वियतनाम। जैसा कि, सभी जानते हैं कि, भारत एक कृषि प्रधान देश है और भारत की कई फसलें भारत के बाहर भी भेजी जाती हैं, लेकिन अब आश्चर्य की बात यह यही कि, दुनिया भर में तीसरे नंबर पर चावल निर्यात करने के लिए जाने जाना वाला सबसे बड़े देश वियतनाम ने अब भारत से चावल खरीदने की मांग की है। बता दें, ऐसा कई दशकों के बाद हो रहा है कि, वियतनाम की तरफ से भारत को चावल खरीदने की मांग रखी गई हो।
भारत वियतनाम को करेगा चावल निर्यात :
बतात चलें, वियतनाम में चावल बहुत ही ज्यादा मात्रा में उपजाए और खाए जाते हैं। इतना ही नहीं यहां का मुख्य भोजन भी चावल ही है। पूरी दुनिया में चावल निर्यातक सबसे बड़े देशों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर शुमार वियतनाम कई दशकों बाद भारत से चावल का निर्यात कर रहा है। वियतनाम के सांख्यिकी कार्यालय अनुसार, वहां धान का उत्पादन धीरे-धीरे घट रहा है। बीते साल 2020 में वियतनाम में कुल धान का उत्पादन 1.85% घटकर 42.69 मिलियन टन ही रह गया।
जनवरी और फरवरी में होगा निर्यात :
बताते चलें, वियतनाम को इस तरह का फैसला पिछले 9 सालों में बढ़ी महंगाई के कारण लेना पड़ा। इस फैसले के बाद भारत को वियतनाम से 70 हजार टन चावल का निर्यात करने का आर्डर मिला है। जिसे इसी महीने जनवरी और फरवरी में निर्यात कर दिया जाएगा। इस आर्डर के अंतर्गत भारत से 100% टूटे चावल वियतनाम को भेजे जाएंगे। जिसके बदले भारतीय निर्यातकों को प्रति टन 310 डॉलर यानी 22 रुपये के प्रति किलो के आसपास कीमत मिलेगी। इसी कीमत में चावल को नजदीकी बंदरगाह तक पहुंचाने की भी कीमत शामिल है।
क्यों घाट रहा धान का उत्पादन :
बता दें, वियतनाम में बीते साल हुए कुल धान से करीब 21.35 मिलियन टन चावल बनाए जा सकते हैं। इससे उसके चावल निर्यात, चावल का स्टॉक और इसके कंजप्शन या उपभोग, सब पर असर पड़ेगा। यही वजह है कि वहां से वर्ष 2020 में चावल निर्यात 3.5% घटकर 6.15 मिलियन टन रहने का अनुमान लगाया गया है। खबरों की मानें तो, वियतनाम आपूर्ति के लिए भारत से चावल मंगवा कर लगभग 2,70,000 टन चावल का भंडार बनाएगा।
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