IMF ने कहा RBI ने रुपये को स्थिर रखने के लिए जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप किया।
देश की आर्थिक नीतियों की समीक्षा करती है IMF की चौथी अनुच्छेद परामर्श रिपोर्ट।
आरबीआई ने कहा विनिमय दर स्थिरता भारत की स्थिति में हुए सुधार का स्पष्ट संकेत।
राज एक्सप्रेस । अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अनुच्छेद-चार की समीक्षा के बाद दिसंबर, 2022 से अक्टूबर, 2023 के लिए भारत की वास्तविक विनिमय दर व्यवस्था को दोबारा फ्लोटिंग से स्थिर में वर्गीकृत किया है। आईएमएफ ने इस पर स्पष्टीकरण दिया कि आरबीआई ने रुपये को स्थिर रखने के लिए इस दौरान जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप किया है। इसकी वजह से आईएमएफ को यह कदम उठाना पड़ा है।
उल्लेखनीय है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की चौथी अनुच्छेद परामर्श रिपोर्ट किसी देश की वर्तमान और मध्यम अवधि की आर्थिक संभावनाओं और नीतियों की समीक्षा करती है। भारतीय अधिकारियों ने तर्क दिया है कि विनिमय दर स्थिरता भारत की स्थिति में हुए सुधार को प्रदर्शित करती है। जहां तक रुपये की स्थिरता के लिए किए हस्तक्षेप की बात है तो ऐसा अत्यधिक अस्थिरता से बचने के लिए किया गया है। आईएमएफ भारतीय अधिकारियों के इस विचार से असहमति जताई है। इस पर प्रतिक्रिया करते हुए आरबीआई ने आईएमएफ के निष्कर्ष को गलत बताया है।
पिछले दिनों आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप को सिर्फ सही या गलत के रूप में नहीं देखाना चाहिए। दिसंबर 2022 से अक्टूबर, 2023 के बीच डालर के मुकाबले रुपया 80.88 से 83.42 के बीच रहा है। अब यह घटकर 82.90 से 83.42 के स्तर पर आ गया है। इससे रुपये में किसी तरह के बड़े उतार-चढ़ाव की संभावना एक दशक के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। ऐसी स्थिति में आईएमएफ के नजरिए और निष्कर्ष को उचित नहीं कहा जा सकता। आईएमएफ को ऐसे किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के पहले अन्य संकेतकों पर भी गौर करना चाहिए।
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