राज एक्सप्रेस। चीन की वस्तुओं के लिए कहा जाता है, 'चले तो चाँद तक नहीं तो शाम तक'। ऐसा इसलिए क्योंकि, चाइना के सामान की कोई ग्यारंटी नहीं लेता है। गलवान घाटी पर हुए विवाद के बाद से भारत चाइना से किनारा करता हुआ ही नजर आ रहा है। कभी वहां की ऐप्स पर बैन लगाकर उन्हें भारत में बंद कर देता है तो कभी चीनी सामान पर रोक लगा देता है। वहीं, अब खबर आई है कि, भारत ने चीन को फुटवियर बाजार से भी बाहर कर दिया है और भारत ऐसा बहादुरगढ़ में बनने वाले जूते-चप्पल के सहारे कर पाया है।
फुटवियर बाजार से चीन हुआ बाहर :
भारत ने चीन के खिलाफ एक बड़ा कदम उठाते हुए चीन को फुटवियर बाजार से बाहर कर दिया है। इस कदम को उठाने में भारत को बहादुरगढ़ में बनने वाले जूते-चप्पल से बड़ा साथ मिला है। दरअसल, बहादुरगढ़ में बने जूते-चप्पल की गुणवत्ता काफी अच्छी और कीमत बहुत कम होती है और याद दिला दें, चीन फुटवियर को काम कीमत के पसंद किया जा रहा था। हालांकि, अब जब भारत में ही सस्ते और अच्छे फुटवियर मिल रहे हैं तो, भारत को चीन से फुटवियर कम आयात (Import) करना पढ़ रहा है। इस प्रकार घटकर चीन से होने वाला फुटवियर आयात मात्र 5% रह गया है। जबकि यदि यही आयात 10 साल पहले से तुलना करके देंखे टी यह तब लगभग 90% था।
बहादुरगढ़ से होता है फुटवियर निर्यात :
बताते चलें, बहादुरगढ़ में बनने वाले फुटवियर के चलते आयात तो काम हुआ ही है। साथ ही बहादुरगढ़ का फुटवियर उद्योग यहां से होने वाले फुटवियर निर्यात (Export) के लिए भी जाता है। यहां से सालभर ने लगभग 3,000 करोड़ रुपये के जूते-चप्पल का निर्यात होता हैं। बहादुरगढ़ की 70% जूता कंपनियां यहाँ से फुटवियर का निर्यात करती हैं। इतना ही नहीं 6,000 से ज्यादा औद्योगिक यूनिट्स वाले बहादुरगढ़ में लगभग 1,000 फुटवियर निर्माता हैं। यहां देश के पहले फुटवियर पार्क में ही 480 जूता उद्योग चलाए जाते हैं। खबरों की मानें तो, यहां जूतों की अपर सिलाई के साथ ही कई प्रकार के छोटे काम भी होते हैं। यहां कई सूक्ष्म इकाइयां भी शामिल हैं।
बहादुरगढ़ का फुटवियर उद्योग :
बहादुरगढ़ का फुटवियर उद्योग लगभग 25,000 करोड़ रुपये का टर्नओवर है। बहादुरगढ़ के फुटवियर का बाजार दुनियाभर में अपनी पहचान रखता है। वहीं, खबर ये है कि, विकसित औद्योगिक क्षेत्र में HSIIDC से लगभग 20,000 करोड़ रुपये का निवेश हो चुका है। बहादुरगढ़ के फुटवियर उद्योग का लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने में भी योगदान है। इन उद्योगों में 3 लाख से ज्यादा लोग काम करते हैं। यहां बनने वाले फुटवियर बेचने वाली कंपनियों में एक्शन, रिलैक्सो, एरोबाक, एक्वालाइट, टुडे और सुमंगलम फुटवियर जैसे बड़े ब्रांड का नाम शामिल हैं।
इन देशों में होता निर्यात :
बहादुरगढ़ के पीयू जूते, चप्पल और सैंडल का निर्यात दुनिया भर के देशों में होता है। इन देशों में दुबई, ओमान, श्रीलंका, बांग्लादेश, कतर, केन्या, तंजानिया, युगांडा, इथोपिया, सोमालिया, रवांडा, दक्षिणी सूडान, जांबिया, मॉरीशस, जिम्बाब्वे, मलावी, सेशल्स, कोमोरूस, मयोते, कुवैत, अफगानिस्तान, सऊदी अरब, अबूधाबी, नाइजीरिया, अजमान और शारजाह जैसे 65 देशों में का नाम शामिल है। बहादुरगढ़ में हर दिन लगभग 25 लाख जोड़ी से अधिक जूते, चप्पल व सैंडल बनते हैं। हालांकि, यहां से निर्यात प्रतिदिन 80 कंटेनर जूते ही किए जाते हैं।
एसोसिएशन के महासचिव ने बताया :
बहादुरगढ़ फुटवियर एसोसिएशन के महासचिव सुभाष जग्गा ने बताया कि, 'भारत, अफ्रीका और खाड़ी देशों के लोगों के पांव की बनावट एक जैसी है। इसलिए, बहादुरगढ़ के फुटवियर निर्माताओं को सही फिटिंग वाले बढ़िया जूते बनाने में किसी तरह की दिक्कत नहीं होती। भारतीय उद्यमियों को लाखों करोड़ों रुपये खर्च करके अलग से मोल्ड नहीं बनवाने पड़ते, जिससे लागत घटती है। घरेलू बाजार के लिए बने माल का ही निर्यात कर दिया जाता है। इससे देश को अरबों रुपये का राजस्व मिलता है।'
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