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वैश्विक विकास का इंजन बनी भारतीय अर्थव्यवस्था , इस साल 6 % से अधिक गति से करेगी विकासः गीता

आईएमएफ प्रमुख गीता गोपीनाथ ने कहा भारतीय अर्थव्यवस्था संतोषजनक गति से आगे बढ़ रही है। वैश्विक विकास के इंजन के रूप में भारत की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।

Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • वैश्विक विकास के इंजन के रूप में भारत की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता

  • विकास के उच्च स्तर को बनाए रखने के लिए संरचनात्मक सुधार किए जाने जरूरी

राज एक्सप्रेस। अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) प्रमुख गीता गोपीनाथ ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था संतोषजनक गति से आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि वैश्विक विकास के इंजन के रूप में भारत की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। एक साक्षात्कार में चालू वित्त वर्ष के लिए 6 फीसदी से अधिक की वृद्धि का अनुमान जताते हुए उन्होंने कहा कि सार्वजनिक निवेश और लचीला उपभोग व्यय प्रेरक शक्तियाँ रही हैं। उन्होंने कहा कि विकास के उच्च स्तर को बनाए रखने और निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए संरचनात्मक सुधार किए जाने जरूरी हैं।

2027-28 तक तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा भारत

उन्होंने कहा कि 2027-28 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत इस साल वैश्विक विकास में 15% योगदान देगा और आने वाले वर्षों में आर्थिक विकास का प्रमुख चालक होगा। गीता गोपीनाथ ने श्रम बाजारों में सुधार, राज्य-स्तरीय शासन, व्यापार करने में आसानी, शिक्षा की गुणवत्ता और महिला श्रम बल की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत पर विशेष रूप से जोर दिया। उन्होंने कहा ये सुधार भारत के विकास पथ को और बढ़ावा देने के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं। भारत के आर्थिक विकास के आंकड़ों के बारे में चिंताओं को संबोधित करते हुए, गीता गोपीनाथ ने कहा आंकड़ों की विश्वसनीयता पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है। आईएमएफ आकलन करने के लिए विभिन्न डेटा स्रोतों और उच्च-आवृत्ति डेटा पर निर्भर करता है।

क्रिप्टो को विनियमित करने पर पर भारत का जोर

एक विशेष साक्षात्कार में आईएमएफ की उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने कहा भारत क्रिप्टो करेंसी को विनियमित करने पर पर जोर दे रहा है। अन्य देश भी इस मुद्दे पर पारददर्शी नियमन पर जोर देते हैं। यही वजह है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने इस मुद्दे पर वैश्विक दृष्टिकोण को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गीता गोपीनाथ ने कहा कि यह केवल नियामक पहलुओं के बारे में नहीं है, बल्कि इसमें मैक्रो-वित्तीय परिणामों के बारे में भी ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि पहली बार, वित्तीय स्थिरता बोर्ड और आईएमएफ समग्र परिप्रेक्ष्य की आवश्यकता को पहचानते हुए, क्रिप्टो परिसंपत्तियों के विनियमन को व्यापक रूप से संबोधित करने के लिए एकजुट हुए हैं।

क्रिप्टो परिसंपत्तियों को लेकर कानून बनाना जरूरी

उन्होंने कहा कि हमारा प्राथमिक उद्देश्य आवश्यक नीतिगत कार्रवाइयों की पहचान करना है, जो विनियमन और वित्तीय स्थिरता को संतुलित करते हैं। उन्होंने कहा एक प्रमुख सिद्धांत बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो परिसंपत्तियों के उपयोग को कानूनी निविदा के रूप में वैध नहीं बनाना है, क्योंकि इसमें मौद्रिक संप्रभुता को लेकर खतरे हैं। वित्तीय स्थिरता के लिए जरूरी है कि क्रिप्टो परिसंपत्ति जारीकर्ताओं के लिए लाइसेंसिंग और पंजीकरण के दायरे में लाया जाए, ताकि इससे जुड़ी समान गतिविधियों और जोखिमों को कम किया जा सके। गीता गोपीनाथ ने इस बात पर जोर दिया कि सामान्य सिद्धांतों पर सहमति हो गई है, लेकिन विशिष्ट निय़मों को आकार देने के लिए अभी बहुत काम बाकी है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने जैसी कोई बात नहीं है।

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