राज एक्सप्रेस। यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग के चलते कई देश प्रभावित हो रहे हैं। इसके अलावा कई देश रूस द्वारा उठाए कदमों के चलते रूस के खिलाफ सख्त रवैया अपना रहे हैं। इतना ही नहीं यूक्रेन का सपोर्ट कर रहे कई देश (NATO) तो रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करने के लिए हर संभव कोशिश में लगे हैं जिससे रूस घुटने टेक दे। इसी कड़ी में अमेरिका और अमेरिकी कंपनियों सहित कई अन्य कम्पनियाँ भी अब तक रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा चुकी है, लेकिन इन सब का असर सिर्फ रूस पर नहीं पड़ रहा है, बल्कि अन्य देशों पर भी पड़ रहा है। इन देशों में भारत का नाम भी बड़े स्तर पर नजर आरहा है।
शेयर बाजारों पर युद्ध का असर :
रूस और यूक्रेन की भारी झड़प ने युद्ध का रूप ले लिया था जो अब काफी बड़े स्टार पर पहुंच गया है इस युद्ध के चलते काफी देश प्रभावित हो रहे हैं। इस युद्ध का गंभीर असर कई देशों के शेयर बाजारों पर भी नजर आ रहा है। जिसमें भारत का नाम भी बड़े स्तर पर शामिल है। भारत को भी इस युद्ध के चलते पिछले 3 हफ्तों के दौरान में सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं, लगातार चौथे हफ्ते में आज भारतीय शेयर बाजार को फिर बड़ी गिरावट देखने को मिली है और इस घाटे का मुख्य कारण यूक्रेन के बने हालातों के चलते तेल की कीमतों में दर्ज की गई बढ़त। इसके अलावा मुद्रास्फीति की आशंकाओं के बढ़ने से भी बाजार मे गिरावट दर्ज की गई। इनसब के चलते ब्लू-चिप NSE निफ्टी 50 इंडेक्स 1.53% की गिरावट के बाद 16,245 पर बंद हुआ। जबकि S & P BSE सेंसेक्स लगातार तीसरे सत्र में 750 अंक से ज्यादा की गिरकर 54,333 पर बंद हुआ।
भारत को हुआ नुकसान :
बताते चलें, यूक्रेन और रूस के बीच यह युद्ध लगातार दूसरे हफ्ते जारी है। इस मामले में यूक्रेन के अधिकारियों ने पुष्टि करते हुए बताया है कि, 'रूसी सेना ने यूरोप में सबसे बड़े परमाणु ऊर्जा संयंत्र (nuclear power plant) पर कब्जा कर लिया है।' रूस द्वारा 24 फरवरी को यूक्रेन पर किए पहले हमले करने के बाद से अब तक सेंसेक्स लगभग 3,000 अंक लुढ़क चुका है। जबकि, इस युद्ध के शुरू होने से पहले भी शेयर बाजार में युद्ध की आशंका के बीच गिरावट देखीू जा रही थी। इसके बाद 16 फरवरी से BSE पर लिस्टेड स्टॉक का बाजार पूंजीकरण 2,62,18,594 करोड़ था। तब से भारतीय बाजार अब तक लगभग 15 लाख करोड़ रुपये का नुकसान उठा चुके हैं। आपको जान कर हैरानी होगी कि, भारत का यह नुकसान यूक्रेन के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) से भी ज्यादा है। स्टेटिस्टा वेबसाइट (Statista website) द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, साल 2021 में यूक्रेन की GDP 181 अरब डॉलर थी।
वीके विजय कुमार का कहना :
जियोजित वित्तीय सेवाएं (Geojit Financial Services) के वीके विजय कुमार ने कहा "युद्ध और कच्चे तेल में उछाल ने आर्थिक परिदृश्य और बाजार की उम्मीदों को पूरी तरह से बदल दिया है। यदि युद्ध लंबा चलता है तो वैश्विक आर्थिक विकास प्रभावित हो सकता है। भारत में सरकार और RBI दोनों ने कच्चे तेल की कीमत लगभग 75 डॉलर मानकर चल रही थी। इसलिए, बजट और मोनटेरी पॉलसी में अनुमानों को वास्तविक रूप संशोधित करना होगा। वहीं दूसरी तरफ भले ही कच्चे तेल की कीमत गिरकर 100 डॉलर के आसपास रहती है, फिर भी वित्त वर्ष 2023 के लिए मुद्रास्फीति RBI के पूर्वानुमान से काफी अधिक होगी। इसके बाद MPC को दरें बढ़ाने के लिए मजबूर किया जाएगा। इससे आर्थिक रिकवरी पर असर पड़ेगा।"
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