नीति नियामक संस्था है। एमपीसी का ब्याज दर पर लिए गए फैसले की घोषणा आठ नवंबर को की जाएगी।

एमपीसी में कुल छह सदस्य होते हैं, जिनमें तीन बाहरी और तीन अंदरूरी सदस्य होते हैं। शशांक भिडे, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा बाहरी सदस्य हैं, जबकि अंदरूनी सदस्यों के रूप में आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास, कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन और डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा शामिल हैं। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे।

माना जा रहा है कि केंद्रीय बैंक इस बार नीतिगत ब्याज दरों के साथ अपने मौद्रिक रुख पर पुराना रुख कायम रख सकता है। सितंबर तिमाही के दौरान 7.6 प्रतिशत की सकल घरेलू उत्पाद (डीजीपी) विकास दर विश्वास दिलाती है कि देश की अर्थव्यवस्था पटरी पर है। पिछले कुछ माह के मुद्रास्फीति के आंकड़े भी सिफारिश करते हैं कि फिलहाल रेपो रेट बढ़ाने की कोई जरूरत नहीं है। इसी आधार पर माना जा रहा है कि एमपीसी पिछली चार बैठकों की तरह इस बार भी रेपो रेट नहीं बढ़ाने का निर्णय ले सकता है।

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