राज एक्सप्रेस। भारत में नौकरी या अपना कारोबार करने वाले लोगों के लिए हर वित्त वर्ष में अपनी आय के बारे में सरकार को जानकारी देनी होती है। यदि वे नियमानुसार टैक्स के दायरे में आते हैं तो उन्हें टैक्स भी चुकाना होता है। भारत में टैक्स चुकाने वाले हर व्यक्ति को सालाना इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) भी फाइल करना होता है। वित्त मंत्रालय इनकम टैक्स स्लैब आदि में बदलाव के बारे में लोगों को समय-समय पर सूचना देता रहता है। हर साल 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले सालाना आम बजट में इनकम टैक्स स्लैब और इनकम टैक्स के नियमों में बदलाव से जुड़ी जानकारियां दी जाती हैं।
क्या आप यह बात जानते हैं कि भारत में एक राज्य ऐसा भी है, जहां के लोगों को इनकम टैक्स चुकाने से छूट मिली हुई है। पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम के लोगों को इनकम टैक्स चुकाने से छूट दी गई है। सिक्किम पहले एक अलग देश था, जो बाद में भारत में इस शर्त के साथ शामिल हुआ कि उसके पुराने नियमों और विशेष दर्जे को बरकरार रखा जाएगा। उसकी इस शर्त को स्वीकार करते हुए सरकार ने उसका विलय भारत में कर लिया। भारत के पूर्वोत्तर भाग में मौजूद सिक्किम मूलतः एक पहाड़ी राज्य है। भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार, इसका क्षेत्रफल 16,579 वर्ग किलोमीटर है, और जनसंख्या 19,80,602 है, जो इसे भारत के सबसे छोटे राज्यों में से एक बनाती है। सिक्किम एक छोटा सा जिला है इसमें पूर्वी सिक्किम, उत्तरी सिक्किम, दक्षिण सिक्किम और पश्चिम सिक्किम नाम के चार जिले हैं।
सिक्किम राज्य का इनकम टैक्स मैनुअल 1948 में बनाया गया था। इस मैनुअल के तहत सन 1975 से ही सिक्किम में टैक्स के वही नियम लागू हैं। इस नियम के तहत सिक्किम का कोई भी निवासी केंद्र सरकार को टैक्स देने के लिए बाध्य नहीं है। साल 2008 में सिक्किम के इनकम टैक्स नियम बदल दिए गए थे। केंद्रीय बजट में इस साल सिक्किम के निवासियों को सेक्शन 10 (26एएए) के तहत टैक्स चुकाने से छूट दे दी गई थी। भारत के सभी पूर्वोत्तर राज्यों को अनुच्छेद 371-एफ के तहत विशेष राज्य का दर्जा मिला गया है। यही वजह है कि देश के अन्य राज्य के लोग यहां पर रिहायशी या कमर्शियल किसी भी तरह की संपत्ति नहीं खरीद सकते हैं। आयकर कानून के तहत मिलने वाली छूट पहले सीमित लोगों को मिलती थी। सिक्किम में जिन लोगों के पास एक विशेष सब्जेक्ट सर्टिफिकेट होता था, केवल उन्हें ही इनकम टैक्स चुकाने से छूट मिलती थी। सन 1989 में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद इनकम टैक्स छूट की इस कैटेगरी में अन्य लोग भी शामिल हो गए, जिसके बाद इसका लाभ लेने वाले लोगों की संख्या 95 फीसदी हो गई।
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