राज एक्सप्रेस। कई बार हम किसी अनजान शहर में जाते हैं, तो हम कहां रुके, होटल ढूंढने जैसी कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है। इन सब से छुटकारा दिलाने के लिए कुछ एक साल पहले ही एक ऑनलाइन एप लांच हुई थी, जिसका नाम है 'OYO' (ओयो) एप, लेकिन वो कहावत आपने सुनी होंगी कि,'हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, 'OYO' कुछ ऐसा ही कार्य कर रही है। हालांकि यह एप मानव सुविधा के लिए लांच की गई थी, लेकिन पिछले कुछ समय से लगातार 'OYO' द्वारा बुक किये गए रूम से जुड़ी वारदातों और अन्य अवैध शामिल कमरों की खबरें सामने आ रही हैं। इतना ही नहीं अब लोगों का मानना है कि, 'OYO' अब एक संदिग्ध रणनीति पर कार्य कर रही है।
क्या है 'OYO' :
'OYO' एक स्टार्ट-अप है, जो बजट में होटल के कमरे प्रदान करता है, 'OYO' रूम्स को बुक करने लिए यूजर के फोन में 'OYO' की एप होना अनिवार्य होता है जिसे प्ले स्टोर से डाऊनलोड किया जा सकता है। 'OYO'का उद्देश्य 2023 तक दुनिया भर में सबसे बड़ी होटल श्रृंखला बनाने का है। रितेश अग्रवाल ने साल 2013 में मात्र 19 साल की उम्र में गुरुग्राम से OYO कंपनी की स्थापना की थी, तब से OYO लगातार पूरे संसार में तेजी से विस्तार कर रहा है।
इसका बिजनेस 80 से अधिक बाजारों में विकसित हुआ है। इसके अलावा डलास और लास वेगास में परिवर्तित संपत्तियों के साथ अमेरिका में अपना कारोबार बढ़ा रहा है। OYO के प्रमुख निवेशक में से एक सॉफ्टबैंक है। साथ ही इसका समर्थन करने वालों में सिकोइया कैपिटल इंडिया और लाइट्सपेड इंडिया पार्टनर्स भी शामिल हैं। वर्तमान में भारत में ओयो की गिनती सबसे आशाजनक स्टार्ट-अप्स में से एक के तौर पर होती है, इसका मूल्यांकन 10$ बिलियन का है।
लगातार आ रही खबरें :
कुछ समय से लगातार OYO से जुड़ी खबरें सामने आ रही हैं, जिनसे पता चला कि, OYO ने अपने साथ कुछ ऐसे होटलों को भी शामिल करके रखा है जो या तो बिना लाइसेंस वाले हैं या गेस्टहाउस के कमरे हैं। कई बार तो ओयो को अपने होटल भागीदारों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की भी खबरें सुनने में आई हैं साथ ही होटल के मालिकों द्वारा मांगी गई पूरी राशि का भुगतान करने से भी मना कर दिया गया है। इससे होटल मालिकों को नुकसान उठाना पड़ता है। इतना ही नहीं OYO अवैध कमरों पर अधिकारियों से परेशानी को दूर करने के लिए, कभी-कभी पुलिस और अन्य अधिकारियों को मुफ्त में रूम में रहने की सुविधा भी प्रदान करता है।
आपराधिक शिकायत दर्ज करने की मांग :
कई होटल संचालकों ने ग्राहक सेवा के मुद्दों को लेकर भुगतान रोकने के लिए फर्म के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज करने की मांग भी की, लेकिन इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। यह पहली बार नहीं है जब Oyo ने इतने बड़े कारणों के लिए सुर्खियां बटोरी हैं। पिछले साल अक्टूबर में, एक रिपोर्ट ने भारतीय होटल ऑपरेटरों की बढ़ती संख्या को पेश किया था, जिन्होंने स्टार्टअप द्वारा शुल्क में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी के बारे में शिकायत की थी।
सॉफ्टबैंक है सबसे बड़ा निवेशक :
ओयो कंपनी ने अपने पैर पसारने के लिए कुछ देशों जैसे न्यूयॉर्क, वेवॉर्क से सैन फ्रांसिस्को तक में अपने अलग-अलग स्टार्ट-अप्स शुरू करें हैं जिसके लिए जापानी निवेशकों के सॉफ्टबैंक ने काफी मदद की है। इतना ही नहीं ओयो का सबसे बड़ा निवेशक सॉफ्टबैंक ही है। सॉफ्टबैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मासायोशी सोन ने ओयो को अपनी कंपनी के $ 100 बिलियन (लगभग 71,768 करोड़ रु.) विज़न फंड दिया है। इसके अलावा, समाचार पत्र ने विभिन्न पूर्व ओयो कर्मचारियों को बिजली और पानी के हीटर जैसी आवश्यकताओं पर विचार किए बिना नए कमरे जोड़ने के लिए नैतिक मुद्दों और कार्यबल पर दबाव डालने का हवाला दिया। कुछ श्रमिकों ने कथित तौर पर यह भी आरोप लगाया कि, अधिकारियों ने कर्मचारियों को परेशान करने वाली घटनाओं पर इस्तीफा देने के लिए कहा है।
अन्य नुकसान :
आज हर तीसरी गली मोहल्ले में OYO के रूम की सुविधएं उपलब्ध होने के कारण इन रूम से होने वाली अवैध गतिविधियों को भी बढ़ावा मिल रहा है, हाल ही में एक ओयो रूम में एक लड़की की लाश मिली, पहले भी इस तरह की कई घटनाएँ सामने आई हैं। कई बार अनमैरिड कपल्स भी इन रूम्स का गलत फायदा उठाते हैं और भी मर्डर और रेप जैसी वारदातें सामने आती हैं। लोग गलत कार्यो जैसे जुआ खेलना, शराब पीना आदि के लिए भी इन रूम्स का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि, यह बहुत ही उचित दाम पर आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं और इन पर कोई कार्रवाई इसलिए भी नहीं होती क्योंकि कंपनी पुलिस को मामले को दबाने में अपने साथ शामिल कर लेती है।
ओयो संचालन प्रबंधक का कहना :
उत्तर भारत में एक पूर्व ओयो संचालन प्रबंधक सौरभ मुखोपाध्याय जिन्होंने यह कंपनी सितंबर में छोड़ दी थी उनका का कहना था कि, "OYO का यह गुब्बारा एक दिन जाकर फटेगा।"
परिचालन प्रमुख का कहना :
ओयो के भारत परिचालन प्रमुख, आदित्य घोष ने भी एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि "कई होटलों में आवश्यक लाइसेंसों की कमी थी, जिससे वे सामयिक सरकारी छापे के लिए असुरक्षित थे। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि, ओयो ने अधिकारियों को मुफ्त कमरे दिए हैं। श्री घोष ने अतिरिक्त शुल्क और बिलों के भुगतान के बारे में होटलों की शिकायतों को भी खारिज कर दिया।
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