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गुणवत्ता में कमी की वजह से फिशिंग, फार्मा, चमड़ा और फुटवियर में घटा भारत का निर्यात, कई सेक्टर्स में बढ़ोतरी

निर्यात के कुछ क्षेत्रों में हाल के दिनों में भारतीयों कारोबारियों ने संतोषजनक प्रदर्शन किया है, जबकि कुछ क्षेत्रों में उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।

Aniruddh pratap singh

राज एक्सप्रेस । हाल के दिनों में देश में कारोबारी गतिविधियां बढ़ीं हैं। देश की अर्थव्यवस्था के आकार में विस्तार आया है। इसके साथ-साथ निर्यात भी बढ़ रहा है। निर्यात के कुछ क्षेत्रों में हाल के दिनों में भारतीयों कारोबारियों ने संतोषजनक प्रदर्शन किया है, जबकि कुछ क्षेत्रों में उनका प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है। आंकड़ों में देखें तो यह बात ज्यादा समझ में आती है। आंकड़ों के अनुसार 2015 की तुलना में 2022 में फार्मास्यूटिकल्स, रत्न और आभूषण, चमड़ा व फुटवियर जैसे क्षेत्रों में भारत का निर्यात घटा है। जबकि इसी अवधि में इलेक्ट्रानिक्स, मशीनरी, पेट्रोलियम, आटो पा‌र्ट्स, लोहा व इस्पात और एल्युमिनियम जैसे उत्पादों के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है।

कुछ सेगमेंट में क्यों घट रहा भारत का निर्यात?

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआइ) के आंकड़ों के अनुसार परिधान, लेदर, फुटवियर और सी फूड जैसे क्षेत्रों के वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी कम हो रही है। खास बात यह है कि हिस्सेदारी कम होने की बड़ी वजह इन उत्पादों का मूल्य नहीं, बल्कि गुणवत्ता है। हमारे उद्यमियों को गुणवत्ता पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है, तभी वे विदेशी बाजार में अपनी उपस्थिति बनाए रख पाएंगे। ये ऐसे क्षेत्र हैं, जहां हम थोड़े से प्रयासों से आगे आ सकते हैं। बस हमें थोड़ा सा ध्यान देने की जरूरत है।

इन क्षेत्रों में बढ़ रहा निर्यात

रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक व्यापार के जिन प्रमुख क्षेत्रों में हिस्सेदारी बढ़ी है, वे हैं इलेक्ट्रानिक्स, दूरसंचार, मोबाइल फोन, बिजली के उपकरण और मशीनरी हैं। ये उत्पाद विश्व व्यापार में पर्याप्त महत्व रखते हैं और इनका कुल बाजार मूल्य 6 ट्रिलियन डालर से अधिक है। जीटीआरआइ ने कहा कि इन क्षेत्रों में भारत की हिस्सेदारी कम है, अब लेकिन धीरे-धीरे बढ़ रही है। 2022 में वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 1.8 प्रतिशत थी। हालांकि, मशीनरी और इलेक्ट्रानिक्स में उसकी हिस्सेदारी 2015 में क्रमश: 0.75 प्रतिशत और 0.4 प्रतिशत थी। सात वर्षों के दौरान इन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है।

गुणवत्ता की वजह से प्रभावित हुआ झींगा और चाय निर्यात

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि गुणवत्ता का मुद्दा सिर्फ फार्मास्यूटिकल उत्पादों तक ही सीमित नहीं है बल्कि झींगा और झींगे जैसे जलीय कृषि उत्पादों का निर्यात गुणवत्ता के चलते प्रभावित हो रहा है। झींगे में साल्मोनेला (एक प्रकार का बैक्टीरिया) की मौजूदगी के कारण कई देश इन उत्पादों को अस्वीकार कर देते हैं। गुणवत्ता के मुद्दे ने भारतीय चाय के निर्यात को भी प्रभावित किया है। जिन देशों को चाय निर्यात होती है, उन देशों का कहना है कि इसमें कीटनाशकों की सीमा अनुमेय सीमा से अधिक है।

यह रहा इस साल अब तक का निर्यात

इस साल अब तक भारत ने इंजीनियरिंग गुड्स 859274 करोड़ रुपए का निर्यात किया गया है। जबकि, 758079 करोड़ रुपए के पेट्रोलियम उत्पाद बेचे गए थे। 304509 करोड़ रुपए के जेम्स एंड ज्वैलरी का निर्यात किया गया। 257446करोड़ रुपए का धागा और टेक्सटाइल्स का निर्यात किया गया। 243290 करोड़ रुपए का केमिकल्स, 204110 करोड़ की दवाएं व अन्य फार्मा उत्पाद, 190099 करोड़ रुपए के इलेक्ट्रानिक्स उत्पाद, 89613 करोड़ रुपए का चावल, 67063 करोड़ रुपए का प्लास्टिक एंड लिनोनियम प्रोडक्ट और 64909 रुपए के मैरीन प्रोडक्ट निर्यात किए गए हैं।

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