कारखाना कामकाज में आई गति। (सांकेतिक चित्र) - Social Media
व्यापार

सर्वे : पांच महीनों बाद भारत की फैक्ट्री गतिविधियों में दिखी हलचल

"अगस्त के आंकड़ों से भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में सकारात्मक सुधार की आस जगी है। आंकड़ों से दूसरी तिमाही में सुधार के संकेत मिले हैं।"

Author : Neelesh Singh Thakur

हाइलाइट्स –

  • प्राइवेट बिजनेस सर्वे रिपोर्ट

  • कारखाना कामकाज में आई गति

  • पांच माह से कामकाज पड़ा था ठप्प

राज एक्सप्रेस। भारत में कारखाना गतिविधियों में अगस्त महीने में कुछ गति मिलने का दावा किया गया है। पिछले पांच महीनों से इंडस्ट्रियल सेक्टर का कामकाज लगभग ठप्प पड़ा था।

प्राइवेट बिजनेस सर्वे –

निजी व्यापार सर्वे के आंकलन के अनुसार इस साल पांच महीनों में पहली बार अगस्त महीने में भारत में फैक्ट्रियों की गतिविधियों में हलचल दिखाई दे रही है। ऐसा लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील देने से हुआ।

इस ढील के कारण घरेलू मांग ने भी वापसी की। हालांकि कंपनियों ने इस बीच नौकरियों में कटौती करना जारी रखा है।

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त्वरित राहत की उम्मीद नहीं -

लेकिन उछाल से भारतीय अर्थव्यवस्था में त्वरित बदलाव की संभावना नहीं है क्योंकि यह पिछली तिमाही में भारतीय जीडीपी रेट की सालाना -23.9 फीसद रिकॉर्ड सुस्त रफ्तार से भी संबंधित है।

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पूरे साल मंदी! -

रॉयटर के एक सर्वे पोल के नतीजों में इस वित्तीय वर्ष के दौरान पूरे साल मंदी बने रहने के संकेत मिले हैं। IHS मार्किट द्वारा संकलित निक्केई मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स जुलाई में 46.0 से बढ़कर अगस्त में 52.0 हो गया।

आपको पता हो मार्च के बाद पहली बार संकुचन से उबरते हुए इसमें 50-लेवल की वृद्धि दर्ज हुई है। आईएचएस मार्किट (IHS Markit) के मुताबिक अगस्त के आंकड़ों से भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में सकारात्मक सुधार की आस जगी है। आंकड़ों से दूसरी तिमाही में सुधार के संकेत मिले हैं।

विदेशी मांग में संकुचन -

हालांकि, चल रहे कोविड-19 व्यवधानों के बीच अगस्त में सभी लोग सकारात्मक नहीं थे। कोरोना के कारण उत्पादित वस्तुओं को सुपुर्द करने या संबंधितों को सौंपने का समय भी अप्रत्याशित रूप से प्रभावित हुआ।

जबकि समग्र मांग और आउटपुट पर नज़र रखने वाले उप-सूचकांक फरवरी के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गए। हालांकि पांच महीने में पहली बार इसमें विस्तार देखने को मिला है।

विदेशी मांग में छठवें महीने भी क्रमबद्ध रूप से संकुचन दिखाई दिया। मार्च 2009 के बाद से यह इसकी सबसे लंबी मंदी है।

नौकरियों में कटौती -

कोरोनो वायरस से संबंधित व्यवधानों के कारण पहले से ही अपनी नौकरी खो चुके लाखों लोगों को जोड़ते हुए, फर्मों ने पांचवें सीधे महीने के लिए अपने कार्य बल में कटौती जारी रखी। गौरतलब है कोरोना वायरस महामारी दुनिया में किसी और देश की तुलना में भारत में तेजी से फैल रही है।

हालांकि इनपुट की कीमतें लगभग दो वर्षों में सबसे तेज गति से बढ़ीं। रिपोर्ट के मुताबिक मांग बढ़ाने के लिए फर्मों ने चार महीने के लिए अपने माल की कीमतों में कटौती की है।

इससे मुद्रास्फीति के समग्र दबाव को कम करने की संभावना नहीं है, जो कि भारतीय रिजर्व बैंक के सितंबर 2019 के बाद के चार प्रतिशत के मध्यम लक्ष्य से ऊपर बना हुआ है।

उम्मीद की किरण -

मुद्रास्फीति में तेजी से केंद्रीय बैंक ने अप्रत्याशित रूप से पिछले महीने ब्याज दरों को बनाए रखा। हालांकि रॉयटर्स के एक सर्वेक्षण के अनुसार, यह अपनी प्रमुख दर में 25 आधार अंकों की अगली तिमाही में 3.75 प्रतिशत की कटौती करेगा। इसके बाद कम से कम वर्ष 2022 तक रोक देगा।

फैक्ट्री सर्वेक्षण में उम्मीद जताई गई है कि आगामी 12 महीनों में यह जगत अपने उच्चतम स्तर को प्राप्त करेगा।

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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