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अडाणी के विरुद्ध नियमों के उल्लंघन मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, जांच रिपोर्ट पेश कर सकती है सेबी

Aniruddh pratap singh

हाईलाइट्स

  • शेयर मार्केट रेगुलेटर सेबी आज कोर्ट में पेश कर सकती है कि अडाणी समूह की कंपनियों के विरुद्ध की गई जांच से जुड़ी रिपोर्ट

  • तकनीकी है अडाणी ग्रुप की जांच में सामने आया नियमों के उल्लंघन का मामला, इसमें सजा संभव नहीं, लग सकता है जुर्माना

  • इस मामले में आर्थिक दंड की सीमा भी प्रत्येक कंपनी के लिए एक करोड़ रुपए से ज्यादा नहीं हो सकती

राज एक्सप्रेस । शेयर मार्केट रेगुलेटर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अडाणी समूह के खिलाफ जांच में डिस्क्लोजर से जुड़े नियमों के उल्लंघन और ऑफशोर फंड्स की होल्डिंग सीमा के उल्लंघन का मामला पाया है। सेबी में उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार ये उल्लंघन तकनीकी तरह के हैं। इसमें जांच पूरी होने के बाद आर्थिक दंड से अधिक कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। आर्थिक दंड की सीमा भी प्रत्येक कंपनी के लिए एक करोड़ रुपए से ज्यादा नहीं हो सकती। सेबी की यह जांच सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में हो रही है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की मंगलवार यानी 29 अगस्त यानी आज सुनवाई करेगा।

फिलहाल रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं करना चाहती सेबी

सूत्रों ने बताया कि सेबी की अभी रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की योजना नहीं है। वह इस मामले में अपना आदेश पारित करने के साथ ही सभी रिपोर्ट को सार्वजनिक करेगा। इससे पहले शुक्रवार 25 अगस्त को सेबी ने देश के सर्वोच्च न्यायालय को बताया था कि उसने अडाणी समूह के लेनदेन की जांच लगभग पूरी कर ली है। जांच में एक अहम निष्कर्ष कुछ रिलेटेड-पार्टी ट्रांजैक्शन के खुलासे के उल्लंघन से जुड़ा हुआ है। रिलेटेड पार्टी के साथ लेनदेन की पहचान की जानी चाहिए और सूचना दी जानी चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो यह भारतीय सूचीबद्ध कंपनी की वित्तीय स्थिति की गलत तस्वीर पेश कर सकता है।

सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कुछ मामलों में मिली गड़बड़ियां

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड याने सेबी ने अदालत में जमा किए गए अपने दस्तावेजों में दावा किया है कि उसने रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन के 13 मामलों की जांच की है। सूत्रों ने बताया कि दोषी पाए जाने की स्थिति में कंपनी की ओर से प्रत्येक उल्लंघन पर अधिकतम जुर्माना एक करोड़ रुपये (1,21,000 डॉलर) तक हो सकता है। जांच में यह भी पाया गया कि अडाणी समूह की कुछ कंपनियों में ऑफशोर फंड की हिस्सेदारी नियमानुसार नहीं थी। भारतीय कानून किसी ऑफशोर निवेशक को एफपीआई रूट से अधिकतम 10 फीसदी निवेश की इजाजत देता है। यदि निवेश इससे ज्यादा बड़ा हुआ तो उसे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के रूप मे वर्गीकृत किया जाता है।

सेबी को सुप्रीम कोर्ट अब तक दे चुका है 5 माह का समय

मार्केट रेगुलेटर सेबी ने 14 अगस्त को अडाणी-हिंडेनबर्ग मामले की जांच पूरी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से 15 दिन का और समय मांगा है। यह समयावधि आज 29 अगस्त को खत्म हो रही है। सुप्रीम कोर्ट आज इस मामले की सुनवाई करेगा। अडाणी ग्रुप के 24 ट्रांजैक्शन की विस्तृत जांच के लिए सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से छह माह का समय मांगा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इतना समय देने से इनकार कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई आज 29 अगस्त को करेगा।

सेबी ने जांच के लिए मांगी थी छह माह की मोहलत

2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक कमेटी बनाई थी और सेबी को भी जांच के लिए 2 महीने का समय दिया था। मार्केट रेगुलेटर को 2 मई तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन सेबी की ओर से कोर्ट में पेश सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान जांच के लिए 6 महीने की मोहलत मांगी थी। बेंच ने 6 महीने का समय देने से इनकार कर दिया था। बेंच ने कहा था कि वह इस मामले को अनिश्चित विस्तार नहीं दे सकती। हमने 2 महीने का समय दिया था और अब इसे अगस्त तक बढ़ा दिया है। यानी सेबी को अब तक कुल 5 महीने का समय मिल चुका है।

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