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भारतीय रेलवे आठ मार्गों पर संचालित करेगा हाइड्रोजन ट्रेनें, बनाई 35 ट्रेनें चलाने की योजना

भारतीय रेलवे ने लंबे समय तक अध्ययन के बाद 'हाइड्रोजन फॉर हेर‍िटेज' योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। इस योजना में ट्रेनों में हाइड्रोजन का उपयोग शुरू होगा।

Aniruddh pratap singh

राज एक्सप्रेस । भारतीय रेलवे ने लंबे समय तक अध्ययन के बाद 'हाइड्रोजन फॉर हेर‍िटेज' योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। इस योजना के तहत भारतीय रेलवे पहाड़ी रास्‍तों पर पर्यटकों के आवा-गमन के ल‍िए हाइड्रोजन का उपयोग शुरू करेगा। भारतीय रेलवे ने पर्यटन की संभावना वाले पर्यावरण की दृष्‍ट‍ि से संवेदनशील पहाड़ी इलाकों में रेल मार्ग पर हाइड्रोजन ट्रेनों का संचालन करने की योजना बनाई है।

80 करोड़ प्रति ट्रेन की लागत से 35 ट्रेनें चलाने की योजना

17वीं लोकसभा में रेलवे की स्‍टैंड‍िंग कमेटी 2022-23 ने उल्लेख किया कि रेलवे ने करीब 80 करोड़ रुपये प्रति ट्रेन की अनुमान‍ित लागत से 35 हाइड्रोजन ट्रेनें संचाल‍ित करने का प्रस्‍ताव द‍िया है। इसके अलावा ग्राउंड इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के तौर पर एक रूट तैयार करने में 70 करोड़ रुपये का खर्च आने की उम्‍मीद है। रिपोर्ट में जींद-सोनीपत सेक्‍शन पर मौजूदा डीजल इलेक्ट्रिकल मल्टीपल यूनिट्स (डेमू) की बजाय हाइड्रोजन ट्रेन संचाल‍ित करने की बात कही गई है।

जींद से चलेगी सबसे बड़ी हाईड्रोजन ट्रेान

जींद-सोनीपत सेक्‍शन पर 10 कोच के साथ संचालित होने वाली ट्रेन देश की सबसे बड़ी हाइड्रोजन ट्रेन होगी। समिति की तरफ से इस पहल की सराहना करते हुए कहा गया क‍ि रेलवे को इस अवधारणा को पूरा करने के लिए उपयुक्त तैयारी करनी होगी और तेजी से काम को पूरा करना होगा। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रेलवे ने 1,200 किलोवाट डेमू को हाइड्रोजन ईंधन सेल-आधारित वितरित पावर रोलिंग स्टिक के साथ परिवर्तित करने का अनुबंध देकर अग्रणी भूमिका निभाई है।

इन हेरिटेज रेल रूट पर चलेंगी हाइड्रोजन ट्रेनें

प‍िछले द‍िनों लोकसभा में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है क‍ि पहले प्रोटोटाइप का फील्ड परीक्षण जून 2024 से शुरू होने वाला है। रोलिंग स्टॉक प्रोग्राम 2023-24 के तहत आठ हेर‍िटेज रूट पर 35 ट्रेन सेट के ल‍िए मंजूरी दी गई है। हाइड्रोजन ट्रेन की व‍िशेषता यह होती है क‍ि इससे धुआं नहीं निकलता, इससे वायु प्रदूषण का स्‍तर कम होता है। जर्मनी में पहली हाइड्रोजन ट्रेन दो कोच से शुरू हुई थी। इसके नतीजे अच्छे आए हैं। इसके बाद ही बाकी देशों में भी इसे चलाए जाने की बातें होने लगी हैं। माथेरान हिल रेलवे, दार्जिलिंग हिमालय रेलवे, कालका शिमला रेलवे, कांगड़ा घाटी, बिलमोरा वाघई, पातालपानी कालाकुंड, नीलगिरि पर्वतीय रेलवे, मारवाड़-गोरम घाट रेलवे।

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